तैयार हो जाइए भारत की अपनी क्रिप्टोकरेंसी के लिए, रिजर्व बैंक कर रहा तैयारी

राज्यसभा में क्रिप्टो बिल को लेकर बातचीत हो चुकी है और आने वाले कुछ ही दिनों में यह क्रिप्टो बिल हमें देखने को मिल सकता है। संभवतः बजट सत्र में ही ये बिल जाएगा।

Update: 2021-02-12 12:14 GMT
दुनिया में सबसे पहले चीन अपनी खुद की क्रिप्टोकरेंसी ले कर आया था। अब भारत भी अपनी क्रिप्टोकरेंसी लाने पर विचार कर रहा है।

नीलमणि लाल

नई दिल्ली: दुनिया में सबसे पहले चीन अपनी खुद की क्रिप्टोकरेंसी ले कर आया था। अब भारत भी अपनी क्रिप्टोकरेंसी लाने पर विचार कर रहा है। रिजर्व बैंक ने इस बारे में कहा भी है कि खुद डिजिटल करेंसी लाने पर विचार कर रहा है। जिस तरह भारत में कैशलेस लेन देन पर जोर दिया जा रहा है और सिस्टम से ब्लैक मनी निकलने के उपाय ढूंढें जा रहे हैं उसमें क्रिप्टोकरेंसी बहुत बड़ी सहायक साबित हो सकती है।

संसद में आयेगा क्रिप्टो बिल

राज्यसभा में क्रिप्टो बिल को लेकर बातचीत हो चुकी है और आने वाले कुछ ही दिनों में यह क्रिप्टो बिल हमें देखने को मिल सकता है। संभवतः बजट सत्र में ही ये बिल जाएगा। अनुमान लगाया जा रहा है कि भारत सरकार क्रिप्टो करेंसी को बैन नहीं करेगी बल्कि क्रिप्टोकरंसी पर कुछ रेगुलेशन लगा सकती है।

क्रिप्टोकरंसी बिल के बारे में सरकार द्वारा बताया गया है कि विधेयक काफी ध्यानपूर्वक बनाया जा रहा है ताकि किसी को भी नुकसान ना पहुंचे यही कारण है कि इसमें इतनी देरी हो रही है। क्रिप्टोबिल को लाने के लिए एक कमेटी बनाई गई थी, जिसने अपना काम पूरा कर दिया है और एक रिपोर्ट पेश कर दी है। बहुत जल्द इस बिल को कैबिनेट में प्रस्तुत किया जाएगा। राज्यसभा में क्रिप्टो बिल पर जो बातचीत हुई है उसमे कहीं भी प्रतिबन्ध शब्द का प्रयोग नहीं किया गया, जो एक सकारात्मक बात है। इससे यह अनुमान लगाया जा सकता है की क्रिप्टो करेंसी को बैन नहीं किया जायेगा बल्कि रेगुलेट किया जाएगा।

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तेजी से बढ़ा है बाजार

पिछले कुछ सालों में क्रिप्टोकरेंसी का बाजार बहुत तेजी से बढ़ा है। सबसे लोकप्रिय क्रिप्टोकरेंसी बित्कोइन बिटक्वाइन की कीमत में जिस तरह उछाल आ रहा है, वह निवेशकों को बेहद आकर्षित कर रहा है। अब रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने भी कहा है कि वह खुद डिजिटल करेंसी लाने पर विचार कर रहा है। 25 जनवरी को आरबीआई ने पेमेंट सिस्टम को लेकर जो बुकलेट जारी की थी उसमें साफ लिखा है कि रिजर्व बैंक विचार कर रहा है कि क्या रुपए का डिजिटल वर्जन लाना चाहिए? इससे पहले भी कई बार रिजर्व बैंक के उच्च अधिकारी इस बारे में बयान दे चुके हैं, लेकिन अभी तक इस दिशा में विशेष प्रगति नहीं दिख रही है।

निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ी

पिछले कुछ सालों में वैश्विक स्तर पर डिजिटल करेंसी का प्रचलन तेजी से बढ़ा है। आसान शब्दों में बिटक्वॉइन, जो एक प्राइवेट करेंसी की तरह है, इसमें निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ी है। निवेशकों की बढ़ती दिलचस्पी के कारण ही दुनियाभर के सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी की दिशा में तेजी से बढ़ रहे हैं। एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर समय रहते सरकार की तरफ से रेग्युलेटेड क्रिप्टोकरेंसी नहीं लाई गयी है तो, संभव है कि डिजिटल करेंसी मार्केट पर प्राइवेट प्लेयर का दबदबा बढ़ जाएगा।

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इस देश में हो चुकी है लांच

चीन क्रिप्टो करेंसी की दिशा में पिछले कई सालों से गंभीर प्रयास कर रहा है। चीन के सेंट्रल बैंक, पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना ने डिजिटल युआन के ट्रायल की मंजूरी दी है। चीन की आर्थिक राजधानी शंघाई में ट्रायल किया जा रहा है। डिजिटल करेंसी चीन का बेहद ही महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है।

जानिए क्या होता फर्क

क्रिप्टोकरेंसी और डिजिटल करेंसी में फर्क होता है। अगर रिजर्व बैंक डिजिटल करेंसी जारी करता है तो वह रुपए का डिजिटल वर्जन होगा यानी 100 रुपए का नोट डिजिटल फॉर्म में भी होगा। यह रेग्युलेटेड होगा और आरबीआई की इस पर नजर होगी। लेकिन क्रिप्टोकरेंसी रुपये की बजाये इंटरनेट पर चलने वाली एक वर्चुअल करेंसी होगी।

बिटकॉइन के अलावा दुनिया में सैकड़ों अन्य क्रिप्टो करेंसी भी मौजूद हैं जैसे- रेड कॉइन, सिया कॉइन, सिस्कॉइन, वॉइस कॉइन और मोनरो। अगर सरकार क्रिप्टो करेंसी को नियमित करती है या स्वयं अपनी क्रिप्टो करेंसी ले आती है तो डिजिटल करेंसी की तरह उसको भी पूरी तरह ट्रैक किया जा सकेगा। यानी एक-एक करेंसी का आना-जाना बैंक की निगाह में होगा।

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मान लीजिये कि किसी इनसान ने दूसरे को कोई भी रकम दी तो तत्काल वो रिकार्ड हो जायेगी। ऐसे में कोई गलत लेन देन सरकार की निगरानी से बच नहीं पायेगा। इसके अलावा कोई अपनी आर्थिक नकदी स्थिति के बारे में झूठ नहीं बोल पायेगा क्योंकि पाई पाई का रिकार्ड बैंक के पास होगा।

अभी जो क्रिप्टो करेंसी चल रहीं हैं वो किसी भी एक अथॉरिटी के काबू में नहीं होती। अमूमन रुपया, डॉलर, यूरो या अन्य मुद्राओं की तरह ही इस मुद्रा का संचालन किसी राज्य, देश, संस्था या सरकार द्वारा नहीं किया जाता। यह एक डिजिटल करेंसी होती है जिसके लिए क्रिप्टोग्राफी का प्रयोग किया जाता है। आमतौर पर इसका प्रयोग किसी सामान की खरीदारी या कोई सर्विस खरीदने के लिए किया जा सकता है।

सर्वप्रथम क्रिप्टो करेंसी की शुरुआत 2009 में हुई थी जो बिटकॉइन थी। शुरू में यह उतनी प्रचलित नहीं थी, किन्तु धीरे-धीरे इसके रेट आसमान छूने लगे, जिससे यह सफल हो गई। देखा जाए तो 2009 से लेकर वर्तमान समय तक लगभग 1000 प्रकार की क्रिप्टो करेंसी बाजार में मौजूद हैं, जो पियर टू पियर इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम के रूप में कार्य करती है।

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