Cryptocurrency: भारत से बोरिया बिस्तर बांध रहे क्रिप्टो एक्सचेंज और डेवलपर
भारत के सबसे बड़े क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज वज़ीरएक्स के सह-संस्थापक निश्चल शेट्टी और सिद्धार्थ मेनन, अपने परिवारों के साथ दुबई चले गए हैं। पॉलीगॉन के सह-संस्थापक संदीप नेलवाल भी उन लोगों में शामिल हैं, जो पिछले दो वर्षों में दुबई में स्थानांतरित हुए हैं।
Cryptocurrency: भारत में क्रिप्टोकरेंसी के अनिश्चित भविष्य को देखते हुये कई भारतीय क्रिप्टो उद्यमी और डेवलपर्स देश से बाहर अन्यत्र अपना बेस बना रहे हैं। भारत के सबसे बड़े क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज "वज़ीरएक्स" के सह-संस्थापक, निश्चल शेट्टी (WazirX co-founder Nischal Shetty) और सिद्धार्थ मेनन, अपने परिवारों के साथ दुबई चले गए हैं। "पॉलीगॉन" के सह-संस्थापक संदीप नेलवाल (Polygon Co-Founder Sandeep Nelwal) भी उन लोगों में शामिल हैं, जो पिछले दो वर्षों में दुबई में स्थानांतरित हुए हैं। इसके पहले ज़ेबपे और वॉल्द सिंगापुर में स्थानांतरित हो चुके हैं। कॉइनडीसीएक्स की अब सिंगापुर शाखा ऑपरेट कर रही है। यह डेवलपमेंट कुछ क्रिप्टो प्लेटफार्मों के खिलाफ प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा की गई कार्रवाई, हर कुछ हफ्तों में जारी किए जा रहे नए नियमों और नियामक बदलावों के मद्देनजर हुए हैं।
क्रिप्टोकरेंसी तंत्र को बढ़ावा देने वालों में शुमार यूएई और सिंगापुर
बीच, यूएई (UAE) और सिंगापुर (Singapore) सक्रिय रूप से क्रिप्टोकरेंसी तंत्र को बढ़ावा देने वालों में शुमार हैं। ये निवेशकों को नीति निश्चितता प्रदान करते हैं और प्रतिभा पूल को आकर्षित करने और बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन देते हैं। यही वजह है कि क्रिप्टो एक्सचेंज के संस्थापक, इस क्षेत्र में काम कर रहे कई डेवलपर्स और इंजीनियर पहले ही बाहर चले गए हैं या दुबई और सिंगापुर जाने पर विचार कर रहे हैं। दुबई अपनी अनुकूल नीतियों के कारण क्रिप्टो निवेश के लिए एक हॉटस्पॉट के रूप में उभरा है। इस साल मार्च में, दुबई ने वर्चुअल एसेट्स रेगुलेटरी अथॉरिटी की स्थापना की, जिसे दुबई को वर्चुअल एसेट्स के हब के रूप में बढ़ावा देने, निवेश आकर्षित करने और निवेशकों की सुरक्षा के लिए सिस्टम प्रदान करने के लिए नामित किया गया है। इसके अतिरिक्त, दुबई में, कोई आयकर नहीं है और 5 फीसदी वैट के अलावा, आभासी संपत्ति बेचने से होने वाला लाभ वस्तुतः कर-मुक्त है।
भारत में क्रिप्टोकरेंसी की स्थिति
भारत में क्रिप्टोकरेंसी को आधिकारिक मान्यता 2018 में शुरू हुई, जब भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकों को क्रिप्टो ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म पर पैसे की आपूर्ति में कटौती करने का निर्देश दिया। लेकिन इस कदम को 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने उलट दिया था। पिछले साल की शुरुआत मेंसरकार ने एक विधेयक की शुरूआत को सूचीबद्ध किया था। संसद ने सभी निजी क्रिप्टोकरेंसी पर रोक लगा दी, लेकिन विधेयक पेश नहीं किया गया।
इस साल 2022-23 के केंद्रीय बजट के दौरान, वर्चुअल डिजिटल संपत्ति पर 30 फीसदी कर का प्रावधान पेश किया गया था। बाद में, सरकार ने 1 जुलाई से क्रिप्टोकरेंसी के लेनदेन पर 1 फीसदी टीडीएस कटौती की शुरुआत की। क्रिप्टो उद्योग ने तर्क दिया है कि 1 फीसदी टीडीएस क्रिप्टो व्यापारियों के लिए निवेश पूंजी को बंद कर देता है, अतः 0.1 फीसदी रखा जाना चाहिए।
पिछले हफ्ते, सरकार ने 1 फीसदी टीडीएस काटने पर क्रिप्टो एक्सचेंजों, खरीदारों, विक्रेताओं और दलालों जैसी विभिन्न संस्थाओं की जिम्मेदारियों का विवरण देते हुए दिशानिर्देश जारी किए। इसने टीडीएस काटने के लिए खरीदार के निकटतम इकाई पर जिम्मेदारी डाल दी। प्रत्यक्ष कर विभाग ने यह भी कहा कि अगर एक क्रिप्टोकरेंसी का दूसरे के खिलाफ आदान-प्रदान होता है, तो भी इसी विनिमय दर पर कर काटा जाना होगा। अब क्रिप्टोकरेंसी का भविष्य क्या होगा, इसके बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता। फिलहाल तो क्रिप्टो मार्केट खराब स्थिति में है। क्रिप्टो एक्सचेंजों ने अब तो धन निकासी पर रोक भी लगा दी है।