जीएसटी काउंसिल की सिफारिश, फूड एग्रीगेटर को मानें ई-कॉमर्स ऑपरेटर , ऑनलाइन फूड होगा महंगा

ऑनलाइन फूड डिलिवरी ऐप से आने वाले खाना अब महंगा हो सकता है। जीएसटी काउंसिल की बैठक ने फूड डिलिवरी एप्स को कम से कम 5 फीसदी जीसएटी के दायरे में लाने की सिफारिश की है।

Newstrack :  Network
Published By :  Deepak Kumar
Update:2021-09-15 11:58 IST

Finance Minister Nirmala Sitharaman। (Social media)

ऑनलाइन फूड डिलिवरी ऐप से आने वाले खाना अब महंगा हो सकता है। जीएसटी काउंसिल की बैठक ने फूड डिलिवरी एप्स को कम से कम 5 फीसदी जीसएटी के दायरे में लाने की सिफारिश की है। ऐसे में Swiggy, Zomato आदि से खाना मंगाना महंगा पड़ सकता है। शुक्रवार को जीएसटी काउंसिल समिति की मीटिंग होगी, जिसमें अजेंडा पर बात करेगी।

बता दें कि शुक्रवार यानी 17 सितंबर को जीएसटी काउंसिल की मीटिंग लखनऊ में होनी है। फिलहाल जो व्यवस्था है उससे सरकार को टैक्स में 2 हजार करोड़ रुपये के नुकसान की बात कही गई है। जीएसटी काउंसिल के फिटमेंट पैनल ने सिफारिश की है कि फूड एग्रीगेटर को ई-कॉमर्स ऑपरेटर माना जाए।


Swiggy और Zomato जैसी फूड डिलिवरी कंपनियां ई-कॉमर्स कंपनियों में दर्ज हैं जो ऑनलाइन बिजनेस करती हैं। जीएसटी की फिटमेंट कमेटी ने एक प्रस्ताव रखा है कि ऐप के जरिए रेस्टोरेंट सेवाएं दी जाती हैं तो उसी हिसाब से जीएसटी भी लगाई जानी चाहिए। अभी इस पर विचार चल रहा है। एक निजी बिजनेस चैनल को सूत्रों ने इस बात की जानकारी दी है। जस्ट ईट और TinyOwl जैसी वेबसाइट से भी खाना डिलीवर किया जाता है.

इन वेबसाइट और मोबाइल ऐप कंपनियों का अलग-अलग कई रेस्टोरेंट से करार होता है जिनका खाना ये फूड डिलिवरी कंपनियों ग्राहकों को घर तक पहुंचाती हैं. कस्टमर खाने का ऑर्डर वेबसाइट या ऐप पर करते हैं और उसका पेमेंट क्रेडिट या डेबिट कार्ड से करते हैं या कैश ऑन डिलिवरी करते हैं. ये पेमेंट पूरी तरह से वेबसाइट या ऐप से कनेक्टेड होते हैं.


17 सितंबर को होगी जीएसटी काउंसिल की बैठक

माल एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद की मीटिंग 17 सितंबर को होनी है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अगुवाई वाली जीएसटी परिषद में राज्यों के वित्त मंत्री भी शामिल हैं। परिषद की बैठक शुक्रवार को लखनऊ में होनी है। जीएसटी परिषद की इससे पिछली बैठक 12 जून को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई थी।

इस बैठक में कई अहम मुद्दों पर चर्चा होगी। यह भी कहा जा रहा है कि बैठक में पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के तहत लाने पर विचार हो सकता है। इस बैठक में अन्य चीजों के अलावा कोविड-19 से संबंधित आवश्यक सामान पर रियायती दरों की समीक्षा हो सकती है। वित्त मंत्रालय ने हाल ही में बताया था कि अगस्त में जीएसटी संग्रह 1.12 लाख करोड़ रुपये से अधिक रहा था। एक साल पहले अगस्त माह के मुकाबले इसमें 30 प्रतिशत से अधिक वृद्धि दर्ज की गई थी।


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