Muzaffarnagar Gur: भारत में ही नहीं दुनिया में भी हैं मुजफ्फरनगर के गुड़ के दीवाने, ODOP से सवंर रहा उद्योग

Muzaffarnagar Gur ODOP: गुड़ की मांग के चलते उत्तर प्रदेश सरकार ने साल 1976 में नवीन मंडी की स्थापना की थी। इस मंडी से गुड देश विदेशों में निर्यात किया जाता है। हालांकि जिले में थोक गुड़ मंडी की शुरुआत 1954 में हो गई थी।

Written By :  Viren Singh
Update:2023-01-05 07:20 IST

Muzaffarnagar Jaggery (Gur) (Newstrack)

Muzaffarnagar Gur ODOP: सूबे की सत्ताधारी दल भाजपा सरकार को अगर यूपी की अर्थव्यवस्था को 1 ट्रिलियन डॉलर बनाना है तो बिना मुजफ्फरनगर जिला को शामिल किए यह लक्ष्य पूरा नहीं हो सकता। मुजफ्फरनगर जिला अपने आप में कई खूबियों को शामिल किये हुए है। इसमें इसकी एक खूबी है गुड़। मुजफ्फरनगर जिले की गुड़ की सुगंध भारत तो छोड़िए विदेशों तक में फैली है। गुड़ की विशेषता की वजह से यूपी के इस जिले को भारत में एक विशेष पहचान मिली है। और यह पहचान चीनी के कटोरा की रूप में है।

मुजफ्फरनगर को कहा जाता चीनी के कटोरा

चीनी के कटोरे का नाम आते ही लोगों को दिमाग में अपने आप मुजफ्फरनगर जिले का नाम याद आता है और ऐसा होना कोई छोटी बात नहीं है। चीनी के कटोरे जिले के गुड़ की खासियत यह है कि विदेशों में इसके दीवाने मिल जाएंगे। गुड़ के कारोबार से मुजफ्फरनगर देश विदेश में चमक दमक रहा है। मौजूदा यूपी की योगी सरकार ने गुड़ के कारोबार की वजह से मुजफ्फरनगर जिले को अपनी सबसे महत्वाकांक्षी योजना 'एक जिला एक उत्पाद' (ODOP) में शामिल किया है। सरकार लगातार इस योजना पर माध्यम से गुड़ उद्योग को पहले की तुलना और अधिक विकसित कर रही है। वहीं, इस उद्योग से जुड़े लोगों को सरकारी सहायता प्रदान कर रही है, जिससे स्थानीय लोग बढ़ चढ़कर गुड़ उद्योग में हिस्सा लें। 

तो चलिए आज इस लेख के माध्यम से आपको जिले के गुड़ के कारोबार से संबंधित हर वो जानकारी देने जा रहे है, जो शायद आपको अभी तक पता न हो।

क्यों होती है देश विदेश में गुड़ की मांग?

मुजफ्फरनगर के गुड़ की खासियत की वजह से देश विदेश में इसकी मांग अधिक रहती है।क्योंकि यहां पर 118 किस्म के गुड तैयार किये जाते हैं। इन किस्मों का स्वाद पूरी दुनिया लोगों की जुंबा पर छाया रहता है। इन 118 किस्मों के गुड़ को यहां पर लगे 3000 कोल्हू में तैयार किया जाता है, जिसकी वजह से मुजफ्फरनगर को एशिया की सबसे बड़ी गुड़ मंडी का टैग मिला हुआ है। यहां तैयार हुए गुड़ की खास बात यह होती है कि गन्ने की जैविक व नेचुरल खेती से तैयार किया जाता है।

आपको बता दें कि गुड़ और चीनी को बनाने के लिए गन्ना का उपयोग किया जाता है। गन्ने की जैविक और नेचुरल खेती की वजह से मुजफ्फरनगर का गुड़ का स्वाद अन्य जगहों पर बने गुड़ से अनोखा होता है। यहां पर गुड तैयार करने में किसी भी प्रकार कोई मिलावट नहीं होती है। इसकी प्रशंसा यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी कर चुके हैं। एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा था कि मुजफ्फरनगर के किसानों ने कृषि वैज्ञानिकों के साथ मिलकर गुड़ 118 किस्में खोज निकाली हैं। इसमें सबसे बड़ी बात यह है कि गुड़ को तैयार करने में कोई केमिकल और फर्टिलाइजर का उपयोग नहीं किया है।

उन्होंने कहा था कि सामान्यतः बाजारों में बोरे में भरकर खोले में बेचा जाता है। लेकिन मुजफ्फरनगर के गुड़ निर्माताओं ने गुड़ की पैकेजिंग में भी विशेष ध्यान देना शुरू किया और आज नतीजा सबके सामने है। पैकेजिंग और मार्केट की बलबूते यहां का गुड़ देश के कोने कोने से साथ विदेशों में निर्यात किया जाने लगा है। वहीं, अब धीरे धीरे इसके निर्यात में और मांग बढ़ने लगी है।

