Budget 2021: क्या आपको पता है, इसी दिन बदला भारत में बजट का इतिहास

बात भारत की करें तो 7 अप्रैल 1860 को देश का पहला बजट ब्रिटिश सरकार के वित्त मंत्री जेम्स विल्सन ने पेश किया था। 1924 से लेकर 1999 तक बजट फरवरी के अंतिम दिन शाम पांच बजे पेश किया जाता था

Update:2021-01-31 16:16 IST
Budget 2021: क्या आपको पता है, इसी दिन बदला भारत में बजट का इतिहास (PC: social media)

रामकृष्ण वाजपेयी

लखनऊ: भारतीय आम बजट की बात करें, तो इसका इतिहास भी कम रोचक नहीं है। पहली बात तो यह है कि बजट से आम आदमी आय-व्यय की सूची को समझता है। इसीलिए लोग आपस में भी कहते हैं तुम्हारा बजट क्या है, लेकिन क्या आपको पता है बजट शब्द की उत्पति फ्रेंच भाषा के लातिन शब्द बुल्गा से हुई है, जिसका अर्थ है चमड़े का थैला। बुल्गा से फ्रांसीसी शब्द बोऊगेट की उत्पति हुई। जिसके बाद अंग्रेजी शब्द बोगेट अस्तित्व में आया इससे बजट शब्द बना। मोटे तौर पर इसे बटुआ या पर्स समझ सकते हैं। वित्तमंत्री जो बैग लेकर बजट पेश करने आते हैं वह बैग बजट है।

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ब्रिटिश सरकार के वित्त मंत्री जेम्स विल्सन ने पेश किया था

बात भारत की करें तो 7 अप्रैल 1860 को देश का पहला बजट ब्रिटिश सरकार के वित्त मंत्री जेम्स विल्सन ने पेश किया था। 1924 से लेकर 1999 तक बजट फरवरी के अंतिम दिन शाम पांच बजे पेश किया जाता था यह प्रथा सर बेसिल ब्लैकैट ने 1924 में शुरू की थी। इसके पीछे का कारण रात भर जागकर वित्तीय लेखा जोखा जोखा तैयार करने वाले अधिकारियोँ को आराम देना था।

केंद्रीय बजट को फरवरी महीने के अंतिम कार्य-दिवस को शाम 5 बजे घोषित किया जाता था

वर्ष 2000 तक, केंद्रीय बजट को फरवरी महीने के अंतिम कार्य-दिवस को शाम 5 बजे घोषित किया जाता था। यह अमूमन 28 फरवरी या 29 फरवरी होता था। यह अभ्यास औपनिवेशिक काल से विरासत में मिला था जब ब्रिटिश संसद दोपहर में बजट पारित करती थी जिसके बाद भारत इसे शाम को पारित करता था।

इसके अलावा जब भारत में शाम के 5 बजते थे तो उस समय लंदन में सुबह के 11.30 बज रहे होते थे। लंदन के हाउस ऑफ लॉर्ड्स और हाउस ऑफ कॉमंस में बैठे सांसद भारत का बजट भाषण सुनते थे।

आजादी के बाद भी यह नियम जारी रहा। वहीं लंदन स्टॉभक एक्स चेंज भी उसी समय खुलता था ऐसे में भारत में कारोबार करने वाली कंपनियों के हित इस बजट से तय होते थे।

budget (PC: social media)

2000 में पहली बार यशवंत सिन्हा ने बजट सुबह 11 बजे पेश किया

लेकिन औपनिवेशिक भारत की इस धुंध को देश में संविधान लागू होने के 50 साल बाद साफ किया गया। तत्का लीन एनडीए सरकार ने इस परंपरा को तोड़ा। उस समय के वित्त5 मंत्री यशवंत सिन्हाग ने सबसे पहले सुबह 11 बजे बजट पेश करना शुरू किया जो कि पूरी तरह से भारत के समयानुसार और भारत की परंपरा के अनुरूप था। 2000 में पहली बार यशवंत सिन्हा ने बजट सुबह 11 बजे पेश किया।

एक और बात आजादी के बाद देश का पहला बजट पहले वित्त मंत्री आरके षणमुखम चेट्टी ने 26 नवंबर 1947 को पेश किया था। इसमेँ 15 अगस्त 1947 से लेकर 31 मार्च 1948 के दौरान साढ़े सात महीनो को शामिल किया गया था। आरके षणमुखम चेट्टी ने 1948-49 के बजट में पहली बार अंतरिम शब्द का प्रयोग किया था। तभी से लघु अवधि के बजट के लिए इस शब्द का इस्तेमाल शुरू हुआ।

पहला बजट 28 फरवरी 1950 को जान मथाई ने पेश किया था

भारतीय गणतंत्र की स्थापना के बाद पहला बजट 28 फरवरी 1950 को जान मथाई ने पेश किया था इस बजट में योजना आयोग की स्थापना का वर्णन था। सीडी देशमुख वित्त मंत्री होने के साथ रिजर्व बैंक के पहले भारतीय गवर्नर भी थे। उन्होने 1951-52 में अंतरिम बजट पेश किया।

1955-56 से बजट पेपर हिंदी में तैयार किए जाने लगे।

1958-59 में देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने बजट पेश किया उस समय वित्त मंत्रालय उनके पास था ऐसा करने वाले वे देश के पहले प्रधानमंत्री बने। इंदिरा गांधी ने भी प्रधानमंत्री रहते बजट पेश किया अब तक बजट पेश करने वाली और वित्त मंत्री का पद संभालने वाली वे देश की इकलौती महिला हैं।

मोरारजी देसाई ने सर्वाधिक दस बार बजट पेश किया

मोरारजी देसाई ने सर्वाधिक दस बार बजट पेश किया। छह बार वित्त मंत्री और चार बार उप प्रधानमंत्री रहते हुए। अपने जन्मदिन पर भी बजट पेश करने वाले वह एकमात्र मंत्री रहे।

बजट छपने के लिए भेजे जाने से पहले वित्त मंत्रालय में हलवा खाने की रस्म निभाई जाती है। इस रस्म के बाद बजट पेश होने तक वित्त मंत्रालय के संबधित अधिकारी किसी के संपर्क में नहीं रहते, परिवार से दूर उन्हेँ वित्त मंत्रालय में ही रुकना पड़ता है।

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2016 से आम बजट को लेकर वित्तमंत्री अरुण जेटली ने दो बड़े बदलाव किये। हर बार फरवरी के अंत में पेश होने वाला बजट इस साल से 1 फरवरी को पेश होना शुरू हुआ। सरकार ने इस साल रेल बजट को भी खत्म कर दिया है, जिसकी वजह से अब रेल बजट आम बजट से अलग पेश नहीं होता है। इसी के साथ 92 साल की परंपरा को विराम लग गया।

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