Baby Corn Business: बेबी कॉर्न का बिजनेस लोगों को बना रहा लखपति, जानिए यहां कैसे करें

How To Start Baby Corn Farming: अगर कोई किसान बड़े लेवल पर इसकी खेती करता है तो सरकार उसको आर्थिक सहायता प्रदान करती है। केंद्र सरकार बेबीकॉर्न और मक्के की खेती के लिए किसानों को बढ़ावा दे रही है।

Written By :  Viren Singh
Update:2023-09-21 08:30 IST

Baby Corn Business (सोशल मीडिया) 

Baby Corn Business: बेबी कॉर्न में कई सारे पोषक तत्व मौजूद होते हैं। इसमें कोलेस्ट्रोल और फाइबर प्रचुर मात्रा में मिलता है। बेबी कॉर्न के भुट्टे पत्तों से लिपटे होने की वजह से कीटनाशक रसायन से मुक्त होते हैं। इसके अलावा इसकी फसल से तैयार हुए चारे की मांग बाजार में काफी अधिक होती है,क्योंकि दुधारू मवेशियों के लिए इसका चारा काफी अनुकूल होता है और जानवार इस चारे को खाना काफी पंसद करते हैं। बेबी कॉर्न के इतने सारे गुण होने की वजह से बाजार में इसकी काफी मांग होती है। ऐसे में कोई किसान अगर बेबी कॉर्न यानी मक्का की खेती करता है तो वह कम समय में मालामाल हो सकता है। इस फसल की खास बात यह होती है कि यह साल में तीन से चार बार तैयार होती है। इस वजह से जो भी किसान इससे जुड़ा हुआ है, वह लाखों रुपये एक सीजन में कमाई कर रहा है।

जानिए क्यों दिन पर दिन बढ़ रही बेबी कॉर्न की मांग? 

देश में गेहूं और चावल के बाद मक्का की फसल का अधिक उत्पादन होता है। बेबी कॉर्न की मांग गांव के साथ शहरों से होते हुए फाइव स्टार होटलों, पिज्जा चेन, पास्ता चेन, रेस्टोरेंट आदि जगहों पर काफी अधिक हो रही है। इन जगहों अधिकांश खाद्य पदार्थ में मक्के का उपयोग किया जाता है। इस वजह से बाजार में मक्का हर समय मिलता है और इससे किसानों को अपनी फसल का भाव भी सही मिलता है। ऐसे में अगर आप किसान है और कोई कमाई वाली फसल उगाने के बारे में सोच रहे हैं तो बेबी कॉर्न की खेती आपको बंपर कमाई करवा सकती है। आइये आपको बताते हैं कि कैसे की जाती है इसकी खेती (How to do Baby Corn Farming) और इस खेती से किसान कितना मुनाफा कमा सकते हैं?

कैसे करें बेबी कॉर्न की खेती? 

देश में बेबी कॉर्न की खेती पूरी साल की जाती है। भारत में बेबी कॉर्न की खेती उत्तरप्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र, कर्नाटक, मेघालय तथा आंधप्रदेश में की जा रही है। साथ ही, बिहार के लघु एवं सीमांत किसानों के लिए भी इसकी खेती फायदेमंद साबित हो रही है। बेबी कॉर्न मक्का के अपरिपक्व भुट्टे को कहा जाता है। सिल्क की 1 से 3 सेमी लंबाई वाली अवस्था और सिल्क आने के 1-3 दिनों के अंदर तोड़ा जाता है। साल में चार बार बेबी कॉर्न की फसल की पैदावार की जा सकती है। खेती में लगने के बाद बेबी कॉर्न की फसल रबी में 110-120 दिनों में, जायद में 70-80 दिनों में व खरीफ के मौसम में 55-65 दिनों में तैयार हो जाती है। एक एकड़ की खेती करने में किसान इसको कुल 15 हजार रुपये खर्च करना होता है, जबकि कमाई यह लाखों रुपये करवाती है।

बेबी कॉर्न से है डबल मुनाफा

बेबी कॉर्न की फसल से डबल लाभ होता है। एक तो फसल से तैयार होने वाले प्रोडक्ट की किसान बिक्री करता है। दूसरा खेती में बची फसल से किसान चारा बनाकर बिक्री करता है। मक्के का चारा पशुओं के लिए बहुत पौष्टिक आहार माना गया है। कोई भी दूध देने वाला पशु अगर मक्के के चारे का सेवन करता है तो उसके दूध के उत्पादन में असर पड़ता है।

सरकार इन को करेगी मदद

अधिक लाभ को देखते हुए अगर कोई किसान बड़े लेवल पर इसकी खेती करता है तो सरकार उसको आर्थिक सहायता प्रदान करती है। केंद्र सरकार बेबीकॉर्न और मक्के की खेती के लिए किसानों को बढ़ावा दे रही है। किसान भाई अधिक जानकारी के लिए iimr.icar.gov.in पर विजिट कर सकते हैं।

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