Retail Inflation: आम जनता को बड़ी राहत, खुदरा महंगाई दर 3 महीने के निचले स्तर पर

CPI Inflation October 2022: खुदरा महंगाई के मोर्चे पर आम आदमी के लिए अच्छी खबर आई है। सितंबर की तुलना में अक्टूबर महीने में खुदरा महंगाई दर में बड़ी गिरावट देखी गई है।

Written By :  aman
Update: 2022-11-14 14:41 GMT

 प्रतीकात्मक चित्र (Social Media)

Retail Inflation : महंगाई से परेशान देशवासियों को जल्द राहत मिलने के आसार नजर आ रहे हैं। देश में खुदरा महंगाई दर (Consumer Price Index) घटने लगी है। सितंबर की तुलना में अक्टूबर महीने में खुदरा महंगाई दर में तेज गिरावट देखी गई है। अक्टूबर में खुदरा महंगाई दर 6.77 प्रतिशत रही है। सितंबर में ये दर 7.41 फीसदी रही थी। केंद्र सरकार ने महंगाई दर का आंकड़ा सोमवार (14 नवंबर) को जारी किया है।

खुदरा महंगाई से पहले वाणिज्य मंत्रालय (Ministry of Commerce) ने थोक महंगाई (wholesale inflation) का आंकड़ा पेश किया। बीते 19 महीनों में थोक महंगाई में बड़ी गिरावट देखी गई है। यह एक अंक में पहुंच गई है।

महंगाई में कमी की वजह

सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने 14 नवंबर को अक्टूबर 2022 के लिए घरेलू उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) डाटा जारी किया है। महंगाई में कमी खाद्य वस्तुओं की कीमतें घटने की वजह से हुई है। गौरतलब है कि, खाद्य पदार्थों की लगातार बढ़ती कीमतों तथा ऊर्जा की उच्च लागत के चलते सितंबर में भारत की खुदरा मुद्रास्फीति बढ़कर 7.41 प्रतिशत हो गई थी। यह अप्रैल के बाद सबसे अधिक थी।

महंगाई में आने लगी कमी

इससे पहले, सोमवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक थोक महंगाई सूचकांक (Wholesale Price Index) 19 महीने के निचले स्तर पर आ गई। मार्च 2021 के बाद थोक महंगाई (WPI Inflation) पहली बार सिंगल डिजिट में है। ज्ञात हो, सितंबर में थोक मुद्रास्फीति 10.70 फीसदी थी। जबकि, अगस्त में ये 12.41 प्रतिशत थी।

क्यों आई खुदरा महंगाई में गिरावट?

खुदरा महंगाई (Retail Inflation) भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के निर्धारित दायरे से ज्यादा रही है। खुदरा महंगाई में गिरावट की वजह बेहतर बेस इफेक्ट को माना जा रहा है। हालांकि, सप्लाई चेन में रूकावटें आईं हैं। इसके पीछे की वजह मौजूदा राजनीतिक कारणों तथा कमोडिटी की कीमतों में बढ़ोतरी को माना जा रहा है। इससे महंगाई पर दबाव बढ़ा है। वहीं, अक्टूबर के लिए खाने की चीजों की महंगाई 7.01 प्रतिशत रही है। यह पिछले महीने 8.6 फीसदी पर मौजूद थी।

दरअसल, भारतीय रिजर्व बैंक अपनी नीतिगत दरों की घोषणा के लिए खुदरा महंगाई दर को ही पैमाना मानता है। इसके बारे में अनुमान है कि ये 7 फीसदी से कम रह सकती है। इसी खुदरा महंगाई दर के आधार पर आरबीआई रेपो रेट (RBI Repo Rate) का ऐलान करता है। मई से सितंबर तक RBI ने रेपो रेट 1.90 बेसिस पॉइंट तक का इजाफा किया। मौजूदा वक्त में रेपो रेट 5.90 प्रतिशत है, जो खुदरा महंगाई दर पर आधारित है। रेपो रेट में बढ़ोतरी इसलिए देखी जा रही है क्योंकि खुदरा महंगाई (Retail Inflation) RBI के टोलरेंस रेट यानी जिस दर पर महंगाई स्थिर रहनी चाहिए, 6 फीसद से ऊपर चल रही है।

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