India 4 Trillion Economy: भारतीयों ने अर्थव्यवस्था पर भी गाड़े झंडें, पार किया पहली बार 4 ट्रिलियन डॉलर का आंकड़ा, ग्लोबल GDP पर भारत का यह स्थान

India 4 Trillion Economy: ऐसा पहली बार हुआ है, जब भारत इस मुकाम पर पहुंचा है। 4 ट्रिलियन डॉलर के आंकड़ा पार करना यह दर्शाता है कि भारत अपने 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य की दिशा सही से चल रहा है और यह एक महत्वपूर्ण कदम है।

Report :  Viren Singh
Update:2023-11-19 14:33 IST

India 4 Trillion Economy (सोशल मीडिया) 

India 4 Trillion Economy: आज का दिन भारतीयों के लिए दोहरी खुशियां लेकर आया है। एक ओर जहां भारत वर्ल्ड कप के फाइनल में पहुंचा है और उसका आज मुकाबला आस्ट्रेलिया के गुजरात के अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में हो रहा है, वहीं दूसरी ओर भारतीय अर्थव्यवस्था के मामले में खुशियां आई हैं। भारत की अर्थव्यवस्था पहली बार 4 ट्रिलियन डॉलर का आंकड़ा पार कर लिया है, जो हर भारतीय वासियों के लिए हर्ष का विषय है। ईटी नाउ की रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने 19 नवंबर को 4 ट्रिलियन डॉलर का आंकड़ा पार करते हुए जीडीपी के मामले में वैश्विक स्तर पर शीर्ष चार देशों में अपनी जगह बना ली है।

सरकार की ओर से नहीं हुआ अभी तक आधिकारिक ऐलान

ऐसा पहली बार हुआ है, जब भारत इस मुकाम पर पहुंचा है। 4 ट्रिलियन डॉलर के आंकड़ा पार करना यह दर्शाता है कि भारत अपने 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य की दिशा सही से चल रहा है और यह एक महत्वपूर्ण कदम है। हालांकि भारतीय अर्थव्यवस्था का 4 ट्रिलियन डॉलर के आंकड़े को पार करने पर भारत सरकार की ओर से कोई आधिकारिक एलान नहीं  किया है। केवल कुछ मीडिया रिपोर्ट्स ने इस बात की पुष्टि की गई। 


दूसरी तिमाही में ऐसी रहेगी जीडीपी की चाल

केंद्रीय बैंक ने अपने 16 नवंबर के एक लेख में कहा था कि आर्थिक पूर्वानुमानों द्वारा समर्थित एक "व्यापक सहमति" है कि दूसरी तिमाही में वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के 6.5 प्रतिशत के अनुमान से बेहतर होगी। वित्तीय वर्ष के पहले तीन महीनों में भारत की अर्थव्यवस्था 7.8 प्रतिशत बढ़ी और आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने हाल ही में घरेलू अर्थव्यवस्था पर भरोसा जताया।

जीडीपी आंकड़े करेंगे आश्चर्यचकित

दास ने 31 अक्टूबर को कहा था कि आर्थिक गतिविधि की गति को देखते हुए कुछ शुरुआती डेटा बिंदु के मुताबिक मुझे उम्मीद है कि नवंबर के अंत में आने वाले दूसरी तिमाही के जीडीपी आंकड़े आश्चर्यचकित करेंगे। लेख में कहा गया है कि आशावाद कि वास्तविक जीडीपी वृद्धि 6.5% से अधिक होगी, सितंबर तिमाही के कॉर्पोरेट परिणामों द्वारा समर्थित प्रतीत होती है।

विश्लेषकों की राय

एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने 16 नवंबर को कहा कि भारत की आर्थिक वृद्धि की संभावनाएं मध्यम अवधि में मजबूत बनी रहनी चाहिए। वित्तीय वर्ष 2024-2026 में सकल घरेलू उत्पाद में सालाना 6-7.1 प्रतिशत की वृद्धि होगी। वहीं, ग्लोबल बैंक्स कंट्री-बाय-कंट्री आउटलुक 2024' शीर्षक वाली एक रिपोर्ट में, एसएंडपी ने कहा कि स्वस्थ कॉर्पोरेट संतुलन सहित संरचनात्मक सुधार के कारण, बैंकिंग क्षेत्र के कमजोर ऋण 31 मार्च, 2025 तक सकल अग्रिमों के 3-3.5 प्रतिशत तक गिर जाएंगे। वैश्विक अनिश्चितताओं का भारतीय अर्थव्यवस्था पर कम असर पड़ेगा। धीमी वैश्विक वृद्धि और बाहरी मांग आर्थिक गतिविधियों पर असर डालेगी और मुद्रास्फीति को और बढ़ा सकती है। हालांकि, यह देखते हुए कि भारत घरेलू स्तर पर केंद्रित है। एजेंसी को उम्मीद है कि आर्थिक विकास कम प्रभावित होगा।

मॉर्गन स्टेनली और मूडीज ने विकास दर में की वृद्धि

इस बीच, मॉर्गन स्टेनली रिसर्च ने 13 नवंबर को मजबूत घरेलू बुनियादी सिद्धांतों का हवाला देते हुए कहा कि उसे वित्त वर्ष 2024 और वित्त वर्ष 2025 के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि लगभग 6.5 प्रतिशत रहने की उम्मीद लगाई थी। वहीं, मूडीज इन्वेस्टर सर्विसेज ने ठोस घरेलू मांग के कारण वैश्विक मंदी के बीच देश की उल्लेखनीय लचीलापन का हवाला देते हुए, 2023 के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि को 6.7 प्रतिशत पर बरकरार रखा।

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने भी Q1 के दौरान अपेक्षा से अधिक मजबूत खपत का हवाला देते हुए भारत के लिए अपने 2023-24 के विकास अनुमान को जुलाई के 6.1 प्रतिशत के अनुमान से बढ़ाकर 6.3 प्रतिशत कर दिया है।

5 ट्रिलियन डॉलर के लिए सरकार उठा रही यह कदम

राज्य मंत्री वित्त पंकज चौधरी ने अगस्त में कहा था कि भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए सरकार के रोडमैप में समावेशी विकास पर ध्यान केंद्रित करना, डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना, फिनटेक, प्रौद्योगिकी-सक्षम विकास, ऊर्जा परिवर्तन और जलवायु कार्रवाई और निवेश और विकास के एक अच्छे चक्र पर भरोसा करना जैसे उपाय शामिल हैं।

राज्यसभा में एक अतारांकित प्रश्न का उत्तर देते हुए चौधरी ने कहा कि माल और सेवा कर (जीएसटी), दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी), कॉर्पोरेट कर दर में उल्लेखनीय कमी, मेक इन इंडिया और स्टार्ट-अप इंडिया जैसे प्रमुख सुधार रणनीतियां, उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजनाएं (पीएलआई), अन्य बातों के अलावा, भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास की शुरुआत करेंगी।

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