RBI Hike Repo: महंगाई रोकने की बड़ी कवायद, रिज़र्व बैंक ने रेपो दर बढ़ाई

RBI Hike Repo: NPC ने प्रमुख उधार दर या रेपो दर को 40 आधार अंकों से बढ़ाकर 4.40 फीसदी कर दिया है। RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने 2 मई और 4 मई को समिति की ऑफ साइकिल बैठक के निर्णय की घोषणा करते हुए ये जानकारी दी है।

Written By :  Neel Mani Lal
Published By :  Deepak Kumar
Update:2022-05-04 16:13 IST

भारतीय रिजर्व बैंक। (Social Media)

RBI Hike Repo: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee) ने एक आश्चर्यजनक कदम उठाते हुये प्रमुख उधार दर में 40 आधार अंकों की वृद्धि की है। ये कदम मुद्रास्फीति को तत्काल नियंत्रित करने के लिए उठाया गया बताया जाता है।

मौद्रिक नीति समिति यानी एमपीसी (Monetary Policy Committee) ने प्रमुख उधार दर या रेपो दर को 40 आधार अंकों से बढ़ाकर 4.40 फीसदी कर दिया है। रिज़र्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास (RBI Governor Shaktikanta Das) ने 2 मई और 4 मई को समिति की ऑफ साइकिल बैठक के निर्णय की घोषणा करते हुए ये जानकारी दी है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि भारतीय रिजर्व बैंक ने मुद्रास्फीति के जिन्न को बोतल में डालने की कोशिश करने के लिए एक बड़ी छलांग लगाई है।

अप्रैल में मुद्रास्फीति के पूर्वानुमान में 120 बीपी की वृद्धि

अप्रैल में मुद्रास्फीति के पूर्वानुमान में 120 बीपी की वृद्धि के बाद अब आरबीआई ने स्पष्ट संदेश दिया है कि मुद्रास्फीति से निपटने की जरूरत है। भले ही यह विकास की कीमत पर किया जाना पड़े। पिछले महीने रिज़र्व बैंक ने दो बेंचमार्क ब्याज दरों को रिकॉर्ड निम्न स्तर पर अपरिवर्तित रखा था। इससे, एक संकेत ये था कि आरबीआई ने रूस-यूक्रेन संघर्ष के बाद दुनिया और भारत में मुद्रास्फीति के बावजूद विकास को प्राथमिकता देना जारी रखा। दास ने मुंबई से अपने वर्चुअल संबोधन में कहा, "वस्तुओं और वित्तीय बाजारों में कमी और अस्थिरता अधिक तीव्र होती जा रही है। हमने एमपीसी में दिखाया है कि हम नियमों की एक निर्धारित पुस्तक से बंधे नहीं हैं, बल्कि बदलते परिदृश्यों के अनुकूल हैं।"

मार्च में 6.9 फीसदी रही मुद्रास्फीति

मार्च में मुद्रास्फीति 6.95 फीसदी रही, जो लगातार तीसरे महीने आरबीआई के 6 फीसदी के कम्फर्ट स्तर से ऊपर रही है। आज के संशोधन के साथ, आरबीआई के रुख एक तथाकथित कठोर हो गया है, जिसका अर्थ है कि यह ब्याज दरों को और बढ़ा सकता है क्योंकि मुद्रास्फीति का अर्थव्यवस्था पर भार होना शुरू हो चुका है।

केंद्रीय बैंक ने वित्त वर्ष 23 में देश के मुद्रास्फीति पूर्वानुमान को 4.5 फीसदी से संशोधित कर 5.7 फीसदी कर दिया था। उच्च मुद्रास्फीति न केवल पैसे और बचत के मूल्य को कम करती है, बल्कि अंततः विकास को भी नुकसान पहुंचा सकती है।

क्या है रेपो रेट

रेपो रेट से तात्पर्य उस दर से है जिस पर वाणिज्यिक बैंक केंद्रीय बैंक को अपनी प्रतिभूतियों को बेचकर पैसा उधार लेते हैं, जबकि रिवर्स रेपो दर वह दर है जिस पर केंद्रीय बैंक पैसा उधार लेता है। ये दरें अर्थव्यवस्था में व्यवसायों द्वारा ऋण और निवेश को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण हैं। अर्थव्यवस्था की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की समीक्षा बाजारों और सामान्य कारोबारी धारणा की कुंजी होती है।

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