EMI To Increase: महंगे ईएमआई के लिए हो जाएं तैयार, जल्द बढ़ेगा बैंकों का कर्ज ब्याज दर; जानें रेपो रेट व ईएमआई के बीच संबंध
EMI To Increase: आईएमजीसी के मुख्य जोखिम अधिकारी श्रीकांत श्रीवास्तव ने कहा कि अब चूंकि रेपो दर में 35-बीपीएस की और वृद्धि हुई है, इसलिए ईएमआई के और 3-5 फीसदी बढ़ने की उम्मीद है।
EMI To Increase: देश में महंगाई को चिंता का विषय मानते हुए भारतीय रिजर्र बैंक (आरबीआई) ने एक बार फिर नीतिगत दरों यानी रेपो रेट में इजाफा कर दिया है। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को बताया कि रेपो रेट में 35 आधार अंकों (bps) से बढ़ाकर 6.25 प्रतिशत कर दिया। यह निर्णय 7 दिसंबर को समाप्त हुए तीन दिवसीय सत्रों के बाद लिया गया। रेपो रेट में हुई बढ़ोतरी का सबसे अधिक प्रभाव उन लोगों पर दिखाई पड़ने वाला है, जो बैंकों से लोन लेने के लिए तैयारी में थे। इतना ही नहीं, इसकी बढ़ोतरी के बाद से लोगों के लोन पर चली रही ईएमआई पर भी असर दिखने वाला है और वह भी महंगी होनी वाली हैं।
लोन और ईएमआई पर दिखा असर
चूंकि बैंक अपनी उधार दरों को रेपो दरों से जोड़ते हैं, इसलिए रेपो दर में कोई भी बदलाव आपके लोन व ईएमआई को भी प्रभावित करेगा। हर बार जब केंद्रीय बैंक रेपो दरों में वृद्धि करता है, बदले में बैंक अपनी उधार दरों में वृद्धि करते हैं। केंद्रीय बैंक के इस कदम के बाद से जल्दी देश की सरकारी व निजी क्षेत्र की बैंक अपने कर्ज ब्याज दरों में बढ़ोतरी का ऐलान करने वाली हैं। मतलब देश की आम जनता को बैंकों से होम, कार और व्यक्तिगत लोन सहित सभी प्रकार के लोन महंगी दरों में मिलने वाले हैं, जिसका सीधा असर आम लोगों की जेब पर दिखाई देगा। लोगों को पहले की तुलना में अधिक ब्याज दरों पर कर्ज मिलेगा।
इतने फीसदी ईएमआई बढ़ने के आसार
आईएमजीसी (इंडिया मॉर्गेज गारंटी कॉरपोरेशन) के मुख्य जोखिम अधिकारी श्रीकांत श्रीवास्तव ने कहा कि अब चूंकि रेपो दर में 35-बीपीएस की और वृद्धि हुई है, इसलिए ईएमआई के और 3-5 फीसदी बढ़ने की उम्मीद है। जहां तक ऋण अवधि में वृद्धि का संबंध है, मुझे नहीं लगता कि 190 बीपीएस पिछली वृद्धि के कारण अब तक 13 वर्षों से अधिक ऋण अवधि में वृद्धि की कोई गुंजाइश है।
इस साल चार बार हुई कर्ज ब्याज दरों में बढ़ोतरी
इससे पहले अगस्त माह में जब केंद्रीय बैंक ने अपने रेपो रेट 50 आधार अंकों (bps) में बढ़ोतरी की थी। उसके बाद से देश के सभी सरकारी और प्राइवेट क्षेत्र के बैंकों ने अपने अपने कर्ज ब्याज दरों में बढ़ोतरी की थी और बैंक की यह कर्ज ब्याज दरों में बढ़ोतरी नवंबर महीने तक जारी थी। अब तक आरबीआई पांच बार रेपो रेट में बढ़ोतरी कर चुका है। जब जब केंद्रीय बैंक ने रेपो रेट में बढ़ोतरी की है, तब तब देश की बैंकों ने अपने कर्ज ब्याज दरों में इजाफा किया है। हालांकि अप्रैल महीने में आरबीआई ने रेपो रेट में कोई बढ़ोतरी नहीं की थी। और पहले की तरह दर को स्थिर रखा था। तब बैंकों ने भी कर्ज ब्याज दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं की थी।
रेपो रेट और ईएमआई के बीच संबंध
आरबीआई ने 07 दिसंबर को अपने रेपो रेट में 0.35 फीसदी बढ़ोतरी की है। यह बात साफ है कि रेपो रेट बढ़ते ही लोन और ईएमआई महंगे हो जाते हैं। आखिर वह क्यों महंगे हो जाते हैं ? तो चलिए इन्हीं बातों को समझते हैं कि रेपो रेट से लोन और ईएमआई के बीच का क्या घनिष्ठ संबंध है?
