Pulses Price Hike: फिर महंगी हो गईं दालें, सरकार की चिंता बढ़ी

Pulses Price Hike: दाल की कीमतें चढ़ती चलती जा रही हैं। दालों की बढ़ती कीमतों से चिंतित सरकार स्टॉकिस्टों, मिलरों, खाद्य प्रसंस्करणकर्ताओं और व्यापारियों पर दबाव बढ़ा रही है कि वे अपने अरहर और उड़द के स्टॉक की घोषणा करें ताकि सरकार फैसला ले सके।

Update:2023-04-17 21:37 IST
दाल की कीमतें बढीं: Photo- Newstrack

Pulses Price Hike: चुनावी साल है और दाल की कीमतें चढ़ती चलती जा रही हैं। सरकार इस स्थिति से चिंतित है। दालों की बढ़ती कीमतों से चिंतित सरकार स्टॉकिस्टों, मिलरों, खाद्य प्रसंस्करणकर्ताओं और व्यापारियों पर दबाव बढ़ा रही है कि वे अपने अरहर और उड़द के स्टॉक की घोषणा करें ताकि सरकार फैसला ले सके। 2022-23 में, महाराष्ट्र, कर्नाटक और मध्य प्रदेश जैसे प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में अनियमित वर्षा के कारण खरीफ दलहन बुआई क्षेत्रों में लगभग 4% की कमी आई थी। तुअर उत्पादन का नवीनतम अनुमान 36 एलटी है, जो पिछले वर्ष में 6 एलटी कम था।

अरहर दाल की कीमतें

उदाहरण के लिए, बिहार में अरहर की कीमतें इस साल अप्रैल में लगभग 89 फीसदी बढ़कर 14,500 रुपये प्रति क्विंटल हो गई हैं, जो पिछले साल इसी महीने में 7681.36 रुपये प्रति क्विंटल थी। लखनऊ में अरहर दाल का दाम 120 से 124 रुपये किलो तक पहुँच चुका है।

उपभोक्ता मामलों के विभाग (डीओसीए) के वरिष्ठ अधिकारी पहले ही दाल उत्पादक क्षेत्रों के 12 केंद्रों का दौरा कर चुके हैं। अफ्रीका और म्यांमार से भी दालों का आयात जारी है। व्यापार विश्लेषकों के अनुसार, भारत ने 23 मार्च तक 8.75 लाख टन (एलटी) अरहर और 5.12 एलटी काले चने का आयात किया है।

बताया जाता है कि सरकार हर संभव छोटे-से-मध्यम स्तर के व्यापारियों के दरवाजे पर दस्तक दे रही है ताकि उन्हें यह महसूस हो सके कि वे सरकार के रडार पर हैं। डीओसीए के सचिव रोहित कुमार सिंह ने कहा- सरकार को सही निर्णय लेने के लिए देश में स्टॉक की उपलब्धता जानने की जरूरत है।

पिछले साल अक्टूबर से, सरकार दालों के संकट की निगरानी कर रही है। लेकिन किसानों से सीधे दालों की खरीद करके समय पर बाजार हस्तक्षेप नहीं किया गया। इसकी खरीद मार्च में शुरू हुई थी।

दाल की जमाखोरी नहीं करें

आधिकारिक बयान के अनुसार, उपभोक्ता मामलों के विभाग के सचिव ने दाल के बड़े आयातकों से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि जो भी उनके पास भंडार हैं, उसके बारे में नियमित आधार पर और पारदर्शी तरीके से जानकारी दें। उन्हें सलाह दी गई कि वे दाल की ऐसी कोई जमाखोरी नहीं करें जिससे घरेलू बाजार में दालों की उपलब्धता बाधित हो। इस बीच, अतिरिक्त सचिव निधि खरे की अध्यक्षता वाली समिति ने बुधवार को सभी राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों के साथ बैठक की।

बैठक में उनसे उनसे अनुरोध किया गया कि वे भंडार की घोषणा से जुड़े पोर्टल पर इकाइयों की संख्या बढ़ाने के लिये सभी स्रोतों की संभावना टटोले। इसमें कृषि उपज बाजार समिति (एपीएमसी) पंजीकृत दाल कारोबारी और जीएसटी पंजीकृत कारोबारी शामिल हैं। घोषित भंडार के सत्यापन के लिये राज्यों से यह भी अनुरोध किया गया था कि वे गोदाम की सुविधा उपलब्ध कराने वाले सार्वजनिक और निजी दोनों तरह के सेवा प्रदाताओं से जानकारी प्राप्त करें।

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