Banking Laws Amendment Bill : बैंकों में बिना दावे के पड़े हैं एक लाख करोड़ रुपए, नए नियम से कुछ होगा फायदा
Banking Laws Amendment Bill : लोकसभा ने बैंकिंग कानून में कई संशोधन पारित किए हैं, जिसमें आरबीआई अधिनियम सहित बैंकिंग प्रणाली को नियंत्रित करने वाले मौजूदा कानून में 19 संशोधन शामिल हैं।;
Banking Laws Amendment Bill : लोकसभा ने बैंकिंग कानून में कई संशोधन पारित किए हैं, जिसमें आरबीआई अधिनियम सहित बैंकिंग प्रणाली को नियंत्रित करने वाले मौजूदा कानून में 19 संशोधन शामिल हैं। लेकिन इनमें से सिर्फ दो ही आम आदमी के काम के हैं। ये दो बदलाव बैंकों में निष्क्रिय खातों और लावारिस पड़ी रकमों के बारे में हैं। ये रकम कोई छोटी नहीं बल्कि 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा है।
ट्रांसफर होगा पैसा
हालांकि विधेयक में बदलावों के ऑपरेटिव हिस्से का विवरण नहीं दिया गया है,लेकिन इतना बताया गया है कि लावारिस जमाराशियां और निष्क्रिय बैंक खातों में फंसे हुए पैसे और बिना दावे वाले डिविडेंड और शेयरों जैसे अन्य वित्तीय साधनों में खोए गए पैसे को कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय के तहत "निवेशक शिक्षा और संरक्षण कोष" में स्थानांतरित कर दिया जाएगा।
चार लोगों का नॉमिनेशन
- बदलाव ये भी है कि बैंक खाताधारक को एक साथ चार लोगों के नॉमिनेशन की अनुमति देंगे ताकि खाताधारक के उत्तराधिकारियों को पैसे से वंचित न किया जाए या खाताधारक के न रहने पर एफडी का इस्तेमाल नामांकित व्यक्ति कर सके।
- खाताधारक नॉमिनी के नाम हिस्सेदारी भी तय कर सकता है। या नॉमिनी का क्रम तय कर सकता है, यानी नामांकित व्यक्ति पूर्वनिर्धारित क्रम में उत्तराधिकार प्राप्त कर सकेगा।
- नए संशोधनों को राष्ट्रपति की सहमति मिलने और फिर कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय द्वारा अधिसूचित किए जाने के बाद ही पूरी डिटेल सामने आएगी।
रिज़र्व बैंक का सर्कुलर
- इस बीच रिज़र्व बैंक ने सभी बैंकों के लिए सर्कुलर जारी करके उनसे कहा है कि वे एसएमएस या ईमेल के माध्यम से खाताधारकों को उनके खातों की निष्क्रिय प्रकृति या दावा न की गई रकम के बारे में स्वचालित रूप से सूचित करने की प्रक्रिया अपनाएं है। इस सिस्टम की निगरानी बैंक के बोर्ड द्वारा की जाएगी और साथ ही रिफंड की प्रगति की समय-समय पर समीक्षा की जाएगी।
- तीन दिन की समय सीमा : जब कोई खाताधारक निष्क्रिय खाते या दावा न की गई रकम को एक्टिवेट करने का आवेदन करेगा तो बैंकों को आवेदन मिलने के तीन कार्य दिवसों के भीतर इसे प्रोसेस करना होगा।
- वार्षिक समीक्षा : बैंक उन खातों की वार्षिक समीक्षा करेंगे, जिनमें एक वर्ष से अधिक समय से कोई लेन-देन नहीं हुआ है और ऐसी समीक्षाओं की रिपोर्ट बैंक में बोर्ड स्तर के व्यक्ति को देनी होगी।
- उद्गम पोर्टल: रिज़र्व बैंक ने कुछ साल पहले "उद्गम" नामक एक पोर्टल डेवलप किया है, जो पंजीकृत यूजर्स को कई बैंकों से दावा न किए गए जमा और खातों की खोज करने में मदद करता है।
- यूडीआरएन : ये लावारिस पड़ी रकम का रेफेरेंस नंबर है जो बैंकों को प्रत्येक ऐसे खाते या जमा के लिए जनरेट करना अनिवार्य है। यह नम्बर थर्ड पार्टी को खाताधारक या बैंक शाखा की पहचान करने से रोकती है।
दावा न किए गए जमा का दावा करने या निष्क्रिय खाते को सक्रिय करने के लिए, कोई व्यक्ति शाखा को यह बताते हुए भी लिख सकता है कि खाता निष्क्रिय क्यों है। सरकार के अनुसार, दिसंबर 2023 तक 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक सार्वजनिक धन निष्क्रिय बैंक खातों में फंसा हुआ है, जिसमें से 42,200 करोड़ रुपये अकेले बिना दावे वाली जमाराशि हैं।