Israeli Agricultural Technology: इजरायली कृषि तकनीक यूपी सहित देश में बढ़ गया फल और सब्जियों का उत्पादन, जानिए क्या है वह तकनीक?
Israeli Agricultural Technology: यह इजरायली कृषि तकनीक है, जो भारतीय बाजार में सालों भर खीरा, टमाटर, फूलगोभी, पालक, मूली और गाजर जैसी सीजनली सब्जियां मिल रही हैं। पहले यह सब्जियां अपने सीजन में पैदा होती थीं। संरक्षित खेती कृषि के जरिये फलों को भी अधिक पैदा किया जा सकता है
Israeli Agricultural Technology: यूपी सहित भारत के अधिकांश खेत खलिहानों में इजरायली कृषि तकनीक आने से काफी फल फूल रहे हैं। इससे हो क्या है कि खेतों में पर्याप्त पानी बिना बर्बादी के पहुंच रहा है और किसानों को फसलों का उत्पादन बढ़ गया है। इस वजह से पहले की तुलना में अब किसानों की आय अधिक बढ़ गई है। भारत सरकार किसानों की आय दोगुनी करने के लिए प्रतिबद्ध तो है, साथ वह किसानों को नई नई कृषि तकनीक के बारे में जानकारी भी मुहैया करवा रही है, फिर चाहे उन्हें इस काम के लिए देश के अंदर किसी कोने में जाना हो या फिर देश के बाहर जाना हो। सरकार किसानों को इस कार्य के लिए हर संभव मदद दे रही है। दरअसल, भारत में जब से इजरायली कृषि तनकीन भारतीय कृषि में उपयोग होने लगी है, तब फसलों का खास कर सब्जी और फलों का उत्पादन काफी बढ़ गया है, इससे किसानों को आय में वृद्धि हुई ही है, साथ ही उनका आर्थिक स्तर भी पढ़ा है।
दरअसल, भारत सरकार हर साल किसानों को सरकारी खर्च से इजरायल का दौरा करवाती है। अपने देश के किसान वहां जाकर कृषि के क्षेत्र में उपयोग होने वाली नई नई तकनीकों और वैज्ञानिक तरीकों की जानकारी हासिल करते हैं। उसके बाद वह भारत आकर अपने किसानों के बीच यह जानकारी पहुंचते हैं और खुद अपने खेतों में इसका अमल करते हैं। इससे हुआ क्या है कि इजरायल कृषि तकनीक अपनाने से फसल को तैयार करने में कम लागत में अधिक उत्पादन बढ़ गया है, जिससे किसानों को बल्ले बल्ले हो रही है।
इजरायल भारत के साझा करता है तकनीक
इजरायल देश रेगिस्तान का शहर है, वहां पर मिट्टी की कमी है। इस वजह से वहां कृषि करने में वैज्ञानिक तकनीकों को उपयोग किया जाता है। भारत का खास दोस्त होने की वजह से इजरायल भारत के साथ अपनी कृषि तकनीकों को शेयर करता है। इसका असर भारतीय किसानों पर दिखाई पड़ा है। जब के देश के किसानों ने इजरायली कृषि तकनीक को अपनाया है, जब से न सिर्फ उनकी इनकम बढ़ी है बल्कि फसलों का उत्पादन भी बढ़ गया है। इजरायली कृषि तकनीक से खेतों में पानी अब पहले की तुलना में अधिक पहुंच रहा है और इसकी बर्बादी भी रुकी है।
ड्रिप इरीगेशन तकनीक को अपनाता है इजरायल
इजरायल देश आधे से अधिक जमीन रेगिस्तानी है। इस वजह यहां कृषि करना एक बड़ी समस्या है। रेगिस्तान में सिंचाई एक मुख्य समस्या होती है और बिना सिंचाई की कोई फसल का उत्पादन नहीं किया जा सकता। हालांकि इजरायल ने इस समस्या की खोज करते हुए वह यहां पर वैज्ञानिक विधि से फल, फूल और सब्जियों की खेती कर रहा है। वह रेगिस्तान वाले इलाकों में ड्रिप इरीगेशन को अपना कर कम पानी खर्च कर बागवानी की खेती करता है। इससे हो क्या रहा है कि किसान रेगिस्तान इलाके में फल, फूल और सब्जी की खेती धड़ल्ले से कर रहे हैं। वहीं, इजरायली कृषि तकनीक को बढ़ावा देने के लिए भारत और इजरायल के बीच कई समझौते हुए हैं। यही समझौते के तहत भारत में संरक्षित खेती पर ज्यादा फोकस किया जा रहा है।
यह इजरायली कृषि तकनीक है, जो भारतीय बाजार में सालों भर खीरा, टमाटर, फूलगोभी, पालक, मूली और गाजर जैसी सीजनली सब्जियां मिल रही हैं। पहले यह सब्जियां अपने सीजन में पैदा होती थीं। संरक्षित खेती कृषि के जरिये फलों को भी अधिक पैदा किया जा सकता है और हो रहा है। इस तकनीक का इस्तेमाल के लिए किसानों को जमीन पर नेट हाउस या ग्रीन हाउस तैयार करता है। इसके तैयार होन के बाद किसान इसके अंदर फलों और सब्जियों की पैदावारी करता है। नेट हाउस के अंदर फसलों के ऊपर कीट, धूप, बारिश, लू, पाला और शीतलहर का असर नहीं पड़ता है। यहां पर सिंचाई के लिए पानी की कम जरूरत होती है।
यूपी सहित कई राज्य अपना रहे इजरायली कृषि तकनीक
इजरायल की इस तकनीक का उपयोग आज भारत के अधिकांश राज्यों में किया जा रहा है। इसमें बिहार, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और झारखंड सहित कई राज्य शामिल हैं। इन राज्यों की किसान नेट हाउस और ग्रीन हाउस के माध्मय से सब्जी और फलों की खेती कर रहे हैं।