Braid Making Business: लाखों कमाई चोटी बनाने के व्यवसाय से, यूपी के इस शहर की चोटियों की लड़कियां हैं दीवानी
Braid Making Business: जिलाधिकारी उमेश प्रताप सिंह ने कहा कि फील नगर में कृत्रिम चोटियां बनाने से बड़े पैमाने पर स्वरोजगार पैदा हुआ है। ग्रामीण इस काम में लगे हुए हैं जिसके कारण उन्हें रोजगार की तलाश में पलायन करने के लिए मजबूर नहीं होना पड़ता है।
Braid Making Business: अगर आप कोई कारोबार खोलने का मन बना रहे हैं तो कृत्रिम चोटियां का बिजनेस में कदम रख सकते हैं। इस बिजनेस की मांग पूरे सीजन यानी 12 महीने बनी रहती है। इसकी वजह यह है कि लकड़ी बालों को स्टाइल के लिए कृत्रिम चोटियां का इस्तेमाल अधिक करती हैं,इससे उन्हें परफेक्ट लुक मिलता है। इसके अलावा कुछ लोग बड़े बड़े माल सप्लाई वाहनों को साजने के लिए इन कृत्रिम चोटियां उपयोग करते हैं। यहां तक बुरी नजर से बचने के लिए भी लोग दुकानों और घरों में कृत्रिम चोटियां टांगते हैं।
कैसे करें चोटी का व्यापार
इस व्यापार आप दो प्रकार से जोड़ सकते हैं, एक या तो आप इसका निर्माण करें या फिर आप जहां पर इसका निर्माण होता है, वहां के खरीदकर सीधे बिक्री करें। इसमें बिजनेस में खास बात यह होती है कि इसकी प्रोडक्ट खराब होने का कोई डर नहीं होता है और कई सालों को इसे रख सकते हैं और अच्छा लाभ कमा सकते हैं।
देश में है फील नगर वाली चोटियों की मांग
यूपी का शाहजहाँपुर का फील नगर इस वक्त कृत्रिम चोटियां निर्माण के मामले क्या सूबे और क्या देश दोनों जगह अपनी अलग पहचान बनाए हुए है। यहां पर बुनी गई कृत्रिम चोटियां लकड़ियों के बालों को परफेक्ट लुक और स्टाइल देती हैं, जिस वजह से महिलाओं के बीच फील नगर वाली चोटियों की मांग अधिक रहती है। जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर दूर स्थित यह गांव तिलहर ब्लॉक के अंतर्गत आता है। इस गांव का हर घर करीब करीब चोटी बनाने के बिजनेस से जुड़ा हुआ है और अपना जीवनयापन चला रहा है।
व्यवसाय से मिलता अच्छा लाभ
कृत्रिम चोटियां के कारोबार से जुड़े फील नगर के निवासी अजय कश्यप ने कहा कि इस कारोबार की अहमियत तब लोगों को समझ आई, जब कोरोना महामारी के दौरान बाहर गए लोगों को नौकरी चली गई थी। वह वापस गांव आए और इस व्यापार से जुड़ गए और आज भी वह इस व्यापार में आगे बढ़ाने के लिए काम कर रहे हैं। कश्यप ने कहा कि व्यवसाय ने मुझे महामारी के कठिन समय में गुजारा करने में मदद की है। मैं व्यवसाय का विस्तार करने की योजना बना रहा हूं,क्योंकि एक अच्छी चोटी पर अच्छा लाभ मिलता है।
जानिए कैसे तैयार होती हैं चोटियां
इस कारोबार से जुड़े व्यक्ति ने बताया कि जहां पर चोटियों को बनाने के लिए ग्रामीण राजस्थान के भीलवाड़ा और गुजरात के कुछ हिस्सों से कच्चा सूती धागा लाते हैं। इसकी ब्रेडिंग के लिए विभिन्न घरों में वितरित करने से पहले कच्चे धागों को साफ किया जाता है और आवश्यक आकार की चोटियों में काटा जाता है। घर पर लोग विशेषकर महिलाएं धागों को गूंथती हैं और अंत में गांठें बांधकर उन्हें सुरक्षित करती हैं। कश्यप का कहना है कि अन्य कारीगर चोटियों पर फूल बनाकर चोटी को सजाते हैं। इस तरह कई लोगों की मेहनत के बाद एक चोटी तैयार हो जाती है।
कई लोगों को मिल रहा रोजगार
ऐसा नहीं कि यह गांव इस कारोबार से खुद जीवित है, बल्कि कई घरों के लोगों को रोजगार दे रहा है। कश्यप ने कहा कि यहां पर प्रत्येक कारीगर ठेके पर काम करता है और उसे उसके काम के लिए भुगतान किया जाता है। कारीगर प्रतिदिन 300 से 500 रुपये कमा लेता है।
अच्छी चोटी तो अच्छा दाम
चोटी बनाने के काम के ठेकेदार अफरोज अली ने बताया कि गांव में चोटी पूरे साल बनाई जाती है, लेकिन अगस्त से अक्टूबर तक इसकी मांग ज्यादा रहती है। एक अच्छी चोटी 300 में बिकती है और व्यवसाय को बनाए रखने के लिए पर्याप्त लाभ मार्जिन देती है।
कई जगहों अब होता है उपयोग
स्थानीय लोगों के अनुसार, चोटियों को कुलदेवता के रूप में उपयोग किया जाता है और घरों और व्यवसायों के बाहर बांधा जाता है। लोग इसे अपने मवेशियों या पवित्र पेड़ों या निजी वाहनों पर भी बांधते हैं। चोटी ट्रक ड्राइवरों के बीच विशेष रूप से लोकप्रिय हैं जो अपने वाहनों को 40 से अधिक चोटियों से सजाते हैं।
रोजगार के लिए नहीं होता पालयन
जिलाधिकारी उमेश प्रताप सिंह ने कहा कि फील नगर में कृत्रिम चोटियां बनाने से बड़े पैमाने पर स्वरोजगार पैदा हुआ है। ग्रामीण इस काम में लगे हुए हैं जिसके कारण उन्हें रोजगार की तलाश में पलायन करने के लिए मजबूर नहीं होना पड़ता है। पहले यह विशिष्ट जातियों के लोगों द्वारा किया जाता था, लेकिन अब सभी जातियों के लोगों ने इसे अपना लिया है। महिलाएं अपने खाली समय का उपयोग चोटी बनाने और अच्छी आय प्राप्त करने में करती हैं।