कोरोना का प्रकोप, ADB ने घटाई भारत की आर्थिक विकास दर, 10 फीसदी रहने का अनुमान
India's Economic Growth Rate: ADB ने भारत की अर्थव्यवस्था विकास दर वित्त वर्ष 2022 के लिए कम रहने का अनुमान लगाया है।
India's Economic Growth Rate: एशियाई विकास बैंक (Asian Development Bank- ADB) ने भारत की अर्थव्यवस्था विकास दर के कम रहने का अनुमान लगाया है। वित्त वर्ष 2022 के लिए एडीबी का अनुमान है कि भारत की आर्थिक विकास दर 10 फीसदी की रहेगी। इससे पहले एडीबी ने इसके 11 फीसदी रहने का अनुमान लगाया था।
कोरोना वायरस की दूसरी लहर (Coronavirus Second Wave) के कारण एडीबी ने अपना संशोधित आकलन जारी किया है। कोरोना की दूसरी लहर के चलते देश भर में जो लॉकडाउन (Lockdown) लगाया गया उसके कारण व्यापारिक गतिविधियों (Business Activities) पर नकारात्मक असर पड़ा है।
एशियाई विकास बैंक के अनुसार, मार्च में समाप्त हुए बीते वित्तीय वर्ष की अंतिम तिमाही में जीडीपी विकास दर (GDP Growth Rate) 1.6 प्रतिशत की रही। इसके चलते पूरे वित्त वर्ष में विकास दर में कमी 7.3 प्रतिशत रह गई। पहले ये 8 फीसदी की थी।
आर्थिक गतिविधियां अभी भी सामान्य नहीं
उल्लेखनीय है कि कोविड के चलते भारत में अभी भी व्यापारिक गतिविधियां पूरी तरह सामान्य नहीं हो पा रही है। उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में अभी भी सप्ताह में दो दिन शनिवार और रविवार को लॉकडाउन जारी है। इसके साथ ही केरल, महाराष्ट्र और नार्थ ईस्ट के कई राज्यों में भी बड़ी संख्या में कोरोना केस मिल रहे हैं। इसकी वजह से व्यापारिक और आर्थिक गतिविधियां पूरी तरह से गति नहीं पकड़ पा रही हैं। इसके साथ ही कोरोना की तीसरी लहर की आशंका से भी बाजार सहमा हुआ है।
चीन की विकार दर में गिरावट नहीं
हालांकि एडीबी ने आने वाले वर्षों में अर्थव्यवस्था के बेहतर रहने की आशा जताई है। बैंक के अनुसार, 2023 मार्च में खत्म होने वाले वित्त वर्ष में जीडीपी साढ़े सात फीसदी तक रहेगी। खास बात ये है कि एडीबी ने चीन की विकास दर में किसी तरह की गिरावट की बात नहीं कही है। चीन में ही कोविड की शुरुआत हुई थी। लेकिन वहां की अर्थव्यवस्था पटरी पर लौट आई है जबकि भारत समेत अन्य कई देशों में आर्थिक संकट बना हुआ है।
कोरोना की दूसरी लहर अर्थव्यवस्था के लिए संकट बन कर सामने आई है। मार्च महीने में भारत के विनिर्माण क्षेत्र में भी गिरावट आई थी। मार्च में भारत का विनिर्माण खरीद सूचकांक (पीएमआई) बीते सात महीनों में सबसे निचले स्तर का रहा था।
वर्तमान वित्त वर्ष में रोजगारों पर भी बड़ा खतरा है। उत्पादन के क्षेत्र में एक तो आर्डर नहीं मिल रहे हैं दूसरे तय समय में माल बनाने की भी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। कोरोना के कारण लोग खरीदारी के लिए भी कम निकल रहे हैं। हालांकि आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि टीकाकरण जैसे जैसे बढ़ेगा अर्थव्यवस्था सुधरने लगेगी।
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