यह गांव है गुड़ बनने का केंद्र

वैसे तो पूरे मुजफ्फरनगर में गुड़ तैयार किया जाता है। जिले में एक स्थान ऐसा भी जहां पर सबसे अधिक गुड़ का काम होता है। मुजफ्फरनगर का नुनाखेड़ा गांव गुड़ बनाने का प्रमुख केंद्र है। इस गांव में 50 अधिक गुड़ बनाने के लिए कोल्हू लगे हुए हैं। इन कोल्हू के माध्यम से विभिन्न किस्म का गुड़ तैयार किया जाता है और अन्य जगहों पर भेजा जाता है। इस गांव में गुड़ कीमत 30 रुपये किलो से शुरू हो जाती है और यह दाम अलग अलग किस्मों के आधार पर बढ़ती रहती है। इस गांव में गुड़ को बनाने के लोग 24 घंटे काम करते हैं। वहां के एक स्थानीय का कहना है कि नुनाखेड़ा गांव का गुड मुजफ्फरनगर में क्या आस पास के कई जनपदों में फेमस है? यहां पर हर दिन 600 कुंतल गुड़ तैयार किया जाता है। इस गांव की गुड की विशेषता के चलते गुड़ मंडी से पहुंचने से पहले ग्राहक खुद कोल्हू से खरीद ले जाते हैं।

इन जगहों पर जाता गुड़

एक अन्य स्थानीय का कहना है कि जिले के गुड़ की डिमांड काफी अधिक है। यहां पर तैयार होने वाला गुड़ देश के कई राज्यों में जाता है। इसमें राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, बिहार और आंध्र प्रदेश आदि राज्य शामिल हैं। इसके अलावा यहां का गुड़ विदेशों में भी भेजा जाता है। इसमें पड़ोसी देश म्यामार, नेपाल श्रीलंका और अमेरिका,कानडा सहित कई देश शामिल हैं।

इन वैरायटी के गुड़ होते हैं निर्यात

अगर निर्यात वाली गुड़ की वैरायटी की बात करें तो इसमें चाकू, पपड़ी, मिंजा, रसकट, शक्कर, लड्‌डू, खुरपा, चौरसा आदि वैरायटी हैं। इसके अलावा जिले में गुड के कई व्यंजन तैयार होते हैं। इसमें गुड़, गज्जक, तिल की गज्जक, गुड़ की बरफी, गुड़ कोकोनट बरफी, गुड़ मूंगफली, गुड़ के समोसे, गुड़ केक, गुड़ चॉकलेट, गुड़ की टॉफी, गुड़ की नुगदी, गुड़ बेसन के लड्डू, चौलाई के लड्डू, मुरमुरे के लड्डू, तिल-गुड़ के लड्डू, आटा-गुड़ के लड्डू व गुड़ चूरमा के लड्डू सहित गुड़ से निर्मित कुल 31 व्यंजन शामिल हैं।

इस साल बनी थी थोक गुड़ मंडी

गुड़ की मांग के चलते उत्तर प्रदेश सरकार ने साल 1976 में नवीन मंडी की स्थापना की थी। इस मंडी से गुड देश विदेशों में निर्यात किया जाता है। हालांकि जिले में थोक गुड़ मंडी की शुरुआत 1954 में हो गई थी। लेकिन जगह सीमित होने के चलते सरकार ने नवीन मंडी की स्थापना की थी। मुजफ्फरनगर यूपी का तीसरा सबसे बड़ा गन्ना उत्पादक जिला है। इसके पहले लखीमपुर खीरी और बिजनौर हैं। मुजफ्फरनगर में 9 चीनी लगी हुई हैं। यहां पर 1.47 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में गन्ने की खेती की जाती है। सीजन में 9.13 करोड़ क्विंटल गन्ने की पिराई हुई है। इसके अलावा सीजन में जिले से 1.9 लाख क्विंटल चीनी का उत्पादन होता है।

यह कहना है कि अध्यक्ष का

जिले के 'गुड़ और खांडसारी एसोसिएशन' के अध्यक्ष संजय मित्तल का कहना है कि मुजफ्फरनगर का गुड व्यापार एक अवैध व्यापार व चुनौती से जुझ रहा है। मंडी में 2.5 फीसदी का अतिरिक्त कर लगने होने की वजह से लोग मंडी के बाहर ही गुड़ बेच जाते हैं, जिसके वजह से अवैध कारोबार काफी फल फूल रहा है। कुछ साल पहले तक मंडी में हर महीने 60,000 से 70,000 बोरा गुड़ आता था। अब घटकर यह 5,000 से 7,000 प्रति महीना बोरा हो गया है। हालांकि राज्य सरकार एक जिला एक उत्पाद में शामिल करके इसको जीवित करने में लगी हुई है। और पहले की तुलना में अब धीरे धीरे कारोबार बढ़ रहा है।

क्या है ODOP?

केंद्र सरकार की अनदेखी के बाद हालांकि यूपी सरकार ने सहारनपुर की फर्नीचर उद्योग को अपनी ODOP (एक जिला एक उत्पाद) योजना के तहत जरूर खड़ा करने की कोशिश कर रही है,लेकिन अभी योजना पूरी तरह परवान पर नहीं चढ़ पाई है। दरअसल यूपी में लघु और मध्यम उद्योगों को बढ़ावा देने और स्वरोजगार को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से योगी सरकार ने एक जिला एक उत्पाद योजना का शुभारंभ किया है। एक जिला एक उत्पाद योजना के अंतर्गत अभी तक 5 लाख लोगों को रोजगार मिल चुका है। इसके अलावा यूपी से छोटे लघु एवं मध्य उद्योग से 89 हजार करोड़ से अधिक का निर्यात किया जा चुका है। इस योजना की शुरुआत 28 जनवरी, 2018 में की गई थी।

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