Repo Rate: क्यों की रेपो दर में कटौती, क्या इससे निवेश और खपत को मजबूती मिलेगी? जानें फायदे

Repo Rate: बजट में इनकम टैक्स राहत की घोषणा के बाद रिज़र्व बैंक का रेपो रेट कटौती का निर्णय उपभोग को बढ़ावा देकर ग्रोथ की उम्मीद के क्रम में है।;

Newstrack :  Network
Update:2025-02-07 13:51 IST

Repo Rate (Photo: Social Media)

Repo Rate: दो वर्षों तक रेपो दर को 6.50 प्रतिशत पर बनाए रखने के बाद, भारतीय रिजर्व बैंक की छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने प्रमुख नीति दर को 25 आधार अंकों (बीपीएस) से घटाकर 6.25 प्रतिशत कर दिया है। यह लगभग पांच वर्षों में पहली रेपो दर कटौती है। आरबीआई के इस निर्णय से ब्याज दरों में कमी आएगी और आवास तथा व्यक्तिगत ऋण पर ईएमआई में कमी आएगी। बजट में इनकम टैक्स राहत की घोषणा के बाद रिज़र्व बैंक का रेपो रेट कटौती का निर्णय उपभोग को बढ़ावा देकर ग्रोथ की उम्मीद के क्रम में है।

रेपो दर में कटौती क्यों की?

- रेपो दर में कटौती के पीछे मुख्य कारण लोगों और बिजनसों के लिए उधार लेना सस्ता करके आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करना है, जिससे खर्च और निवेश में वृद्धि हो। चूंकि मुद्रास्फीति रिज़र्व बैंक की टारगेट सीमा के भीतर है, इसलिए दर में कटौती से विकास को समर्थन देते हुए मूल्य स्थिरता बनाए रखने में मदद मिल सकती है।

- ब्याज दरों में कटौती से बैंकों को अपनी उधार दरों को कम करने में मदद मिल सकती है, जिससे उधार लेने वालों के लिए ऋण अधिक सुलभ और किफ़ायती हो जाएगा।

- इसके अलावा कम ब्याज दरों से उधार, खर्च और निवेश में वृद्धि हो सकती है, जो अंततः रोजगार सृजन और रोजगार को बढ़ावा देगा।

- घर और वाहन ऋण पर ईएमआई कम हो जाएगी, जिससे लोगों के लिए अपने ऋण चुकाना आसान हो जाएगा।

- कम ब्याज दरों के चलते बैंकों द्वारा ऋण देने की संभावना अधिक होती है, जिससे उपभोक्ताओं और व्यवसायों के लिए ऋण अधिक सुलभ हो जाता है।

महंगाई की आशंका

- कम रेपो दर से मुद्रास्फीति बढ़ सकती है, क्योंकि बढ़ी हुई मुद्रा आपूर्ति और कम ब्याज दरें कीमतों को बढ़ा सकती हैं।

- कम रेपो दर से बचत पर अर्जित ब्याज भी कम कर सकता है, जिससे लोगों के लिए बचत करना कम आकर्षक हो जाता है। ऐसे में ज्यादा खर्च से महंगाई बढ़ सकती है।

Tags:    

Similar News