Farmers Protest: फंसे हजारों ट्रक! अब हर दिन होगा इतने करोड़ का नुकसान, ये कारोबार होंगे प्रभावित

Farmers Protest 2024: एक अनुमान के मुताबिक, हर दिन करीब 500 से 600 करोड़ रुपये की चपत लगने की संभावना बताई जा रही है। इसके अलावा भाड़ा बढ़ने का भी संभावना लगाई गई है, क्योंकि आंदोलन की वजह से दिल्ली में रूट डायवर्ट लागू किया गया है।

Report :  Viren Singh
Update: 2024-02-13 12:57 GMT

Farmers Protest (सोशल मीडिया) 

Farmers Protest 2024: अपनी मांगों की बात नहीं बनने पर किसान एक बार फिर दिल्ली के लिए कूच कर चुके हैं। पंजाब के अलग अलग क्षेत्रों से भारी संख्या में किसानों का जत्था दिल्ली के लिए निकल चुका है। इन किसानों को रोने के लिए हरियाणा और दिल्ली की सीमाओं पर सुरक्षा के हाईटेक व्यापक इंतजाम किए गए हैं। हरियाणा से लेकर दिल्ली की ओर आने वाली सभी सड़क सीमाएं सील कर दी गई हैं। इन सीमाओं पर पुलिस और अर्धसैनिक बल के जवानों को भारी संख्या में मुस्तैद कर दिया गया है, ताकि कोई किसान का समूह दिल्ली में प्रदर्शन के लिए न आ पाए। दिल्ली में प्रवेश के लिए सारे बार्डर बंद होने से आज लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा है। कई घंटों तक लंबा-लंबा जमा लगा रहा। इतना ही नहीं, माल ढुलाई पर भी काफी असर पड़ा है। एक अनुमान के मुताबिक, प्रदर्शन की वजह से सीमाएं सील होने से पहले दिन कारोड़ों रुपये की हानि हुई है। अगर यही स्थिति आने वाले समय में भी बनी रही तो नुकसान और बढ़ेगा।

हर 600 करोड़ का नुकसान का अनुमान

दिल्ली में किसानों के प्रदर्शन को देखते हुए नेशनल हाईवे सहित राजधानी आने वाले सारे बार्डरों को बंद कर दिया गया। इससे पजांब और दिल्ली के रास्ते में सैकड़ों ट्रक फंस गए हैं और माल ढुलाई में असर पड़ने लगा है। अगर ऐसे ही प्रदर्शन चलता रहा तो एक अनुमान के मुताबिक, हर दिन करीब 500 से 600 करोड़ रुपये की चपत लगने की संभावना बताई जा रही है। इसके अलावा भाड़ा बढ़ने का भी संभावना लगाई गई है, क्योंकि आंदोलन की वजह से दिल्ली में रूट डायवर्ट लागू किया गया है। इससे चलते माल लदे वाहनों को अपने गंतव्य स्थल पहुंचने के लिए लंबा रूट तय करना पड़ा रहा है। दरअसल, मालभाड़े का खर्च प्रति किलोमीटर के हिसाब से तय होता है।

रास्ते में फंसे हजारों ट्रक

ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन मुताबिक, किसान आंदोलन की वजह से दिल्ली सीमाएं सील होने से करीब 10 हजार ट्रक रास्ते में फंस हुए हैं। इसमें 6 से 7 हजार ट्रकों को दिल्ली में माल सप्लाई करनी है, लेकिन प्रशासन केवल जरूरी सामानों को छोड़कर अन्य ट्रकों को दिल्ली आने की अनुमति नहीं दे रहा है। दिल्ली में काफी सामान पंजाब, हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर से आता है। पंजाब से लकड़ी, हार्डवेयर का सामान, स्पेयर पार्ट, ऑटो पार्ट, कपड़े, खेल का सामान, सूखे मेवे, फल-सब्जी आदि कई सामान दिल्ली आते हैं।

कैट ने उपराज्यपाल को लिखा पत्र

वहीं, कनफ़ेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स(कैट) के महासचिव प्रवीन खंडेलवाल ने दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना से दिल्ली में माल की आवाजाही निर्बाध रूप से चलाने को लेकर एक पत्र लिखा है। इस पत्र में कहा कि दिल्ली न तो कृषि राज्य है एवं न ही औद्योगिक राज्य। दिल्ली देश का सबसे बड़ा व्यापारिक वितरण केंद्र है जहां देश के विभिन्न राज्यों से माल आता है और दिल्ली से देश के समस्त राज्यों में माल जाता है। अगर सप्लाई चेन में किसी भी प्रकार का व्यवधान आता है तो उसका विपरीत असर दिल्ली और पडोसी राज्यों के व्यापार पर पड़ेगा।

दिल्ली में कई राज्यों से आती हैं फल-सब्जियों

इससके अलावा दिल्ली में जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा पंजाब आदि कई राज्यों से फल और सब्जी की सप्लाई भारी मात्रा में की जाती है। आंदोलन की पाबंदियों की जवह से दिल्ली मंडी में सब्जियों की आपूर्ति की आज कमी आई है। इससे सब्जी कारोबारियों के साथ आम लोगों को डर सता रहा है कि आने वाले दिनों सें फल-सब्जियों के दामों में इजाफा हो सकता है।

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