Crude Oil History Wikipedia: दुनिया से कब मुलाकात हुई काले सोने की, कैसे शुरू हुआ इसका उत्पादन, आइए जानते हैं
Crude Oil History Wikipedia in Hindi: कच्चे तेल का सबसे पहला उल्लेख प्राचीन समय में मिलता है। 3000 ईसा पूर्व में, मेसोपोटामिया के सुमेरियन और बाबिलोनियन सभ्यताओं ने इसे जलाने और जलरोधक सामग्री के रूप में उपयोग किया।
Crude Oil History Wikipedia in Hindi: कच्चा तेल, जिसे ‘ब्लैक गोल्ड’ भी कहा जाता है, मानव इतिहास में सबसे महत्त्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधनों में से एक है। यह प्राकृतिक हाइड्रोकार्बन का मिश्रण है, जो धरती के अंदर गहराई में सदियों से जमा जैविक अवशेषों से बना है। इसकी खोज और उपयोग का इतिहास सभ्यता के विकास, औद्योगिक क्रांति और आधुनिक ऊर्जा के क्षेत्र में बेहद महत्त्वपूर्ण रहा है। आइए, इस लेख में कच्चे तेल के इतिहास, इसकी खोज, उपयोग और वैश्विक प्रभावों पर विस्तार से चर्चा करें।
प्रारंभिक खोज और पहला उपयोग
कच्चे तेल का सबसे पहला उल्लेख प्राचीन समय में मिलता है। 3000 ईसा पूर्व में, मेसोपोटामिया के सुमेरियन और बाबिलोनियन सभ्यताओं ने इसे जलाने और जलरोधक सामग्री के रूप में उपयोग किया। प्राचीन मिस्रवासी कच्चे तेल का उपयोग ममीकरण प्रक्रिया में करते थे। 4वीं शताब्दी में, चीन में बांस की पाइपों का उपयोग करके तेल का खनन किया गया।
9वीं शताब्दी में, फारसी वैज्ञानिक अल-राझी ने डिस्टिलेशन प्रक्रिया के जरिए कच्चे तेल से मिट्टी का तेल (केरोसिन) निकाला। हालांकि, औद्योगिक उपयोग की दिशा में इसे व्यवस्थित रूप से विकसित करने का प्रयास 19वीं शताब्दी में शुरू हुआ।
कच्चे तेल की आधुनिक खोज: पहला व्यावसायिक कुआं
कहते हैं कि आधुनिक युग से पहले तेल और गैस का उपयोग बेहद सीमित था। चीन में 347 ईस्वी में तेल के कुएं खोदे गए थे। लेकिन आधुनिक युग में यह बिल्कुल गायब था। 15वीं और 16वीं शताब्दी में रात का समय अंधेरे में डूबा रहता था। तब लोग रात में बाहर नहीं निकलते थे। अगर किसी को रात में कुछ करना होता, तो इसकी तैयारी पहले से करनी पड़ती थी। उस समय अमेरिका और यूरोप में लोग रोशनी के लिए खास मछलियों और पक्षियों का इस्तेमाल करते थे।
अमेरिका में सैल्मन मछली को सुखाकर जलाया जाता, जबकि स्कॉटलैंड में पेट्रेल नामक चिड़िया का तेल प्रयोग होता था। इस चिड़िया के गले में बत्ती डालकर मोमबत्ती की तरह जलाया जाता था। यह तरीका प्रभावी था।लेकिन बेहद अस्थायी और अप्राकृतिक।
व्हेल ऑयल: रोशनी का नया स्रोत
1700 से 1850 के बीच व्हेल मछली के तेल का प्रचलन शुरू हुआ। इसका इस्तेमाल लैंप जलाने के लिए किया जाने लगा। अमेरिका इस व्यापार में अग्रणी था। व्हेल का तेल अमेरिका की पांचवीं सबसे बड़ी इंडस्ट्री बन गया।
हजारों व्हेल का शिकार होता और समुद्र में तेल ढोने वाले जहाज चलते। लेकिन यह तरीका नैतिकता के खिलाफ था।
मिट्टी का तेल: क्रांति का पहला कदम
1846 में कनाडा के वैज्ञानिक अब्राहम गेस्नर ने कोयला और ऑयल शेल से मिट्टी का तेल बनाया।
यह व्हेल ऑयल से सस्ता और ज्यादा उपयोगी था। जल्द ही यह हर घर तक पहुंच गया। सड़कों पर भी मिट्टी के तेल से लैम्प जलने लगे। गरीब-अमीर सभी इसका इस्तेमाल करने लगे।
कच्चे तेल की खोज: एक ऐतिहासिक घटना
1858 में अमेरिका के प्रोफेसर जॉर्ज बिसेल ने पेंसिल्वेनिया में जमीन पर पाए गए तेल जैसे तरल पदार्थ का अध्ययन किया।
