चीन से पिछड़ा US: बना भारत का व्यापारिक साझेदार, तनाव के बाद धंधे में कमी नहीं

जनवरी से दिसंबर 2020 तक भारत और चीन के बीच व्यापार 77.67 बिलियन डालर का रहा। अमेरिका से हुए 75.95 बिलियन डालर के बिजनेस को देखें तो चीन से हमने ज्यादा धंधा किया। चीन से भारत का बिजनेस 2019 की तुलना में थोड़ा कम जरूर था जो 85.47 बिलियन डालर का रहा था। 

Update: 2021-02-27 07:29 GMT
चीन से पिछड़ा US: बना भारत का व्यापारिक साझेदार, तनाव के बाद धंधे में कमी नहीं

नई दिल्ली: 2020 कोरोना के अलावा लद्दाख में तनाव के साथ भी बीता है। कोरोना और लद्दाख के तनाव में चीन की बड़ी भूमिका है। सीमा के तनाव के कारण भारत और चीन के रिश्ते बहुत खराब हुए हैं, भारत ने चीन से जुड़े व्यवसायों के खिलाफ कदम भी उठाये हैं। लेकिन सब कुछ होते हुए भी चीन एक बार फिर भारत का टॉप व्यापारिक साझेदार बन गया है। 2019 में भारत का सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर अमेरिका था लेकिन चीन ने अमेरिका को नीचे खिसका दिया है।

जनवरी से दिसंबर 2020 तक भारत और चीन के बीच व्यापार 77.67 बिलियन डालर का रहा। अमेरिका से हुए 75.95 बिलियन डालर के बिजनेस को देखें तो चीन से हमने ज्यादा धंधा किया। चीन से भारत का बिजनेस 2019 की तुलना में थोड़ा कम जरूर था जो 85.47 बिलियन डालर का रहा था।

चालू वित्त वर्ष 2020-21 के प्रोविजिनल डेटा के अनुसार चीन अमेरिका से कहीं आगे है। अप्रैल से दिसंबर तक के डेटा के अनुसार चीन ने भारत से 60.63 बिलियन डालर का बिजनेस किया है जबकि अमेरिका से 55 बिलियन डालर का ही बिजनेस हुआ है।

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(फोटो- सोशल मीडिया)

व्यापार घटाने की कोशिश

भारत कई साल से इस कोशिश में है कि वह व्यापार असंतुलन को कम करे और चीनी आयात पर निर्भरता को घटाए। इस कोशिश में सफलता 2018 में मिली थी जब अमेरिका से ट्रेड चीन की अपेक्षा काफी ज्यादा रहा। लेकिन कोरोना आने के कारण अमेरिका से बिजनेस को भरी झटका लग गया। लेकिन जब भारत और चीन की सेनाएं पूर्वी लद्दाख में आमने सामने आ गयीं थीं तब भी चीन व्यापार साझेदारों की लिस्ट में टॉप पर बना रहा।

2020 में भारत ने आत्मनिर्भरता का संकल्प लिया और आत्म निर्भर भारत अभियान शुरू किया और साथ ही देश में चीनी निवेश को सीमित करना शुरू कर दिया। दर्जनों चीनी ऐप बैन कर दिए गए। एक चीनी फर्म को मिला बड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर ठेका रद कर दिया गया और कुछ ख़ास तरह के पावर उपकरण का आयात बैन कर दिया गया। चीन से किन्हीं ख़ास महत्वपूर्ण उत्पादों पर निर्भरता घटाने के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम शुरू की गईं। लेकिन इन सबका असर दिखने में कई साल लग सकते हैं।

आयात और निर्यात

2020 में चीन से आयात सामानों में टॉप पर विद्युत् मशीनरी और उपकरण रहे जिनका 17.82 बिलियन डालर का इम्पोर्ट किया गया। इसके बाद नाभिकीय रिएक्टर, बायलर, मशीन और मशीनी उपकरण रहे जिनका 12.35 बिलियन डालर का आयात किया गया। ये स्थिति तब है जबकि एक साल पहले इन आइटम्स का आयात 11 फीसदी ज्यादा था।

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निर्यात की बात करें तो भारत से आयरन और स्टील का एक्सपोर्ट 2019 की तुलना में 319.14 फीसदी ज्यादा हुआ है। जनवरी से दिसंबर 2020 तक इन आइटम्स का निर्यात 2.38 बिलियन डालर का रहा। 2019 में ये एक्सपोर्ट 567 मिलियन डालर का था। इसके अलावा अयस्क, स्लैग, और राख का निर्यात 2019 की तुलना में 62 फीसदी बढ़ गया। 2019 में इनका एक्सपोर्ट 2.15 बिलियन डालर का था जो 2020 में 3.48 बिलियन डालर का रहा।

चीन का निवेश

चीन भारत में कभी भी एक भारी निवेशक नहीं रहा है। चीन ने 2013 से 2020 के बीच भारत में 2.174 अरब डॉलर निवेश किया था। ये राशि भारत में विदेशी निवेश का एक छोटा हिस्सा है। वाणिज्य मंत्रालय के मुताबिक़, साल 2020 में अप्रैल से नवंबर के बीच भारत में 58 अरब डॉलर से अधिक विदेशी निवेश आया था।

(फोटो- सोशल मीडिया)

व्यापार असंतुलन

भारत चीन में बनी भारी मशीनरी, दूरसंचार उपकरण और घरेलू उपकरणों पर बहुत अधिक निर्भर है और ये चीन से आयात किए सामानों का एक बड़ा हिस्सा है। परिणामस्वरूप, 2020 में चीन के साथ द्विपक्षीय व्यापार अंतर लगभग 40 अरब डॉलर था। इतना बड़ा व्यापारिक असंतुलन किसी दूसरे देश के साथ नहीं है। कई विशेषज्ञ कहते हैं कि फ़िलहाल चीन से पीछा छुड़ाना असंभव है और चीन पर भारत की निर्भरता अगले कई सालों तक बनी रहेगी।

अमेरिका और चीन दोनों प्रमुख निर्यातक और प्रमुख आयातक भी हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि निर्यात प्रतिस्पर्धा लागत लाभ पर निर्भर करती है और इसलिए निर्यात बढ़ाने के लिए बहुत सारे सेक्टर में हमें कच्चा माल, और पार्ट पुर्ज़े आयात करते रहना पड़ेगा।

चीन महामारी की तबाही से सबसे मज़बूत तरीके से उभरा है और चीनी अर्थव्यवस्था ठोस स्तम्भ पर टिकी है। भारत की अर्थव्यवस्था भी महामारी की चोट से धीरे-धीरे उभर रही है।

नील मणि लाल

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