Indian Economy: RBI Governor बोले-भारतीय अर्थव्यवस्था वैश्विक घटनाओं से उत्पन्न किसी भी प्रभाव से निपटने में सक्षम

Indian Economy: कहा कि कई देशों में मुद्रास्फीति गहरी जड़ें जमा चुकी थी लेकिन हमारे यहां मुद्रास्फीति कम हो रही है। हमने अपनी ब्याज दर 4 प्रतिशत रखी, इसलिए हमारी रिकवरी बहुत आसान हो गई।

Report :  Network
Update:2024-11-17 10:29 IST

गवर्नर शक्तिकांत दासगवर्नर शक्तिकांत दास ( social media)

Indian Economy: भारत की अर्थव्यवथा इस समय काफी अच्छी मानी जा रही है। आगे इसके और बेहतर रहने की उम्मीद है। भारतीय रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने भारतीय अर्थव्यवस्था और मुद्रास्फीति को लेकर बड़ी बात कही है। उन्होंने कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था और वित्तीय क्षेत्र वैश्विक घटनाओं से उत्पन्न किसी भी प्रभाव को संभालने के लिए पूरी तरह से सक्षम है। उन्होंने कहा कि देश का बाहरी क्षेत्र भी मजबूत है और हमारा चालू खाता घाटा प्रबंधनीय सीमा के अंदर रहा है और 1.1 प्रतिशत पर रहा।

हमारे यहां मुद्रास्फीति कम हो रही है

गवर्नर शक्तिकांत दास ने कोच्चि इंटरनेशनल फाउंडेशन के शुभारंभ के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि आज भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि स्थिरता और मजबूती की तस्वीर पेश करती है। उन्होंने बताया कि इससे पहले 2010 और 2011 में यह छह से सात प्रतिशत के बीच थी। उन्होंने यह भी कहा कि भारत के पास दुनिया के सबसे बड़े विदेशी मुद्रा भंडार में से एक है, जो करीब 675 अरब अमेरिकी डॉलर है। शक्तिकांत दास ने कहा कि कई देशों में मुद्रास्फीति गहरी जड़ें जमा चुकी थी लेकिन हमारे यहां मुद्रास्फीति कम हो रही है। उन्होंने कहा हमने अपनी ब्याज दर 4 प्रतिशत रखी, इसलिए हमारी रिकवरी बहुत आसान हो गई।

मुद्रास्फीति के बारे में बोले दास

इसके साथ ही मुद्रास्फीति के बारे में आरबीआई गवर्नर ने कहा समय-समय पर उतार-चढ़ाव के बावजूद इसके मध्यम रहने की उम्मीद है। जहां खाद्य मुद्रास्फीति के कारण भारत की मुद्रास्फीति सितंबर के 5.5 प्रतिशत से बढ़कर अक्टूबर में 6.2 प्रतिशत हो गई।

इसलिए हमारी रिकवरी बहुत आसान हो गई

शक्तिकांत दास ने कहा कि कई देशों में मुद्रास्फीति गहरी जड़ें जमा चुकी थी लेकिन हमारे यहां मुद्रास्फीति कम हो रही है। उन्होंने कहा हमने अपनी ब्याज दर 4 प्रतिशत रखी, इसलिए हमारी रिकवरी बहुत आसान हो गई। देश को सेवा क्षेत्र और अन्य में संरचनात्मक सुधारों की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) और यूनिफाइड लेंडिंग इंटरफेस (यूएलआई) की तरह आरबीआई विशेष रूप से छोटे उद्यमियों और किसानों को ऋण वितरण में परिवर्तनकारी बदलाव लाने जा रहा है।

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