जानिए क्या होता आर्थिक सर्वेक्षण? आखिर इसको क्यों कहा जाता है मोदी सरकार का अहम दस्तावेज, जानें यहां

Economic Survey 2024: आर्थिक सर्वेक्षण बंद वित्तीय वर्ष के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था की एक व्यापक समीक्षा या वार्षिक रिपोर्ट है। भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) के मार्गदर्शन में वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग के अर्थशास्त्र प्रभाग द्वारा तैयार किया गया।

Report :  Viren Singh
Update: 2024-07-22 07:06 GMT

Economic Survey 2024 (सोशल मीडिया) 

Economic Survey 2024: केंद्र सरकार की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 23 जुलाई को संसद भवन में बजट पेश करेंगी। निर्मला सीतारमण का एक वित्त मंत्री के रूप में यह उनका छठवां पूर्ण बजट होगा, जिसको वह पेश करने जा रही हैं, जबकि मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला पूर्ण बजट-2024 पेश करेंगी। कल आने वाले बजट पर सभी देश वासियों की निगाहें टिकी हुई हैं, लोग सरकार से उम्मीद कर रहे हैं कि इस महंगाई के बीच उनके के लिए कुछ राहत की घोषणा करें। हालांकि बजट से पहले मोदी सरकार आज से शुरू हुए बजट सत्र में एक अहम दस्तावेज प्रस्तुत करनी जा रही है, जिसको बजट का दर्पण कहा जाता है और इसका आर्थिक सर्वेक्षण कहा जाता है। इस सर्वेक्षण से यह पता चल जाता है कि सरकार के पेश होने वाले बजट की रूपरेखा किस प्रकार है। 

आज संसद में पेश आर्थिक सर्वेक्षण

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सोमवार को लोकसभा में आर्थिक सर्वेक्षण-2024 किया। उसके बाद भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आर्थिक सर्वेक्षण के बारे में जानकारी देंगे, जो कि इस वक्त वी.अनंत नागेश्वरन हैं। आर्थिक सर्वेक्षण बजट पेश होने के ठीक एक दिन पहले संसद में पेश किया जाता है। इसको बजट का और सरकार का महत्वपूर्ण दस्तावेज़ भी कहा जाता है, जिसके जरिये आप सरकार की आर्थिक नीतियां किस दिश पर हैं, इस बात की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। तो आइए आपको बताते हैं कि क्या होता है आर्थिक सर्वेक्षण और कैसे इसे तैयार किया जाता है?

आर्थिक सर्वेक्षण क्या है?

आर्थिक सर्वेक्षण बंद वित्तीय वर्ष के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था की एक व्यापक समीक्षा या वार्षिक रिपोर्ट है। भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) के मार्गदर्शन में वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग के अर्थशास्त्र प्रभाग द्वारा तैयार किया गया। यह सरकार के आर्थिक प्रदर्शन, प्रमुख विकास कार्यक्रमों और नीतिगत पहलों के सारांश के रूप में कार्य करता है। इसके अलावा आगामी वित्तीय वर्ष के लिए एक दृष्टिकोण भी प्रदान करता है।

आर्थिक सर्वेक्षण दस्तावेज़ में दो भाग होते हैं - पहला भाग या भाग ए में देश के आर्थिक विकास और चुनौतियाँ और अर्थव्यवस्था की व्यापक समीक्षा शामिल होती है। जबकि दूसरा भाग बी सामाजिक सुरक्षा, गरीबी, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, मानव विकास और जलवायु जैसे विशिष्ट विषयों पर पिछले वित्तीय वर्ष का विश्लेषण करता है।

आर्थिक सर्वेक्षण क्यों महत्वपूर्ण है?

आर्थिक सर्वेक्षण दस्तावेज़ पिछले वित्तीय वर्ष में भारत के विकास की एक व्यापक समीक्षा है - जो सभी क्षेत्रों, उद्योगों, कृषि, रोजगार, कीमतों और निर्यात के विस्तृत सांख्यिकीय डेटा का विश्लेषण और प्रदान करने पर आधारित है। साथ ही, यह अगले वित्तीय वर्ष के लिए "प्राथमिकता सूची" प्रदान करके और किन क्षेत्रों को अधिक आवंटन, नीति समर्थन और सरकारी कार्यक्रमों की आवश्यकता होगी, यह बताकर बजट से पहले एक समग्र दृष्टिकोण देने में भी मदद करता है। यह अर्थव्यवस्था का सबसे आधिकारिक और व्यापक विश्लेषण है जो केंद्र सरकार के भीतर से किया जाता है। हालांकि दस्तावेज़ में दी गई सिफारिशें और मूल्यांकन केंद्रीय बजट पर बाध्यकारी नहीं हैं।

आर्थिक सर्वेक्षण कब प्रस्तुत किया जाता है?

आर्थिक सर्वेक्षण मोदी सरकार के आने के बाद से हर साल 1 फरवरी को पेश होने वाले सरकार के पूर्ण बजट के एक दिन पहले 31 जनवरी को पेश किया जाता है, लेकिन इस बार चुनावी साल होने की वजह से आर्थिक सर्वेक्षण 31 जनवरी को पेश नहीं हुआ। संसदीय परंपरा के अनुसार मौजूदा सरकार को चुनावी वर्ष में पेश किए जाने वाले अंतरिम बजट के साथ आर्थिक सर्वेक्षण पेश नहीं करना चाहिए। इस प्रकार, सर्वेक्षण दस्तावेज़ को चुनावों के बाद पेश किए जाने वाले पूर्ण बजट के साथ संरेखित करने के लिए जुलाई तक टाल दिया गया, जोकि अब पेश किया जा रहा है।

बजट से किस तरह होता है अलग

केंद्रीय बजट केंद्र सरकार का एक वार्षिक वित्तीय विवरण है जो आगामी वित्तीय वर्ष (वित्त वर्ष 2024-25) - 1 अप्रैल, 2024 से 31 मार्च, 2025 तक के लिए अपने प्रस्तावित व्यय और राजस्व की रूपरेखा तैयार करता है। हालांकि कवर किए गए विषय आर्थिक सर्वेक्षण के समान हो सकते हैं, लेकिन इसमें कुछ अंतर भी हैं।

जानिए कब आया था पहला आर्थिक सर्वेक्षण

भारत का पहला आर्थिक सर्वेक्षण साल 1950-51 में पेश हुआ था। तब यह बजट दस्तावेजों का हिस्सा था। हालांकि 1960 के दशक में आर्थिक सर्वेक्षण को बजट दस्तावेजों से अलग कर दिया गया और केंद्रीय बजट से एक दिन पहले पेश किया जाने लगा, जो कि यह परंपरा तब से लगातार जारी है।

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