मौसम की मार: खरीफ फसलों की बुवाई में पिछड़ रहा देश, धान की बुआई पिछले साल से 46 प्रतिशत कम

भीषण गर्मी के बाद, ओडिशा , कर्नाटक और महाराष्ट्र में मानसून में देरी हुई है। इसके चलते बुवाई के चक्र में बदलाव किया गया है। खरीफ (kharif crop) की बुआई की शुरुआत कमजोर रही है।

Written By :  Neel Mani Lal
Update:2022-06-24 19:20 IST

Kharif Crop

Kharif Crop In India :  देश में मानसून की कमजोर शुरुआत के चलते में किसानों ने अब तक इस सीजन के धान की 1.96 मिलियन हेक्टेयर में बुवाई की है। कृषि मंत्रालय के आंकड़ों (Statistics From the Ministry Of Agriculture) के अनुसार, फिलहाल ये पिछले साल की तुलना में 46 प्रतिशत कम है। हालांकि, उम्मीद है कि मानसून के रफ़्तार पकड़ने के साथ धान की बुवाई की कमी भी पूरी हो जायेगी। गर्मी की बारिश ने देश के आधे से अधिक हिस्से को कवर कर लिया है, जिसके चलते वर्षा की कमी 36 प्रतिशत से घटकर 2 प्रतिशत हो गई है।

भीषण गर्मी के बाद, ओडिशा (Odisha), कर्नाटक (Karnataka) और महाराष्ट्र (Maharashtra) में मानसून में देरी हुई है। इसके चलते बुवाई के चक्र में बदलाव किया गया है। खरीफ (kharif crop) की बुआई की शुरुआत कमजोर रही है। अखिल भारतीय चावल निर्यातक संघ के अध्यक्ष बी.वी. कृष्ण राव ने कहा है, कि 'धान रोपण अभी शुरू हुआ है। मानसून की बारिश के साथ-साथ देश में धान का रकबा बढ़ सकता है। किसान आम तौर पर जून से चावल, मक्का, कपास, सोयाबीन, गन्ना और मूंगफली, अन्य फसलों के बीच रोपण शुरू करते हैं, जब मानसून की बारिश आम तौर पर भारत में आती है। बुवाई आमतौर पर जुलाई तक चलती है।'

गुजरात-महाराष्ट्र में कम बारिश से कपास की फसल प्रभावित 

मानसून की बारिश कृषि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। देश के लगभग आधे खेत में सिंचाई की कमी है। अनंतिम फसल बुवाई के आंकड़े क्योंकि, राज्य सरकारों से जानकारी पर आधारित होते हैं, सो इनमें आगे संशोधन होगा। जून से सितंबर में मानसून के मौसम की प्रगति के आधार पर रोपण के आंकड़े भी संशोधन के अधीन हैं। इस बीच कपास का कुल क्षेत्र 3.18 मिलियन हेक्टेयर है, जो एक साल पहले के 3.73 मिलियन हेक्टेयर से कम है। गुजरात और महाराष्ट्र राज्यों में कपास उगाने वाले क्षेत्रों में मानसून की बारिश विरल रही है। कपास की बुवाई के लिए किसानों के पास अपेक्षाकृत कम समय है। इसलिए बारिश की जरूरत है।

गिर सकता है दलहन का रकबा 

मुख्य ग्रीष्मकालीन तिलहन फसल सोयाबीन की बुवाई 278,000 मिलियन हेक्टेयर थी, जबकि 2021 में इसी समय यह 1.25 मिलियन हेक्टेयर थी। धान, दलहन के साथ बोया गया क्षेत्र पिछले साल 132,000 हेक्टेयर के मुकाबले 202,000 हेक्टेयर है। लेकिन, अगले कुछ हफ्तों में दलहन का रकबा गिर सकता है क्योंकि कुछ किसान कपास और सोयाबीन की ओर रुख कर सकते हैं। गन्ने की बुवाई 5.07 मिलियन हेक्टेयर पर पिछले साल के ही बराबर है।

पूर्वोत्तर क्षेत्र में अत्यधिक वर्षा से खरीफ की बुवाई प्रभावित 

कृषि व्यापार नीति विश्लेषक देविंदर शर्मा के अनुसार, 'शुष्क मौसम और पूर्वोत्तर क्षेत्रों में अत्यधिक वर्षा के कारण खरीफ की बुवाई प्रभावित हुई है। देश के बाकी हिस्सों में बुवाई प्रक्रिया में है। यह पता लगाना जल्दबाजी होगी कि किस तरह का नुकसान हो सकता है लेकिन वर्तमान स्थिति चिंता का कारण है।'

बेमौसम बरसात ने कहर बरपाया 

बता दें कि, मानसून के मौसम से पहले, मई के अंत से जून की शुरुआत तक, खरीफ फसलों की बुवाई की जाती है। अक्टूबर में मानसून समाप्त होने के बाद इनकी कटाई की जाती है। चावल, मक्का, दाल जैसे उड़द, मूंग दाल और बाजरा प्रमुख खरीफ फसलों में से हैं। असम में अचानक प्री-मानसून बाढ़ ने उन किसानों को प्रभावित किया जो गर्मियों में धान या बोरो चावल की फसल पकने का इंतजार कर रहे थे। चूंकि, राज्य में बाढ़ आम है, इसलिए किसान जून से पहले अपनी फसल काट लेते हैं। इस साल बेमौसम बाढ़ ने कृषि पर कहर बरपा रखा है।

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