Khadya Tel Ka Bhav: चुनावों के बीच तेल की चिंता, इम्पोर्ट ड्यूटी घटी, वायदा ट्रेड पर रोक

Khadya Tel Ka Bhav: रिफाइंड पाम आयल पर बेसिक इम्पोर्ट ड्यूटी 17.5 फीसदी से घटा कर 12.5 फीसदी कर दी है। सरकार ने कहा है कि ये कदम दामों में रिकॉर्ड तेजी को कंट्रोल करने के लिए किया है।

Written By :  Neel Mani Lal
Published By :  Chitra Singh
Update:2021-12-21 12:27 IST

खाद्य तेल (फाइल फोटो- सोशल मीडिया)

Khadya Tel Ka Bhav: देश में खाद्य तेलों के दाम (edible oil prices in india) घटने का नाम नहीं ले रहे हैं। रिफाइंड तेल (Refined oil price) और सरसों तेल (Mustard oil price) के दाम बहुत हाई लेवल पर टिके हुए हैं। चुनावी सीज़न में महंगाई कन्ट्रोल करना जरूरी है सो, अब सरकार ने दाम घटाने की नई कोशिश करते हुए वायदा कारोबार पर रोक लगा दी है और पाम आयल के इम्पोर्ट पर ड्यूटी और भी घटा दी है। व्यापारियों का कहना है कि सरकार खाद्य कीमतों की बढ़ोतरी के कारण भारी दबाव में है। इसकी बड़ी वजह अगले साल होने वाले अहम चुनाव भी हैं, जिस कारण इस तरह के फैसले लिए जा रहे हैं।

पाम ऑयल (Palm Oil) 

रिफाइंड पाम आयल पर बेसिक इम्पोर्ट ड्यूटी (refined palm oil import duty in india) 17.5 फीसदी से घटा कर 12.5 फीसदी कर दी है। सरकार ने कहा है कि ये कदम दामों में रिकॉर्ड तेजी को कंट्रोल करने के लिए किया है। ड्यूटी कटौती से भारतीय आयातक अब मलेशिया और इंडोनेशिया से रिफाइंड ग्रेड का तेल मंगवाने के लिए प्रोत्साहित होंगे। ड्यूटी कटौती के बर्फ रिफाइंड प्लम आयल इम्पोर्ट पर कुल 13.75 फिसदी टैक्स पड़ेगा। अभी ये 19.25 फीसदी है।

वायदा कारोबार

भारत ने कई जिन्सों के वायदा व्यापार पर एक साल का प्रतिबंध लगा दिया है। 2003 में वायदा व्यापार को अनुमति दिए जाने के बाद से इस क्षेत्र में यह सबसे बड़ा फैसला है जिसका असर दामों पर पड़ सकता है।

अपने आदेश में बाजार नियामक सेबी ने विभिन्न कमॉडिटी एक्सेचेंज को सोयाबीन, सोय ऑयल, क्रूड पाम ऑयल, धान, सफेद छोले, हरे चने, सफेद सरसों और सरसों के वायदा बाजारों के लिए भविष्य में एक साल तक नए अनुबंध जारी ना करने का आदेश दिया है। मौजूदा अनुबंधों के लिए भी नई खरीद-फरोख्त की इजाजत नहीं होगी।

वायदा व्यापार (फाइल फोटो- सोशल मीडिया)

भारत है सबसे बड़ा आयातक

दुनिया में खाद्य तेलों का सबसे बड़ा इम्पोर्टर भारत (india largest importer of edible oil) है। इसकी वजह भारतीय खानपान में तेलों का महत्वपूर्ण स्थान है। भारत वनस्पति तेलों के इम्पोर्ट पर सालाना 8.5 से 10 बिलियन डॉलर खर्च करता है। कच्चे तेल और सोने के बाद वनस्पति तेल भारत का तीसरा सर्वाधिक इम्पोर्ट किया जाने वाला आइटम है। दो दशक पूर्व भारत मात्र 40 लाख टन वनस्पति तेल इम्पोर्ट करता था लेकिन अब ये डेढ़ करोड़ टन हो गया है। इंडस्ट्री के जानकारों के कहना है कि लोगों की आय बढ़ने और तले भोजन के बढ़ते इस्तेमाल के कारण तेल की डिमांड बढ़ती जा रही है।

रिकॉर्ड प्रोडक्शन (Record Production)

बीते पांच साल में भारत का तिलहन प्रोडक्शन 44 फीसदी बढ़ कर 36.6 मिलियन टन पहुंच गया है। लेकिन इसके बावजूद ये प्रोडक्शन भारत की कुल डिमांड का आधे से भी कम है। भारत में प्रति व्यक्ति खाद्य तेल की औसत खपत 19 किलो प्रति वर्ष है।

क्या होता है फ्यूचर दाम

कमोडिटी या जिंसों के बाजार में शेयर बाजार की तरह जिंसों के भविष्य के अनुमानित दाम पर खरीद बिक्री चलती है। इसे सट्टा भी कह सकते हैं। अगर ट्रेडर्स को लगता है कि भविष्य में किसी चीज के दाम बढ़ने या घटने वाले हैं तो वे उसी हिसाब से उसकी खरीद या बिक्री कर देते हैं। यही फ्यूचर ट्रेडिंग होती है। कई बार दाम कृत्रिम रूप से भी बढ़ाये जाते हैं ताकि भरपूर प्रॉफिट कमाया जा सके।

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