Indian Market M-Cap: BSE में लिस्टेड कंपनियों ने रचा नया कीर्तिमान, पहली बार मार्केट कैप 4 ट्रिलियन डॉलर के पार

Indian Market M-Cap: साल 2007, मई में बीएसई-सूचीबद्ध कंपनियों ने 1 ट्रिलियन डॉलर का मार्केट कैप हासिल किया। 2017 में यह 2 ट्रिलियन डॉलर और 2021 में 3 ट्रिलियन डॉलर का आंकड़ा पार किया था।

Report :  Viren Singh
Update:2023-11-29 16:00 IST

Indian Market M-Cap (सोशल मीडिया) 

Indian Market M-Cap: भारतीय इक्विटी में सकारात्मक बाजार धारणा के कारण बीएसई-सूचीबद्ध कंपनियों का बाजार मूल्यांकन में इतिहास रच दिया है। 29 नवंबर यानी बुधवार को भारतीय शेयर बाजार में ऐसा पहली बार हुआ है, जब बॉम्बे स्टॉक मार्केट (BSE) में लिस्टेडट कंपनियों का मार्केट वैल्यू 4 ट्रिलियन डॉलर को पार कर गया। इससे पहले साल 2021 में बीएसई-सूचीबद्ध कंपनियों का मार्केट वैल्यू ने 3 ट्रिलियन डॉलर का आंकड़ा छूआ था। 

इस साल एम-कैप 600 अरब डॉलर से अधिक बढ़ा

मिली जानकारी के मुताबिक, बुधवार को बीएसई-सूचीबद्ध कंपनियों का बाजार पूंजीकरण 83.31 की विनिमय दर पर ₹333 लाख करोड़ यानी $4 ट्रिलियन तक पहुंच गया। इस वर्ष की शुरुआत में लिस्टेडट कंपनियों का मार्केट कैप 600 अरब डॉलर से अधिक हो गया है।

जानिए कब कब मार्केट कैप ने रचा इतिहास

साल 2007, मई में बीएसई-सूचीबद्ध कंपनियों ने 1 ट्रिलियन डॉलर का मार्केट कैप हासिल किया। इसको दोगुना होने में 10 साल से अधिक का समय लगा था। फिर जुलाई, 2017 में यह 2 ट्रिलियन डॉलर को पार कर गया, जबकि मई 2021 यानी आज से दो पहले बीएसई की सूचीबद्ध कंपनियों का बाजार पूंजीकरण 3 ट्रिलियन डॉलर का आंकड़ा पार किया था। आज इंट्रा-डे सौदों में बीएसई सेंसेक्स 305.44 अंक चढ़कर 66,479.64 पर पहुंच गया। यह अभी 15 सितंबर के सेंसेक्स रिकॉर्ड से 2 फीसदी दूर है। इस साल 15 सितंबर को बीएसई 67,927.23 अंकों पर पहुंचकर अपना अब तब तक उच्चतम स्तर हासिल किया था। वहीं, निफ्टी 141 अंक से अधिक बढ़कर 20,000 अंक के पार पहुंच गया। इसका इंट्रा-डे हाई 20,031.25 रहा। सितंबर 2023 में इसने 20,222.45 के अपने रिकॉर्ड उच्च स्तर को भी छुआ था।

एम-कैप के इतिहास रचने की पीछे रही यह वजह

बीएसई के इस रिकॉर्ड पर स्वस्तिका इन्वेस्टमार्ट लिमिटेड के अनुसंधान प्रमुख संतोष मीना ने कहा कि निफ्टी का हाल ही में 20,000 के मनोवैज्ञानिक स्तर को पार करना और बीएसई मार्केट कैप का 4 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचना एक नई गति की शुरुआत का संकेत देता है। घरेलू तरलता ने समर्थन प्रदान किया है, लेकिन उच्च अमेरिकी बांड पैदावार के कारण विदेशी प्रवाह की कमी एक बाधा रही है। अमेरिका में ब्याज दरें चरम पर हैं और डॉलर सूचकांक में गिरावट आ रही है, जिससे भारतीय इक्विटी बाजार में विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) का प्रवाह आकर्षित होने की उम्मीद है। मजबूत बुनियादी बातों के बावजूद, राज्य के चुनाव परिणामों में अस्थिरता की आशंका है। हालाँकि, इसके कारण होने वाली कोई भी कमजोरी खरीदारी का आकर्षक अवसर प्रस्तुत कर सकती है। ऐसा प्रतीत होता है कि बाज़ार चुनाव पूर्व रैली के लिए तैयार है, और हम उम्मीद कर सकते हैं कि निफ्टी जल्द ही 21,000 को पार कर जाएगा। उन्होंने कहा कि यह उछाल फेड गवर्नर क्रिस्टोफर वालर द्वारा आने वाले महीनों में संभावित दर में कटौती को हरी झंडी दिखाने के बाद आया है।

एफआईआई ने किया 1 लाख करोड़ का निवेश

साथ ही, विदेशी संस्थागत निवेशक ने पिछले दो महीनों सितंबर और अक्टूबर में भारतीय शेयर बाजार से बिकवाली की थी। अब वह इस महीनें से भारतीय इक्विटी खरीदना शुरू कर दिया है। नवंबर महीने में अब तक शुद्ध एफआईआई खरीदारी ₹2,901 करोड़ रही है। इससे बाजार की सकारात्मक धारणा भी बढ़ी है। कुल मिलाकर 2023 में, एफआईआई ने लगभग ₹1 लाख करोड़ के भारतीय स्टॉक खरीदे हैं, जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने ₹177.5 लाख करोड़ का निवेश करके डॉलर के पैसे को पीछे छोड़ दिया है।

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