सॉवरेन गोल्ड बांड में निवेश है सस्ता और फायदे का सौदा, इस महीने मिल रहा है दूसरा मौका
सोना है सदा के लिए। निवेश का यह मंत्र सदियों पुराना है। सोना अपने आप में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा है।
नई दिल्ली। सोना है सदा के लिए। निवेश का यह मंत्र सदियों पुराना है। सोना अपने आप में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा है। भारत में लोगों की सोना खरीदने की पसंद को इस तरह समझा जा सकता है कि हर साल लगभग 900 टन सोना आयात किया जा रहा है। लोगों की इसी पसंद को ध्यान में रखकर केंद्र सरकार पिछले कई साल से सॉवरेन गोल्ड बांड जारी कर रही है। इस साल 24 से 28 मई तक सरकार एक और मौका सॉवरेन गोल्ड बांड में निवेश का दे रही है। इस बार सॉवरेन गोल्ड बांड का मूल्य 4842 रुपये तय किया गया है। ऑनलाइन निवेश पर 50 रुपये की छूट दी जाएगी।
देश में आमतौर पर धन निवेश के तीन बड़े क्षेत्र हैं। शेयर बाजार, प्रापर्टी और सोना। इन तीनों में भी सोना को सबसे सुरक्षित निवेश माध्यम माना जाता है। आम भारतीय परिवारों का सोना में निवेश को लेकर भरोसा सबसे ज्यादा है। खास बात यह भी है कि सोना में निवेश करने के बाद अगर अन्य क्षेत्रों के मुकाबले कम वृद्धि भी मिलती है तो कभी कोई अफसोस नहीं करता। जबकि प्रापर्टी या शेयर मार्केट में निवेश करने के बाद अगर वृद्धि दर मामूली रहे तो निवेशक को ठगे जाने का अहसास होता है। सोना को भारतीय परिवारों में आभूषण के तौर पर भी इस्तेमाल किया जाता है।
भारतीय परिवारों की इसी मानसिकता और सुरक्षित निवेश धारणा को देखते हुए केंद्र सरकार ने सॉवरेन गोल्ड बांड स्कीम की शुरुआत की है। हर साल सरकार छह से सात मौकों पर सॉवरेन गोल्ड बांड जारी करती है। इस बांड में निवेश करने से नागरिकों को तो फायदा मिल ही रहा है केंद्र सरकार को भी सोने का भारी—भरकम आयात करने की जरूरत नहीं पड़ती है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर सॉवरेन गोल्ड बांड हर साल जारी नहीं किए जाते तो स्वर्ण आयात पर सरकार का निवेश दस से बीस प्रतिशत तक बढ़ जाता। इस बांड की वजह से सरकार का विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ रहा है और उसे लोगों से सीधा निवेश प्राप्त हो रहा है। भारत सरकार ने नवंबर 2015 में इस योजना की शुरुआत की है। वित्त मंत्रालय ने 2021—22 के लिए सॉवरेन बांड की छह श्रंखला खोलने का एलान किया है। पहली श्रंखला 17 से 21 मई के लिए खोली गई थी अब दूसरी श्रंखला 24 मई से शुरू हो रही है। पहली श्रंखला में गोल्ड मूल्य 4777 रुपये था जो अब बढ़कर 4842 हो गया है।
क्या है इस बांड की विशेषता
सॉवरेन गोल्ड बांड के तहत भारत का कोई भी नागरिक प्रतिवर्ष कम से कम एक ग्राम सोने की खरीद कर सकता है। एक व्यक्ति के लिए अधिकतम निवेश सीमा चार किलोग्राम प्रतिवर्ष तय की गई है। इसी तरह कोई संस्था या ट्रस्ट भी 20 किलोग्राम तक अधिकतम निवेश कर सकता है।
— इस बांड का उपयोग किसी तरह का कर्ज लेने के लिए बंधक या जमानत के तौर पर भी किया जा सकता है।
— यह बांड रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की ओर से जारी किए जाते हैं इसलिए निवेशक का धन पूरी तरह सुरक्षित रहता है।
— इन बांड्स को एक्सचेंज में भी ट्रेड किया जा सकता है।
— इस बांड की खासियत यह भी है कि इस पर सरकार की ओर से हर साल ढाई प्रतिशत ब्याज दिया जाता है। जो हर छह माह पर निवेशक को चुका दिया जाता है।
— हर साल मिलने वाले ढाई प्रतिशत ब्याज पर हालांकि निवेशक को आयकर देना पड़ता है लेकिन वह उसकी सालाना आय में जोड़कर तय किया जाता है।
— सॉवरेन गोल्ड बांड में निवेश की अवधि निर्धारित है। इसे आठ साल के लिए तय किया गया है। यानी निवेश की परिपक्वता आठ साल में पूरी होती है।
— परिपक्वता अवधि यानी आठ साल से पहले भी निवेश को वापस लिया जा सकता है। अगर पांच साल बाद निवेश वापस लिया जाता है तो दंड ब्याज नहीं देना पड़ता है अन्यथा सरकार की ओर से जो ढाई प्रतिशत ब्याज दिया गया है उसका दंड वसूला जाता है।
— इस बांड की विशेषता यह भी है कि आठ साल बाद परिपक्वता राशि उस वक्त मौजूद सोने के बाजार भाव से तय की जाएगी। यानी निवेश के समय अगर सोने का भाव 48 हजार रुपये प्रति दस ग्राम है और आठ साल बाद वह 80 हजार रुपये प्रति दस ग्राम पर पहुंच जाता है तो भुगतान आठ साल बाद के सोने के भाव पर किया जाएगा। इसके लिए भुगतान तिथि से पिछले सप्ताह के अंतिम तीन कारोबारी दिवस में 999 टंच वाले गोल्ड मूल्य को आधार माना जाएगा।
— परिपक्वता राशि पर कोई भी टैक्स नहीं लिया जाएगा।
— सोना खरीदने पर आभूषण की बनवाई और सोने में खोट का नुकसान निवेशक को उठाना पड़ता है जबकि सॉवरेन गोल्ड बांड में ऐसा नहीं है।