Business acquisition: बादशाह मसाला पर अब यह कंपनी करेगी बादशाहत, 51 फीसदी हिस्सेदारी अधिग्रहण
Business acquisition: डाबर इंडिया और बादशाल मसाला के बीच 587.52 करोड़ रुपये में डील हुई। डाबर शेष 49 फीसदी हिस्सेदारी पांच साल बाद खरीदेगा।
Business Acquisition: भारतीय मासालों के उद्योग पर राज करने वाली कंपनी बादशाह मसाला अब हिस्सेदारी बेच दी है। देश की एफएमसीजी कंपनी डाबर इंडिया ने बादशाह मसाला कंपनी को अधिग्रहण कर लिया है। फिलहाल, कंपनी ने बादशाह मसाला की अभी 51 प्रतिशत हिस्सेदारी 587.52 करोड़ रुपये में अधिग्रहण की है। आने वाले कुछ वर्षों में अन्य हिस्सेदारी भी डाबर अधिग्रहण करेगा। इस हिस्सेदारी के अधिग्रहण के साथ अब डॉबर ने एफएमसीजी क्षेत्र के अलावा मसाले और मसाला श्रेणी में भी कदम रख दिया है। डाबर ने बादशाह मसाला के साथ हुए इस डील की जानकारी बुधवार को शेयर बाजार में दी है।
बाकी हिस्सेदारी 5 साल बाद होगी
इस डील के बाद दोनों कंपनियों की ओर से एक बयान आया है। इस बयान में इन कंपनियों ने कहा कि डाबर ने बादशाह मसाला प्राइवेट लिमिटेड की 51 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल करने के लिए निश्चित लेनदेन समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं। डाबर इंडिया ने कहा कि 51 प्रतिशत इक्विटी शेयरहोल्डिंग को समापन तिथि के अनुसार 587.52 करोड़ रुपये कम आनुपातिक ऋण पर सहमति दी गई है। शेष 49 फीसदी हिस्सेदारी कंपनी की पांच साल बाद अधिग्रहण होगी। बादशाह मसाला का कारोबार देश में करीब 1,152 करोड़ रुपये है।
डील व्यवस्या बढ़ाने में करेगी मदद
भारत में 25,000 करोड़ रुपये से अधिक का ब्रांडेड मसालों और मसाला बाजार है। इस पर डाबर इंडिया के अध्यक्ष मोहित बर्मन ने कहा कि भारतीय मसाले और मसाला श्रेणी एक बड़ा और आकर्षक बाजार है। बादशाह मसाला इस क्षेत्र में प्रमुख खिलाड़ियों में से एक है। बादशाह मसाला में हमारा निवेश इस व्यवसाय को बढ़ाने में मदद करेगा।
दोनों कंपनियों की आर्थिक स्थिति
बादशाह मसाला साल 1958 में स्थापित हुआ था। इस कंपनी पर मालिकाना हक झावेरी परिवार का है। कंपनी दो प्लांट गुजरात के उमरगाम में स्थित हैं। वित्त वर्ष वित्त वर्ष 2021-22 में बादशाह मसाला के कारोबार 189.1 करोड़ रुपये था। इसमें कंपनी ने 82 फीसदी राजस्व अपने मिश्रित मसालों के हासिल किया है। वहीं, डाबर इंडिया लिमिटेड भारत की चौथी सबसे बड़ी एफएमसीजी कंपनी है। कंपनी ने वित्त वर्ष 2021-22 में 10,888.68 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त किया था। इसके बाजार में 250 से अधिक हर्बल/आयुर्वेदिक उत्पाद मौजूद हैं।