IPO में कर रहे हैं निवेश, तो कंपनी के बारे में ऐसे करें जांच, फिर लें फैसला

कोरोना वैक्सीन के आ जाने से बाजार में तेजी के रुझान हैं जिसका फायदा उठाते हुए कंपनियों ने वर्ष 2020 में सितंबर से दिसंबर के बीच आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) के जरिये 15,774.2 करोड़ रुपये जुटाए।

Update: 2021-01-29 14:19 GMT
IPO में कर रहे हैं निवेश, तो कंपनी के बारे में ऐसे करें जांच, फिर लें फैसला

नई दिल्ली: इस साल निवेश के लिहाज से आईपीओ एक अच्छा विकल्प है। कोरोना वैक्सीन के आ जाने से बाजार में तेजी के रुझान हैं जिसका फायदा उठाते हुए कंपनियों ने वर्ष 2020 में सितंबर से दिसंबर के बीच आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) के जरिये 15,774.2 करोड़ रुपये जुटाए। रिपोर्ट के मुताबिक इस साल भी खूब आईपीओ आने के आसार हैं। जनवरी में ही कुछ बड़े आईपीओ आ चुके हैं और सिलसिला जारी रहने की उम्मीद है। लेकिन यहां आईपीओ में निवेश करने से पहले और शेयरों पर दांव लगाने से पहले निवेशकों को कुछ बातें जान लेनी चाहिए।

निवेश करने से पहले जोखिमों का पता लगाना जरूरी

आईपीओ में बड़ा जोखिम सूचनाओं में असमानता से पैदा होता है। सैमको सिक्योरिटीज के संस्थापक और मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) जिमित मोदी ने बताया कि 'शेयर बेचने वाले के पास कंपनी के बारे में निवेशक से ज्यादा सूचना होती हैं।' आम तौर पर कंपनियां अपने अच्छे तिमाही नतीजों के तत्काल बाद आईपीओ लेकर आती हैं।

जिमित मोदी ने कहा, 'निवेशक मान लेते हैं कि हाल का प्रदर्शन ही आगे भी जारी रहेगा और ज्यादा कीमत देने को तैयार हो जाते हैं।' कई बार आधार कम होने की वजह से वृद्धि अधिक नजर आती है। मैक्सिमल कैपिटल के संस्थापक और सेबी में पंजीकृत निवेश सलाहकार सर्वेश गुप्ता ने कहा, 'निवेशक लंबे समय से एक्सचेंजों में सूचीबद्घ कंपनियों का कई कारोबारी चक्रों का प्रदर्शन देख सकते हैं और उनका बेहतर आकलन कर सकते हैं।'

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ऊंचा मूल्यांकन सबसे बड़ा जोखिम होता है

कंपनियां नई या पुरानी होने से भी जोखिम पैदा होते हैं। इंडियन स्कूल ऑफ बिज़नेस में एसोसिएट प्रोफेसर (फाइनैंस) रामभद्रन तिरुमलाई ने कहा, 'उनमें से बहुत सी नई हैं। उनके ब्रांड ठीक से स्थापित नहीं हैं और उनकी बाजार हिस्सेदारी कम है। इन वजहों से उनमें ब्लू-चिप कंपनियों की तुलना में ज्यादा जोखिम होता है।' उनके प्रवर्तकों के बारे में बहुत कम जानकारी होती है।

तिरुमलाई ने कहा, 'कई बार निवेशकों को यह नहीं पता होता है कि वे कितनी कुशलता से कंपनी चलाएंगे और छोटे शेयरधारकों के हितों की रक्षा करेंगे या नहीं।' ऊंचा मूल्यांकन सबसे बड़ा जोखिम होता है। ओ3 कैपिटल के मुख्य निवेश अधिकारी ईए सुंदरम ने कहा, 'आईपीओ को बाजार में उत्साह के माहौल में ही सफलता मिल सकती है। उस समय कीमतें ऊंची होती हैं। इस वजह से उनमें निवेश करना जोखिम भरा हो जाता है।' हाल में आए कई आईपीओ के बारे में मोदी कहते हैं कि उनका मूल्यांकन उनकी समकक्ष सूचीबद्ध कंपनियों के मुकाबले दोगुना था मगर उनके फंडामेंटल बेहतर नहीं थे।

कब और कहां करें निवेश

प्रत्येक आईपीओ का विस्तृत अध्ययन करें और अगर आपको उसकी खूबियों पर भरोसा हो तो उसमें निवेश करें। जब कोई अग्रणी और अच्छी तरह से संभाली जा रही कंपनी आईपीओ लेकर आती है तथा उसके जैसी कोई सूचीबद्ध कंपनी नहीं होती है तो व्यक्ति उसमें निवेश कर सकता है। ठीक ढंग से स्थापित ब्रांडों से सुरक्षा मिलती है। जब आईआरसीटीसी अपना आईपीओ लेकर आई तो यह जाना-माना ब्रांड था और जो बहुत से वर्षों से मौजूद था। कुछ मामलों में एक बड़ा प्राइवेट इक्विटी निवेशक शेयरधारक हो सकता है। गुप्ता ने कहा, 'ऐसी संस्थागत मौजूदगी से यह संतोष मिलता है कि कंपनी कॉरपोरेट गवर्नेंस के न्यूनतम मानदंडों का पालन कर रही है।'

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कंपनी के किन चीजों की करें पड़ताल

कंपनी के कारोबारी मॉडल की जांच करें। ज्यादा सुरक्षित उद्यमों को वरीयता दी जानी चाहिए। कंपनी के वित्तीय आंकड़े मजबूत और टिकाऊ हों। इसके बाद कंपनी के मूल्यांकन की तुलना उसी जैसी सूचीबद्ध कंपनियों के मूल्यांकन से करें। गुप्ता ने कहा, 'इस बात को समझें कि आईपीओ ला रही कंपनी के लिए उस जैसी अन्य सूचीबद्ध कंपनियों की तुलना में बेहतर या खराब संभावनाएं हैं? उसके बाद यह फैसला लें कि उसका मू्ल्य तर्कसंगत है या नहीं।' अगर किसी कंपनी की लगातार ऊंची वृद्धि बनी रह सकती है तो उसके लिए ज्यादा कीमत चुकाना ठीक है।

200 दिन इंतजार करें

अगर आपको कोई कंपनी पसंद आती है मगर आपकी जेब के लिहाज से वह महंगी है तो उसके सूचीबद्ध होने के बाद 200 दिन इंतजार करें। मोदी ने कहा, 'तब तक कंपनी के तीन तिमाही के आंकड़े आ जाएंगे। आपके पास इस बारे में बेहतर जानकारी होगी कि आईपीओ के समय के वित्तीय आंकड़े टिकाऊ हैं या नहीं। वास्तविक कीमत निर्धारण के लिए भी 200 दिन पर्याप्त हैं।'

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