उन्होंने इसे लैम्प जलाने के लिए उपयुक्त पाया। लेकिन तेल के कुएं की खुदाई के लिए उन्हें एक विशेषज्ञ की जरूरत थी।
एडविन ड्रेक: पहले तेल खोजकर्ता
प्रोफेसर बिसेल ने एडविन ड्रेक नामक व्यक्ति को इस काम के लिए नियुक्त किया। ड्रेक ने विलियम स्मिथ उर्फ़ अंकल बिली को भी काम पर लगाया, जो खुदाई के अनुभवी थे।
1859 में ड्रेक और बिली ने पेंसिल्वेनिया के टाइटसविले इलाके में ड्रिलिंग शुरू की। शुरुआत में असफलता हाथ लगी। लेकिन 28 अगस्त, 1859 को 69 फीट की गहराई पर तेल का बड़ा भंडार मिला।
पहला तेल कुंआ और नई शुरुआत
ड्रेक की इस खोज ने दुनिया को बदल दिया। जल्द ही पेंसिल्वेनिया का टाइटसविले क्षेत्र तेल उद्योग का केंद्र बन गया। यहां हजारों लोग बसे, और इसे ऑइल सिटी का नाम दिया गया।
तेल के भंडार का खत्म होना
1866 तक टाइटसविले में तेल की मात्रा घटने लगी। एक समय 6,000 बैरल प्रतिदिन तेल निकालने वाले क्षेत्र में तेल खत्म हो गया।
लोग वहां से अन्य स्थानों पर चले गए। लेकिन तब तक यह दुनिया के लिए साबित हो चुका था कि जमीन के नीचे तेल का विशाल भंडार है।
तेल उद्योग का विस्तार
पेंसिल्वेनिया की सफलता ने तेल उद्योग को नई ऊंचाइयां दीं। अमेरिका के टेक्सास, अलास्का और ओहियो में बड़े तेल भंडार खोजे गए। जल्द ही अमेरिका दुनिया का सबसे बड़ा तेल उत्पादक बन गया।
इस प्रकार आधुनिक इतिहास में कच्चे तेल की पहली व्यावसायिक खोज 1859 में अमेरिका के पेन्सिलवेनिया में हुई। एडविन ड्रेक ने दुनिया का पहला तेल कुआं ‘ड्रेक वेल’ खोदा, जो कच्चे तेल के व्यावसायिक उत्पादन की शुरुआत का प्रतीक बना।यह खोज औद्योगिक क्रांति के समय हुई, जब मशीनों और परिवहन के लिए ऊर्जा की भारी मांग थी। जल्द ही, अमेरिका और रूस कच्चे तेल के प्रमुख उत्पादक बन गए।
अन्य देशों में तेल की खोज
1870 के दशक में बाकू, अजरबैजान में बड़े तेल भंडार पाए गए। यह क्षेत्र “
‘ब्लैक गोल्ड’ का पहला वैश्विक केंद्र बना।1908 में ईरान में कच्चे तेल का विशाल भंडार मिला, जिसने इस क्षेत्र को तेल उत्पादन का केंद्र बना दिया। ब्रिटिश पेट्रोलियम (BP) जैसी कंपनियां इसी समय स्थापित हुईं।1938 में सऊदी अरब में पहला तेल कुआं खोजा गया। इसके बाद, यह देश दुनिया का सबसे बड़ा तेल निर्यातक बना।भारत में कच्चे तेल की खोज असम के डिगबोई क्षेत्र में 1867 में हुई। इसे भारत का पहला तेल शहर कहा जाता है।
कच्चे तेल का औद्योगिक उपयोग और महत्त्व
कच्चा तेल आधुनिक औद्योगिक और आर्थिक विकास का आधार है। 19वीं और 20वीं शताब्दी में इसका उपयोग ऊर्जा, परिवहन और रसायन उद्योग में बड़े पैमाने पर होने लगा। पेट्रोल, डीजल, एविएशन फ्यूल और प्लास्टिक जैसे उत्पाद कच्चे तेल से बनते हैं। तेल आधारित ऊर्जा ने औद्योगिक क्रांति को गति दी। भाप इंजन के बाद, आंतरिक दहन इंजन और इलेक्ट्रिक जनरेटर ने उत्पादन में तेजी लाई।ऑटोमोबाइल और विमानन उद्योग का विकास कच्चे तेल पर निर्भर रहा है।पेट्रोकेमिकल्स से प्लास्टिक, दवाइयां और उर्वरक बनाए जाते हैं।
वैश्विक राजनीति और कच्चे तेल का प्रभाव
