Repo Rate : महंगाई और जीडीपी में सुस्ती, रिज़र्व बैंक कर सकता है दरों में कटौती
Repo Rate : क्या ब्याज दरें बदलेंगीं? क्या बैंक कर्जे की ईएमआई में कुछ कमी आएगी? क्या होने वाला है वित्तीय मंजर? सबकी निगाहें भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति पर लगी हैं।;
Repo rate : क्या ब्याज दरें बदलेंगीं? क्या बैंक कर्जे की ईएमआई में कुछ कमी आएगी? क्या होने वाला है वित्तीय मंजर? सबकी निगाहें भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति पर लगी हैं। मुद्रा स्फीति दर यानी महंगाई ऊंचे लेवल पर बनी हुई है तथा जीडीपी वृद्धि दर काफी नीचे आ चुकी है। इन हालातों ने रिज़र्व बैंक को मुश्किल स्थिति में डाल दिया है। अब सभी की निगाहें बढ़ी हुई मुद्रास्फीति और धीमी होती विकास दर के प्रति रिज़र्व बैंक की नीतिगत प्रतिक्रिया पर टिकी हैं।
उम्मीद की जा रही है कि रिज़र्व बैंक, रेपो दर में कटौती करेगा। रेपो दर वह है जिस पर आरबीआई अन्य बैंकों को उधार देता है। लम्बे समय से ये दर 6.5 प्रतिशत बनी हुई है। ये घटेगी तभी ब्याज दरों और ईएमआई पर असर पड़ेगा।
रेपो रेट का असर
कम रेपो दर बैंकों के लिए उधार लेने की लागत को कम करती है, जिससे निवेश को बढ़ावा मिलता है। दूसरी ओर, ऊंची रेपो दर उधार लेने की लागत को बढ़ाती है, जिससे निवेश कम होता है। उधार लेने की लागत को प्रभावित करने के अलावा, रिज़र्व बैंक मुद्रास्फीति को मैनेज करने के लिए रेपो दर का उपयोग करता है। अगर कीमतें बढ़ रही हैं, तो रिज़र्व बैंक खर्च को कम करने के लिए रेपो दर बढ़ा सकता है। इसके विपरीत, आर्थिक मंदी के दौरान रिज़र्व बैंक खर्च को बढ़ावा देने के लिए रेपो दर को कम कर सकता है।
सीआरआर में कटौती
भले ही रेपो रेट में बदलाव न हो लेकिन ऐसी उम्मीद है कि रिज़र्व बैंक नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में कटौती की घोषणा कर सकता है। ऐसा इसलिए कि बैंकिंग प्रणाली में लिक्विडिटी की तंगी और जीडीपी ग्रोथ में सुस्ती के बीच सीआरआर में कटौती की मांग जोर पकड़ रही है। जीडीपी ग्रोथ रेट जुलाई-सितंबर 2024 की तिमाही में सात तिमाहियों के निचले स्तर 5.4 प्रतिशत पर आ गई है। सीआरआर में कटौती इस बात का संकेत होगी कि आरबीआई रेपो दर में कटौती किए बिना मौद्रिक नीति को आसान बनाना चाहता है।
सीआरआर किसी बैंक की कुल जमाराशि का वह प्रतिशत है जिसे उसे रिजर्व बैंक के पास नकदी के रूप में रखना होता है। सीआरआर का प्रतिशत आरबीआई द्वारा समय-समय पर निर्धारित किया जाता है। वर्तमान में यह 4.5 प्रतिशत पर तय है। बैंकों को इस राशि पर कोई ब्याज नहीं मिलता है।सीआरआर एक ऐसा टूल है जिसका इस्तेमाल आरबीआई मुद्रास्फीति को मैनेज करने और अत्यधिक उधार पर रोक लगाने के लिए करता है।
विश्लेषकों का मानना है कि आरबीआई सीआरआर में 25 आधार अंक (बीपीएस) या 50 बीपीएस की कटौती कर सकता है। यह 4.5 साल से अधिक समय में सीआरआर में पहली कटौती होगी।
सीआरआर में कटौती का असर
अगर आरबीआई सीआरआर में 50 बीपीएस की कटौती करने का फैसला करता है, तो इससे आरबीआई के पास जमा 1.10 लाख करोड़ रुपये से 1.2 लाख करोड़ रुपये की बैंक लिक्विडिटी मुक्त हो जाएगी। 25 बीपीएस की कटौती के मामले में, बैंकों के पास 55 करोड़ रुपये से 60 करोड़ रुपये तक की अतिरिक्त धनराशि उपलब्ध होगी। इससे बैंक ज्यादा उधार देने की स्थिति में आ जाएंगे। इससे आर्थिक ग्रोथ को बढ़ावा मिलेगा।