ग्राहकों को लूट रहे हैं सार्वजनिक बैंक

2013-14 से 2017-18 और 1 अप्रैल 2018 से 30 सितम्बर 2018 के दौरान सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के बैंकों द्वारा रिपोर्ट किए गए अन्य परिचालन आय शुल्क मे आय मे कमीशन, एक्सचेज़ और ब्रोकरेज भी शामिल है|

Update:2019-02-26 12:55 IST

नई दिल्ली: बैंकों ने ना जाने कितने तरह की छोटी-बड़ी सुविधाओं के नाम पर ग्राहकों से शुल्क ले रहे है, जिसमे चेक बूक जारी करना,मोबाइल सुविधा व एटीएम से पैसे निकालने और भी अन्य चीजें शामिल हैं| साल 2013-14 से अब तक बैंको ने 2 लाख 88 हजार करोड़ रुपये किसी ना किसी वजह से लिया हैं| निजी बैंकों ने इन सालों मे 1 लाख 12 हज़ार 154 करोड़ रुपए वसूले हैं| वही सार्वजनिक बैंकों ने 1 लाख 76 हज़ार 278 करोड़ की वसूली की है|

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आरटीआई के तहत मिली जानकारी के अनुसार भारतीय रिज़र्व बैंक(आरबीआई) की ओर से बताया गया कि क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों कों छोड़कर अनुसूचित वाणिज्यक बैंकों कों उनके बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीतियों के अनुसार विभिन्न प्रकार कि सेवाओं पर सेवा प्रभार तय करने कि स्वतंत्रता दी गयी है| आरबीआई ने बताया कि नियम, के अनुसार सेवा प्रभार तय करते समय बैंकों कों यह सुनिश्चित करना होगा कि प्रभार उचित हो और औसत लागत से अधिक न हो| आरबीआई ने जवाब मे यह भी बताया कि बैंक ग्राहको कों पूर्व सूचना देने के बाद उसे लागू करेंगे|

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2013-14 से 2017-18 और 1 अप्रैल 2018 से 30 सितम्बर 2018 के दौरान सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के बैंकों द्वारा रिपोर्ट किए गए अन्य परिचालन आय शुल्क मे आय मे कमीशन, एक्सचेज़ और ब्रोकरेज भी शामिल है|

यूनियन बैंक से जुड़े संजीव मेहरोत्रा बताते है कि एसबीआइ और बैंक ऑफ बड़ौदा खाते में न्यूनतम बैलेन्स 3000 से कम रखने पर और अन्य बैंक 1000 रुपए से कम रखने पर 100 रुपए से अधिक का शुक्ल लेते हैं| इसी तरह चेक वापसी पर तो दोनों पक्षों से सरकारी बैंक 2 से 300 रुपए और निजी बैंक 550 रुपए शुल्क वसूल करते हैं|

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