क्या होता है रेपो रेट ?
दरअसल, जब धन की कमी होती है, तो देश के सरकारी और निजी क्षेत्र के बैंक भारतीय रिज़र्व बैंक से कुछ धन उधार लेते हैं। उसके बदले आरबीआई इन बैंकों से कुछ ब्याज लेता है, जोकि रेपो रेट कहा जाता है। अगर केंद्रीय बैंक अपनी रेपो रेट में बढ़ोतरी करता है तो बैंक को कर्ज भी महंगे पर मिलता है। इस दर का उपयोग मौद्रिक अधिकारियों द्वारा मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए भी किया जाता है। महंगाई की स्थिति में केंद्रीय बैंक रेपो रेट बढ़ा सकता है। यह वाणिज्यिक बैंकों को धन उधार लेने से हतोत्साहित करता है, इस प्रकार अर्थव्यवस्था में धन की आपूर्ति को कम करता है और मुद्रास्फीति की दर को कम करता है।
जब महंगाई यानी मुद्रास्फीति में गिरावट आती है। तो केंद्रीय बैंक रेपो दर को कम कर सकता है। यह एक प्रोत्साहन की तरह कार्य करता है, जोकि बैंकों को धन उधार लेने के लिए प्रोत्साहित करता है। इसके बाद वे इन पैसों को अपने ग्राहकों को मुहैया कराएंगे, जिससे बाजार में पैसों की आपूर्ति बढ़े।
रेपो रेट ईएमआई को कैसे प्रभावित करता है?
हम अक्सर सुनते हैं कि आरबीआई या तो रेपो रेट में कटौती कर रहा है या इसे कुछ आधार दरों से बढ़ा रहा है। और इन दरों में कमी होने पर बैंकों के लिए यह हमेशा अच्छी खबर होती है, क्योंकि अगर कर्ज ब्याज दर में कमी रहेगी तो लोगों को अधिक संख्या में बैंकों के कर्ज लेंगे। अगर बैंकों कर्ज ब्याज दर महंगा होगा तो लोग कर्ज लेने डरेंगे, क्योंकि लोन की ईएमआई महंगी हो जाती है। आरबीआई रेपो रेट में बढ़ोतरी करता है तो इसका सीधा प्रभाव लोगों की लोन पर चली रही ईएमआई पर दिखाई पड़ा है।
ईएमआई क्या है?
जब आप किसी बैंक से ऋण लेते हैं, तो आपको इसे मासिक किश्तों में चुकाना होता है। प्रत्येक किस्त को समान मासिक किस्त (EMI) के रूप में जाना जाता है। प्रत्येक ईएमआई में दो घटक होते हैं - मूलधन और ब्याज। बैंक आमतौर पर आपके कार्यकाल की पहली छमाही में अधिकांश ब्याज लेने की कोशिश करते हैं। इसीलिए, जब आप कोई ऋण चुका रहे होते हैं, तो शुरुआत में आपकी ईएमआई में बड़ा ब्याज घटक होता है। यह धीरे-धीरे आपकी ईएमआई के साथ आपकी ऋण अवधि के अंत में एक उच्च मूल घटक के साथ बदलता है।
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