तेल संग मोदी बढ़ा रहे दोस्ती, अर्थव्यवस्था को किक देने में जुटी सरकार
साल 2017 से तेल की कीमतें लगातार तेजी से बढ़ रही थीं। मई 2018 में कर्नाटक चुनाव के दौरान ब्रेंट क्रूड के दाम तो 80 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गए थे। देश में तेल के दाम इतने बढ़ गए थे कि केंद्र सरकार को इसपर लगे टैक्स में दो बार कटौती करनी पड़ी थी।
नई दिल्ली: भारतीय अर्थव्यवस्था काफी सुस्त चल रही है। आर्थिक मंदी के इस दौर से निपटने के लिए केंद्र की मोदी सरकार ने अपना नया प्लान तैयार कर लिया है। ऐसे में मोदी सरकार लगातार आर्थिक मंदी ने निपटने और विकास को किक देने लिए बड़े ऐलान कर रही है। वहीं, कयास लगाए जा रहे हैं कि एक बार फिर तेल पीएम मोदी का साथ दे सकता है।
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बता दें, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार अर्थव्यवस्था में आई सुस्ती को दूर करने के लिए कई बड़े ऐलान किए थे। उधर, इस बार क्रूड ऑइल में भी तेज गिरावट देखने को मिली है। इस तरह से यूएस क्रूड ऑइल 3% प्रतिशत से ज्यादा गिरावट के साथ 53.58 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया है। दरअसल, अमेरिकी उत्पादों पर चीन की ओर नए टैरिफ की घोषणा कर दी गयी है, जिसके बाद इसमें गिरावट आई है।
देश की ग्रोथ को मिल सकती है मजबूती
भारत के लिए अधिक प्रासंगिक, ग्लोबल बेंचमार्क ब्रेंट, अब 58.75 डॉलर प्रति बैरल हो गया है। यह 1.19 डॉलर सस्ता हो गया है। वहीं, यह समय तेल की कीमतों में गिरावट के लिए सबसे सही है। ऐसा इसलिए क्योंकि यह देश की ग्रोथ को तेज करने के लिए उठाए गए कदमों को और मजबूती देने वाला है।
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आयात बिल और सब्सिडी पर सस्ते तेल के कारण कम खर्च आता है। साथ ही, इससे करंट अकाउंट डेफिसिट (CAD) और महंगाई नियंत्रित रखने में मदद मिलती है। मांग को सस्ता तेल और बढ़ावा देता है। यही नहीं, इसकी मदद से किसानों के लिए लागत खर्च को भी कम किया जा सकता है। ऐसे में सिंचाई के लिए डीजल पंप सेट का इस्तेमाल अब आसानी से किया जा सकता है। अब यह नहीं सोचना पड़ेगा कि तेल मंहगा है तो खरीदना है या नहीं।
बचता है खर्च के लिए फंड
इसके अलावा सब्सिडी पर खर्च में कमी से सामाजिक कल्याण की योजनाओं और इन्फ्रास्ट्रक्चर पर खर्च के लिए फंड बचता है। रिपोर्ट्स की मानें तो आयात बिल और CAD में 10 डॉलर प्रति बैरल की कमी से 9-10 अरब डॉलर की कमी आती है।
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वैसे ये पहला मौका नहीं है, जब तेल पीएम मोदी से अच्छी दोस्ती निभा रहा हो। इससे पहले भी साल 2014 में तेल ने पीएम मोदी का साथ दिया था। जब साल 2014 में मोदी ने पहली बार पीएम पद की शपथ ली थी, तब प्रति बैरल क्रूड ऑइल के लिए भारत 108 डॉलर दे रहा था। मगर इसकी कीमत तीसरे साल तक घटकर 48 डॉलर प्रति बैरल हो गयी थी। कीमतों में कमी से मोदी सरकार को ईंधन पर टैक्स बढ़ाकर फंड जुटाने और सामाजिक क्षेत्र की योजनाओं पर खर्च बढ़ाने का मौका मिला।
फिर से पैदा हुई वही स्थिति
2014 में पैदा हुई यह स्थिति अब 2019 में एक बार फिर देखने को मिल रही है। बता दें, सरकार को क्रूड ऑइल के लगातार गिरते दाम की वजह से बजट में प्रति लीटर 2 रुपये टैक्स बढ़ाने का मौका मिल गया है। इससे इस वित्त वर्ष में सरकार के घाते में अतिरिक्त 20 हजार करोड़ रुपये आएंगे। अगर ऐसा ही आगे भी रहा तो टैक्स कटौती की संभावना से मना नहीं किया जा सकता है।
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मालूम हो, साल 2017 से तेल की कीमतें लगातार तेजी से बढ़ रही थीं। मई 2018 में कर्नाटक चुनाव के दौरान ब्रेंट क्रूड के दाम तो 80 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गए थे। देश में तेल के दाम इतने बढ़ गए थे कि केंद्र सरकार को इसपर लगे टैक्स में दो बार कटौती करनी पड़ी थी। इसके बाद से लगातार कीमतें घट ही रही है।