कच्चे तेल ने न केवल औद्योगिक और आर्थिक, बल्कि वैश्विक राजनीति को भी प्रभावित किया है। तेल-समृद्ध देशों की शक्ति बढ़ी और उन्होंने वैश्विक अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव डाला।1960 में, कच्चे तेल का उत्पादन करने वाले देशों ने “ऑर्गनाइजेशन ऑफ पेट्रोलियम एक्सपोर्टिंग कंट्रीज” (OPEC) का गठन किया। यह संगठन तेल की कीमतों को नियंत्रित करता है।1973 और 1979 के तेल संकट ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को हिला दिया। इससे ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों पर ध्यान बढ़ा। मध्य पूर्व में कई युद्धों का मुख्य कारण तेल रहा है। खाड़ी युद्ध इसका प्रमुख उदाहरण है।
आज दुनिया में सबसे ज़्यादा कच्चा तेल (crude oil) सऊदी अरब, रूस, और संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) जैसे देशों में होता है। इनमें से सऊदी अरब को सबसे बड़े तेल उत्पादक देशों में से एक माना जाता है।
भूगर्भीय स्थिति: इन देशों की भूगर्भीय संरचना ऐसी है कि यहाँ तेल के विशाल भंडार मौजूद हैं। सऊदी अरब और रूस के पास दुनिया के कुछ सबसे बड़े तेल क्षेत्रों का स्वामित्व है, जैसे सऊदी अरब में "गव्वर" (Ghawar) फील्ड, जो विश्व का सबसे बड़ा कच्चे तेल का क्षेत्र है।
प्रौद्योगिकी और खनन क्षमता: इन देशों में तेल खनन के लिए अत्याधुनिक तकनीक और सुविधाएं हैं, जिससे वे बड़ी मात्रा में कच्चा तेल निकालने में सक्षम हैं।सऊदी अरब और रूस जैसे देशों के पास बड़े पैमाने पर तेल और गैस के प्राकृतिक संसाधन हैं, जो दशकों से बने हुए हैं और उत्पादन के लिए उपयोग किए जाते हैं। कई तेल-उत्पादक देशों की सरकारों की नीतियां तेल उत्पादन को बढ़ावा देती हैं, जैसे सऊदी अरब में राज्य-स्वामित्व वाली कंपनी ‘सऊदी अरामको’ जो दुनिया की सबसे बड़ी तेल कंपनी है।
भारत में स्वतंत्रता प्राप्ति तक केवल असम राज्य में ही खनिज तेल का उत्खनन किया जाता था। इसके बाद, गुजरात और मुंबई (बॉम्बे) में भी खनिज तेल की खोज की गई। वर्तमान में भारत में लगभग 14.1 लाख वर्ग किलोमीटर का संभावित तेल क्षेत्र है। भारत का कुल खनिज तेल भंडार लगभग 1750 लाख टन है।
कच्चे तेल का पर्यावरणीय प्रभाव
तेल उद्योग ने वैश्विक ऊर्जा की मांग को पूरा किया। लेकिन इसके दुष्प्रभाव भी हुए।तेल के जलने से बड़ी मात्रा में ग्रीनहाउस गैसें निकलती हैं, जो ग्लोबल वार्मिंग का मुख्य कारण हैं।समुद्र में तेल रिसाव ने जलीय जीवन को नुकसान पहुंचाया है।तेल खनन से पर्यावरण को भारी क्षति होती है।
दुनिया से कब मुलाकात हुई काले सोने की, कैसे शुरू हुआ इसका उत्पादन , आइए जानते हैं
कच्चे तेल पर निर्भरता कम करना आज की सबसे बड़ी चुनौती है।सौर, पवन और जल ऊर्जा जैसे वैकल्पिक स्रोतों का उपयोग बढ़ रहा है।पेट्रोल-डीजल के विकल्प के रूप में इलेक्ट्रिक वाहनों का विकास हो रहा है।हाइड्रोजन ईंधन और बायोफ्यूल जैसे नए ऊर्जा स्रोतों पर शोध जारी है।
कच्चे तेल की खोज और उपयोग ने मानव सभ्यता को गहरे तरीके से प्रभावित किया है। यह औद्योगिक और तकनीकी विकास का आधार बना। लेकिन इसके पर्यावरणीय और राजनीतिक प्रभाव भी उतने ही महत्वपूर्ण रहे। भविष्य में, ऊर्जा के स्थायी स्रोतों की ओर बढ़ना न केवल पर्यावरण के लिए, बल्कि वैश्विक स्थिरता के लिए भी आवश्यक है। कच्चे तेल का इतिहास हमें सिखाता है कि कैसे प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग मानव प्रगति को गति देता है। लेकिन यह भी याद दिलाता है कि संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।