मंहगाई में भी लिपस्टिक पर उड़ रहा सबसे ज्यादा पैसा

ऐसे में देश में आर्थिक सुस्ती के बाद भी कॉस्मेटिक्स की डिमांड काफी बढ़ गयी है। इसके पीछे का कारण ये है कि अगर कोई उपभोक्ता किसी एक कलेक्शन में से 5-7 लिपस्टिक ले रहा है तो कई उपभोक्ता ऐसे भी हैं, जोकि साल भर में सिर्फ एक या दो लिपस्टिक ही लेते हैं।

Update: 2019-08-29 05:37 GMT
मंहगाई में भी लिपस्टिक पर उड़ रहा सबसे ज्यादा पैसा

मुंबई: इस समय आर्थिक सुस्ती एक बड़ा मुद्दा है। आर्थिक सुस्ती को लेकर जहां मोदी सरकार ने कई बड़े ऐलान किए हैं तो वहीं आरबीआई ने भी सरकार को 1.76 लाख करोड़ रूपए का बड़ा तोहफा दिया है। आर्थिक सुस्ती की वजह से सभी सेक्टरों में भी सुस्ती और मंदी देखने को मिल रही है। वैसे आर्थिक मंदी 'लिपस्टिक इंडेक्स' की ओर भी इशारा कर रही है।

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दरअसल, भारत में आर्थिक सुस्ती के बावजूद लैकमे और लॉरिआल जैसे ब्रैंड्स के लिपस्टिक अभी भी काफी बिक रही हैं। यही नहीं, इनकी बिक्री दोहरे अंकों की गति से बढ़ भी गयी है। ऐसे में यह तो स्पष्ट हो गया है कि भारत में भी 'लिपस्टिक इंडेक्स' मौजूद है।

क्या होता है 'लिपस्टिक इंडेक्स'?

  • 'लिपस्टिक इंडेक्स' शब्द का प्रयोग सबसे पहले 'एस्टी लॉडर' के पूर्व चेयरमैन लियोनार्ड लॉडर द्वारा किया गया था।
  • 'लिपस्टिक इंडेक्स' का इस्तेमाल 2000 के दशक की शुरुआत में सौंदर्य प्रसाधनों की बिक्री में वृद्धि का वर्णन करने के लिए किया गया था।
  • साल 2000 में आई आर्थिक मंदी के दौरान लॉडर ने इस शब्द का इस्तेमाल किया था। इस शब्द को इस्तेमाल करने के पीछे का मकसद आर्थिक मंदी के दौरान कॉस्मेटिक बिक्री में हुई वृद्धि को सम्झना था।
  • अगर इसको आज भारत के संदर्भ में समझें तो इसका मतलब ये हुआ कि आर्थिक मंदी के दौर में जहां लोग बड़ी चीजें जैसे गाड़ी खरीदने की बात को टाल रहे हैं तो वहीं लिपस्टिक जैसी छोटे सामान की बिक्री काफी बढ़ गयी है।

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लैकमे ऑनर HUL की वाइस प्रेजिडेंट (स्किन केयर ऐंड कलर्स) प्रभा नरसिम्हन का कहना है कि, 'कलर कॉस्मेटिक सुस्ती से अछूत है, इसके पीछे एक कारण यह भी है कि कंज्यूमर यूसेज अभी भी कम है। जैसे-जैसे महिलाएं ब्रैंड्स के प्रति जागरूक हो रही हैं, वे अपग्रेड होना चाहती हैं। कई ब्रैंड्स कुछ अधिक कीमत पर प्रीमियम प्रॉडक्ट्स उपलब्ध करा रहे हैं।'

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ऐसे में देश में आर्थिक सुस्ती के बाद भी कॉस्मेटिक्स की डिमांड काफी बढ़ गयी है। इसके पीछे का कारण ये है कि अगर कोई उपभोक्ता किसी एक कलेक्शन में से 5-7 लिपस्टिक ले रहा है तो कई उपभोक्ता ऐसे भी हैं, जोकि साल भर में सिर्फ एक या दो लिपस्टिक ही लेते हैं। यही वजह है कि इस इंडस्ट्री के ग्रोथ में आर्थिक सुस्ती के बाद भी कोई बदलाव नहीं हुआ है।

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