किसानों के लिए बड़ी जानकारी: फलो के विदेशों में बढ़ रहे निर्यात ने दिया तोहफा, मिल रहे बेहतरीन दाम

Export of Indian Fruits: अंतर्राष्ट्रीय फल बाजार में भारत का दबदबा और स्थान तेज़ी से बढ़ रहा है। इससे किसानों के लिए बेहतर मौके सामने आ रहे है। हाल ही में मलिहाबाद के आम का इटली निर्यात किया गया है।

Update:2023-07-13 17:22 IST
Export of Indian Fruits in Foreign Countries(Photo: Social Media)

Export of Indian Fruits: भारत देश की संस्कृति, इतिहास हो या खानपान सभी दुनिया भर में प्रसिद्द है। भारत के कपड़ो से लेकर ढोकले तक और ताजमहल से लेकर लाल किले तक सब विश्वप्रसिद्ध है। भारत एक सोने की चिड़िया और विश्व धरोहर है। यहाँ के फल और अन्य खाद्य पदार्थो का भारत से अन्य देशों में निर्यात होता है।अंतर्राष्ट्रीय फल बाजार में भारत का दबदबा और स्थान तेज़ी से बढ़ रहा है। इससे किसानों के लिए बेहतर मौके सामने आ रहे है।

यूपी के सहारनपुर की लीची स्वीडन को भा रही

स्वीडन देश में उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में उगाई जाने वाली ख़ास लीची बेहद पसंद की जा रही है। अधिक मात्रा में सहरनपुईर से इस लीची का आयत किया जा रहा है। बड़ी संख्या में स्वीडन से लीची के आर्डर आ रहे है। हाल ही में सहारनपुर से लगभग 15 किलो लीची का निर्यात स्वीडन किया गया है। आने वाले समय में और लीची भी स्वीडन भेजी जाएगी।

इटली में मलिहाबादी आम की है बड़ी डिमांड

उत्तर प्रदेश के मलिहाबाद जिला के प्रतिष्ठित और स्वादिष्ट आम दुनिया भर में पसंद किये जाते है। मलिहाबाद को भारत की आम कैपिटल नाम से जाना जाता है। हाल ही में मलिहाबाद के आम का इटली निर्यात किया गया है। मलिहाबाद में विभिन्न प्रकार के आम की फसल होती है। यहाँ के आम भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में प्रसिद्द है। पिछले हफ्ते ही 12 किलो आम मलिहाबाद से इटली भेजे गए है। दूसरी ओर मुंबई की एक कंपनी को लगभग पांच वर्षो बाद ऑस्ट्रेलिया से आम का आर्डर आया है।

फलो को जीआई टैग मिलने के बाद बढ़ी इनकी डिमांड

100 वर्षो से प्रसिद्द और स्वादिष्ट रतौल आम को जीआई टैग मिलने के बाद इसकी डिमांड देश- विदेश में तेज़ी से बढ़ गयी है। यह आम भले ही देखने में छोटा हो लेकिन इसका स्वाद लाजवाब है जो सबके मन को भा जाता है। इस वर्ष बिगड़े मौसम के कारण रतौल आम का उदपटं मात्र 5 प्रतिशत हुआ हुई जिससे आम के शौकीनों तक यह आम नहीं पहुंच पाया। उत्तर प्रदेश के बागपत में रतौल गांव का ख़ास रतौल आम को १० वर्षो की कड़ी मेहनत के बाद जीआई टैग प्राप्त हुआ। जीआई टैग मिलने के बाद भारत ही नहीं बल्कि कनाडा, श्रीलंका, अमेरिका, फ्रांस में भी इस आम की डिमांड में बढ़ोत्तरी हुई है। बिगड़े मसुसम के कारण इस आम के उत्पादन में इस वर्ष कमी देखने को मिली है।

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