Best Investment Plan: जानिए ईपीएफ से कितना अलग है वीपीएफ, कर्मचारी कहां पर खड़ा कर सकते हैं बड़ा रिटायमेंट फंड

VPF vs EPF: बजट 2021 के बाद यदि कर्मचारी का ईपीएफ में योगदान एक वित्तीय वर्ष में 2.5 लाख रुपये से अधिक है, तो अतिरिक्त राशि पर अर्जित ब्याज कर योग्य होगा।

Report :  Viren Singh
Update:2023-09-24 12:35 IST

VPF vs EPF (सोशल मीडिया) 

Best Investment Plan: वेतनभोगी व्यक्ति सेवानिवृत्ति होने से पहले अपनी नियमित आय जारिया बनाने के लिए कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) और स्वैच्छिक भविष्य निधि (वीपीएफ) स्कीम का सहारा लेते हैं। दोनों स्कीम के माध्मय से वह रिटायरमेंट का बड़ा कोष तैयार करते हैं। ईपीएफ और वीपीएफ में लोगों को अन्य जगहों से अधिक ब्याज मिलता है। इस वजह से यह दोनों स्कीम्स लोगों की सेवानिवृत्ति योजना का सही विकल्प बन जाती है। इन स्कीम्स टूल्स का इरादा करीब एक जैसा होता है, लेकिन दोनों की विशेषताएं काफी अलग होती हैं। अधिकांस लोगों को ईपीएफ और वीपीएफ में अंतर और उसकी विशेषताएं के बारे में सटीक जानकारी नहीं होती है, इसलिए वह काफी कंफ्यूज रहता है कि ईपीएफ और वीपीएफ में कौन सबसे बेहतरीन होती है। आइये जानते हैं इनके बारे में...।

क्या होता है ईपीएफ ?

ईपीएफ कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) द्वारा प्रबंधित एक भविष्य निधि को संदर्भित करता है, जो सेवानिवृत्ति के बाद वेतन पाने वालों के लिए बनाया गया है। कर्मचारी यहां पर अपने मूल वेतन और महंगाई भत्ते का 12 प्रतिशत योगदान करता है और नियोक्ता इस योगदान से मेल खाता है। नियोक्ता के योगदान में से 8.33 प्रतिशत कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस) में स्थानांतरित किया जाता है। शेष 3.67 प्रतिशत ईपीएफ खाते में स्थानांतरित किया जाता है।

वीपीएफ क्या है?

वीपीएफ ईपीएफ का ही विस्तार है। वीपीएफ में कर्मचारी 12 फीसदी योगदान तक सीमित नहीं रहता है। महंगाई भत्ते के साथ अपने मूल वेतन का अधिकतम 100 प्रतिशत योगदान कर सकता है। हालांकि यहां पर नियोक्ता की ओर से कोई योगदान नहीं किया जाता है।

जानिए VPF और EPF में अंतर

टैक्स निहितार्थ

केंद्रीय बजट 2021 के बाद यदि कर्मचारी का ईपीएफ में योगदान एक वित्तीय वर्ष में 2.5 लाख रुपये से अधिक है, तो अतिरिक्त राशि पर अर्जित ब्याज कर योग्य होगा। इसमें वीपीएफ के तहत कोई योगदान भी शामिल है। इसलिए अर्जित ब्याज पर कर लाभ का दावा करने के लिए कर्मचारी द्वारा वीपीएफ और ईपीएफ दोनों योगदान 2.5 लाख रुपये की सीमा के भीतर रहना चाहिए। इसके अलावा ईपीएफ योगदान भी दो स्थितियों के तहत कर योग्य है। इसमें यदि ब्याज दर 9.5 प्रतिशत से अधिक है और यदि नियोक्ता का योगदान एक वित्तीय वर्ष में 7.5 लाख रुपये से अधिक है।

अनिवार्य बनाम स्वैच्छिक भागीदारी:

ईपीएफ खाता होना अनिवार्य है, वीपीएफ खाता अनिवार्य नहीं है। उच्च सेवानिवृत्ति कोष बनाने के लिए कोई भी व्यक्ति वीपीएफ खाता चुन सकता है।

योगदानकर्ता

कर्मचारी और नियोक्ता दोनों ईपीएफ में योगदान करते हैं, जबकि केवल कर्मचारी ही वीपीएफ में योगदान कर सकते हैं।

अंशदान सीमा

ईपीएफ योगदान पर 12 प्रतिशत की सीमा है। वहीं, वीपीएफ में योगदान की कोई सीमा नहीं है। यहां कर्मचारी अपने मूल वेतन और महंगाई भत्ते का 100 फीसदी तक योगदान कर सकता है।

जानिए वीपीएफ या ईपीएफ में मिलता अधिक ब्याज

ईपीएफ और वीपीएफ दोनों योगदान पर 8.15 प्रतिशत ब्याज देते हैं। हालांकि वीपीएफ अंततः आपके योगदान पर बेहतर रिटर्न प्रदान कर सकता है, क्योंकि आप ईपीएफ की तुलना में अधिक योगदान कर सकते हैं। ईपीएफ योगदान मूल वेतन और महंगाई भत्ते के अधिकतम 12 प्रतिशत पर सीमित है। वहीं, आप बेहतर रिटर्न पाने के लिए वीपीएफ खाते में अधिक राशि डाल सकते हैं।

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