वेडिंग सीजन से मिलेगा अर्थव्यवस्था को बल, शादियों से होगा 5.5 लाख करोड़ रुपए का कारोबार
Wedding Economy: दिल्ली में ही इस शादियों के मौसम में अकेले दिल्ली में 4 लाख से अधिक विवाह होने की संभावना है, जिससे करीब ₹ 1.5 लाख करोड़ का व्यापारिक राजस्व मिलेगा। पिछले साल, 14 दिसंबर को समाप्त हुए विवाह सीजन में लगभग 35 लाख विवाह हुए थे, जिनके खर्च का अनुमान ₹ 4.25 लाख करोड़ था।
Wedding Economy: यूपी, दिल्ली सहित पूरे देश में व्यापारी वर्ग 15 जनवरी से लेकर 15 जुलाई तक चलने वाले वर्तमान विवाह सीजन को लेकर बेहद उत्साहित हैं। इस अवधि के दौरान देश करीब 42 लाख विवाह आयोजित होने की संभावना है, जिससे विवाह संबंधित खरीदारी और सेवाओं के माध्यम से लगभग 5.5 लाख करोड़ रुपये के कारोबार होने का अनुमान लगाया है, जो कि भाररतीय अर्थव्यवस्था के लिए लिए बूस्टर डोज के रूप में काम करेगा। इस भारी भरकम कारोबार का आंकलन कनफ़ेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) की रिसर्च शाखा कैट रिसर्च एंड ट्रेड डेवलपमेंट सोसाइटी ने विभिन्न राज्यों के 30 विभिन्न शहरों के व्यापारी और सेवा प्रदाताओं से बातचीत के आधार पर किया गया है।
अकेले दिल्ली में 1 लाख करोड़ कारोबार का अनुमान
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन का कहना है कि दिल्ली में ही इस शादियों के मौसम में अकेले दिल्ली में 4 लाख से अधिक विवाह होने की संभावना है, जिससे करीब ₹ 1.5 लाख करोड़ का व्यापारिक राजस्व मिलेगा। पिछले साल, 14 दिसंबर को समाप्त हुए विवाह सीजन में लगभग 35 लाख विवाह हुए थे, जिनके खर्च का अनुमान ₹ 4.25 लाख करोड़ था।
शादियों की लागत
इस विवाह सीजन के दौरान, अनुमान है कि लगभग 5 लाख विवाह की प्रति विवाह लागत 3 लाख रुपये होगी, जबकि लगभग 10 लाख विवाह की प्रति विवाह की लागत लगभग 6 लाख रुपये होगी। इसके अतिरिक्त 10 लाख विवाहों की अनुमानित लागत प्रति विवाह 10 लाख रुये होगी। वहीं 10 लाख विवाह की लागत 15 लाख रुपये प्रति विवाह होगी, जबकि 6 लाख विवाह 25 लाख की लागत से होना अपेक्षित है।
1 करोड़ की लागत की इतनी शादियां
इसके अलावा 60 हजार विवाह जिनकी लागत प्रति विवाह 50 लाख रुपये होगी। 40 हजार ऐसे विवाह होगें, जिसकी लागत 1 करोड़ रुपए से अधिक होगी। समग्र रूप से इस छह महीने के दौरान, विवाह संबंधित खरीदारियों एवं सेवाओं के ज़रिये से लगभग 5.5 लाख करोड़ रुपये के व्यापार का अनुमान है।
विवाह संबंधित सामग्रियों का स्टॉक पर्याप्त
खंडेलवाल ने कहा कि इस वैवाहिक मांग को देखते हुए देश भर के संबंधित व्यापारियों ने विवाह संबंधित सामग्रियों की पर्याप्त स्टॉकिंग की है, ताकि ग्राहकों की पसंद और मांग को पूरा किया जा सके। प्रत्येक विवाह के लिए लगभग 20 प्रतिशत खर्च दुल्हन और दुल्हे के पक्ष को को जाता है, जबकि 80 प्रतिशत खर्च विवाह आयोजन को संपन्न कराने में शामिल तीसरी पक्षीय एजेंसियों को जाता है।
शादियों से बढ़ता है रोजगार
दोनों व्यापारी नेताओं ने कहा कि विवाह सीजन में घर की मरम्मत और पेंटिंग, आभूषण, साड़ी, लहंगा-चुनरी, फर्नीचर, रेडीमेड कपड़े, कपड़े, जूते, विवाह और शुभकार्य कार्ड, सूखे मेवे, मिठाई, फल, पूजा वस्त्र, किराना, अनाज, सजावटी वस्त्र, घर की सजावट, इलेक्ट्रिकल यूटिलिटीज, इलेक्ट्रॉनिक्स, और विभिन्न उपहार आइटम आदि की मांग सबसे अधिक होती है, जिनको उस सीजन में बड़ा व्यापार मिलने की बड़ी उम्मीद है। ध्यान देने योग्य है कि विवाह सीजन में सेवाओं के क्षेत्र में बड़ी मात्रा में लोगों को रोज़गार भी मिलता है।