HCL Chairperson Shiv Nadar: एचसीएल के शिव नादर सबसे बड़े दानवीर, रोजाना किया साढ़े पांच करोड़ का दान!
HCL Chairperson Shiv Nadar: वार्षिक एडेलगिव हुरुन इंडिया परोपकार सूची 2023 से दानवीरों का खुलासा हुआ है। कुल मिलाकर, सूची में शीर्ष 10 परोपकारियों ने वित्त वर्ष 23 में 5,806 करोड़ रुपये का दान दिया।
HCL Chairperson Shiv Nadar: रोजाना साढ़े पांच करोड़ रुपये से ज्यादा का दान! जी हां एक भारतीय बिजनेसमैन ने यही किया है और पूरे एक साल तक।
ये शख्स है शिव नादर जो एचसीएल कम्पनी के संस्थापक हैं। नादर को भारत के सबसे बड़े दानवीर होने का खिताब मिला है। नादर ने वित्तीय वर्ष 2023 में 2,042 करोड़ रुपये का दान देकर पांच साल में तीसरी बार भारत के सबसे उदार परोपकारी का खिताब बरकरार रखा है। उनका दान प्रति दिन लगभग 5.6 करोड़ रुपये दान के बराबर है।
वार्षिक एडेलगिव हुरुन इंडिया परोपकार सूची 2023 से दानवीरों का खुलासा हुआ है। कुल मिलाकर, सूची में शीर्ष 10 परोपकारियों ने वित्त वर्ष 23 में 5,806 करोड़ रुपये का दान दिया, जो पिछले वर्ष की तुलना में उल्लेखनीय वृद्धि है।
ये भी हैं लिस्ट में
अजीम प्रेमजी और परिवार - विप्रो : अजीम प्रेमजी और उनके परिवार ने 1,774 करोड़ रुपये का दान दे कर सूची में प्रमुख स्थान हासिल किया है।
मुकेश अंबानी और परिवार - रिलायंस इंडस्ट्रीज: अंबानी परिवार ने परोपकार के प्रति अपनी प्रतिबद्धता प्रदर्शित करते हुए 376 करोड़ रुपये का दान दिया।
के दिनेश - इंफोसिस : इंफोसिस के सह-संस्थापक के दिनेश ने 47 करोड़ रुपये का दान दिया, जिससे वह सूची में 'सबसे उदार' नए लोगों में से एक बन गए।
नंदन नीलेकणी - इंफोसिस : सह संस्थापक नंदन नीलेकणी 189 करोड़ रुपये के दान के साथ सूची में 8वें स्थान पर हैं।
रोहिणी नीलेकणि - परोपकारी: नंदन नीलेकणि की पत्नी रोहिणी नीलेकणि 170 करोड़ रुपये के दान के साथ शीर्ष 10 की सूची में 10वें स्थान पर हैं।
क्रिस गोपालकृष्णन - इन्फोसिस : सह-संस्थापक क्रिस गोपालकृष्णन ने 93 करोड़ रुपये का दान दिया और सूची में 15वें स्थान पर रहे।
एसडी शिबूलाल - इंफोसिस : सह-संस्थापक: एसडी शिबूलाल ने 35 करोड़ रुपये का दान दिया और सूची में 29वां स्थान हासिल किया।
कौन हैं शिव नादर
1945 में तमिलनाडु के मूलाइपोझी में जन्मे शिव नादर ने कोयंबटूर के प्रतिष्ठित पीएसजी कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी से इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में डिग्री प्राप्त की। उन्होंने 1967 में पुणे में कूपर इंजीनियरिंग लिमिटेड के लिए काम करना शुरू किया।
शिव नादर ने वर्ष 1970 में एचसीएल टेक्नोलॉजीज की स्थापना की थी। इसकी शुरुआत सिंगापुर की एक कंपनी को सेवा देने वाली हार्डवेयर कंपनी के रूप में हुई। यह व्यवसाय एक समय दिल्ली के एक गैराज से संचालित होता था। 1980 के दशक की शुरुआत में जब उनकी कंपनी की आय 10 लाख रुपये तक पहुंच गई, तो उन्हें पहली सफलता का अनुभव हुआ।
नादर के निर्देशन में एचसीएल ने 1991 में हुए तीन प्रमुख आर्थिक परिवर्तनों के बाद भारतीय आईटी बूम का जम कर लाभ उठाया।
शिव नादर की पत्नी का नाम किरण नादर है, जो एक आर्ट कलेक्टर और एक परोपकारी भी हैं। वह शिव नादर फाउंडेशन की ट्रस्टी और किरण नादर म्यूजियम ऑफ आर्ट की संस्थापक हैं।
शिव नादर का परिवार उनके नाम पर एक धर्मार्थ फाउंडेशन चलाता है - शिव नादर फाउंडेशन। फाउंडेशन मुख्य रूप से शिक्षा के क्षेत्र में काम करता है।
और बढ़ेगा दान
हुरुन इंडिया के एमडी और मुख्य शोधकर्ता अनस रहमान जुनैद के अनुसार - यह वर्ष बड़े परोपकार के लिए एक रिकॉर्ड वर्ष है। पिछले 5 वर्षों में, 100 करोड़ रुपये से अधिक का योगदान देने वाले दानदाताओं की संख्या 2 से बढ़कर 14 हो गई है, और 50 करोड़ रुपये से अधिक का दान देने वालों की संख्या 5 से बढ़कर 24 हो गई है। भारत की धन सृजन की क्षमता को देखते हुए और परोपकार के प्रति निरंतर प्रतिबद्धता को देखते हुए उम्मीद है कि ये आंकड़े अगले 5 वर्षों में संभावित रूप से दोगुना हो जाएंगे।