Edible Oil Price News: खाद्य तेल की विदेशी सप्लाई घटी, भारत में देखादेखी बढ़े दाम

Edible Oil Price News: खाद्य तेलों के दाम बढ़ने की कई वजहें हैं। इनमें वैश्विक स्तर पर प्रोडक्शन कम होना और बायोडीज़ल का बढ़ता इस्तेमाल सबसे प्रमुख हैं। सोयाबीन के प्रमुख उत्पादक देश अमेरिका और ब्राज़ील हैं।

Written By :  Neel Mani Lal
Published By :  Shivani
Update: 2021-06-22 09:36 GMT

खाद्य तेल की बिक्री (Photo Social Media)

Edible Oil Prices: देश में सोयाबीन, सरसों, सूरजमुखी आदि के तेल के दाम (Oil Price) कंट्रोल में नहीं आ रहे हैं। सोयाबीन रिफाइंड तेल 157 से 165 रुपए किलो बिक रहा है जबकि सरसों का तेल 170 से 200 रुपए प्रति किलो तक चल रहा है। चूंकि भारत में खाद्य तेल की बहुत बड़ी सप्लाई विदेशों से आती है सो अब इम्पोर्ट ड्यूटी घटाने की बात हो रही है। जानकारों का कहना है कि विदेशों से सप्लाई काफी घट जाने के कारण खाद्य तेलों के दाम बीते दस साल के उच्चतम लेवल पर पहुंच गए हैं। सप्लाई घटने के पीछे लॉकडाउन, सूखा, कम फसल आदि कारण गिनाए जा रहे हैं। और ये स्थिति इस साल बने रहने की आशंका है।

भारत में तिलहन और तेल का अपना प्रोडक्शन पहले की तरह बना हुआ है। नार्मल मानसून और तिलहन के रिकार्ड प्रोडक्शन के बावजूद भारत में तेल के दाम बढ़ते जा रहे है। जानकारों के अनुसार, विदेशी सप्लाई और विदेशी दामों की देखा देखी भारत में सोयाबीन, सरसों और पाम तेल के दाम एक साल में दोगुना बढ़ गए हैं।

क्या है दाम बढ़ने की वजह

जानकारों के अनुसार, खाद्य तेलों के दाम बढ़ने की कई वजहें हैं। इनमें वैश्विक स्तर पर प्रोडक्शन कम होना और बायोडीज़ल का बढ़ता इस्तेमाल सबसे प्रमुख हैं। सोयाबीन के प्रमुख उत्पादक देश अमेरिका और ब्राज़ील हैं। बताया जाता है कि दोनों देशों में सूखे के कारण सप्लाई पर असर पड़ा है। कमोडिटी बाजार में इस साल सोया आयल के फ्यूचर अनुमान 70 फीसदी से ज्यादा लगाए गए हैं। अमेरिका के कृषि विभाग ने आंकलन किया है कि इस साल सितंबर तक विश्व का सोयाबीन भंडार पांच साल के न्यूनतम स्तर पर गिर कर 87.9 मिलियन टन रह जाएगा।


दुनिया में खाद्य तेलों में सबसे ज्यादा उपभोग पाम आयल का होता है। ये तेल तमाम अन्य खाद्य तेलों में मिलाने के काम में भी आता है। पाम आयल के भी दाम वर्ष 2020 में 18 फीसदी ज्यादा रहे। इसकी वजह दक्षिण पूर्व एशिया में कोरोना लॉकडाउन के कारण आउटपुट काफी कम हो जाना था। पाम आयल का सबसे बड़ा उत्पादक मलेशिया है जहां मार्च में इस तेल के फ्यूचर दाम 1007.30 डॉलर प्रति टन पहुंच गए। 2008 के बाद इसके दामों में ये सबसे ऊंची छलांग थी।

जहां तक रैपसीड और सनफ्लॉवर तेल की बात है तो यूरोप और ब्लैक सी क्षेत्र में इन तिलहन का प्रोडक्शन काफी कम रहा है।
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भारत है सबसे बड़ा आयातक (Sabse Bada Ayatak)

दुनिया में खाद्य तेलों का सबसे बड़ा इम्पोर्टर भारत है। इसकी वजह भारतीय खानपान में तेलों का महत्वपूर्ण स्थान है। भारत वनस्पति तेलों के इम्पोर्ट पर सालाना 8.5 से 10 बिलियन डॉलर खर्च करता है। कच्चे तेल और सोने के बाद वनस्पति तेल भारत का तीसरा सर्वाधिक इम्पोर्ट किया जाने वाला आइटम है। दो दशक पूर्व भारत मात्र 40 लाख टन वनस्पति तेल इम्पोर्ट करता था लेकिन अब ये डेढ़ करोड़ टन हो गया है। इंडस्ट्री के जानकारों के कहना है कि लोगों की आय बढ़ने और तले भोजन के बढ़ते इस्तेमाल के कारण तेल की डिमांड बढ़ती जा रही है।

रिकार्ड प्रोडक्शन

बीते पांच साल में भारत का तिलहन प्रोडक्शन 44 फीसदी बढ़ कर 36.6 मिलियन टन पहुंच गया है। लेकिन इसके बावजूद ये प्रोडक्शन भारत की कुल डिमांड का आधे से भी कम है। भारत में प्रति व्यक्ति खाद्य तेल की औसत खपत 19 किलो प्रति वर्ष है।


क्या होता है फ्यूचर दाम 

कमोडिटी या जिंसों के बाजार में शेयर बाजार की तरह जिंसों के भविष्य के अनुमानित दाम पर खरीद बिक्री चलती है। इसे सट्टा भी कह सकते हैं। अगर ट्रेडर्स को लगता है कि भविष्य में किसी चीज के दाम बढ़ने या घटने वाले हैं तो वे उसी हिसाब से उसकी खरीद या बिक्री कर देते हैं। यही फ्यूचर ट्रेडिंग होती है। कई बार दाम कृत्रिम रूप से भी बढ़ाये जाते हैं ताकि भरपूर प्रॉफिट कमाया जा सके।

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