Economic Survey: देश का बेहद अहम दस्तावेज आर्थिक सर्वेक्षण...मोदी सरकार इस बार नहीं कर रही पेश, इन वजहों से
Economic Survey: आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट हमेशा की तरह संसद बजट सत्र के पहले दिन राष्ट्रपति के दोनों सदनों के अभिभाषण के बाद वित्त मंत्री द्वारा निचली सदन लोकसभाम में पेश किया जाता है। आर्थिक सर्वेक्षण 31 जनवरी को पेश होता है।
Economic Survey: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को लोकसभा में वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए अंतरिम बजट पेश करेंगी। बजट आने से पहले वित्त मंत्रालय संसद के समक्ष एक और महत्वपूर्ण दस्तावेज आर्थिक सर्वेक्षण पेश करता है। आर्थिक सर्वेक्षण एक प्रकार से सरकार की आर्थिक नीतियों का लेखा जोखा होता है, इससे यह पता चलता है कि चालू वित्तीय वर्ष में सरकार की कैसी आर्थिक चल रहने वाली है। तो आइए आपको बताते हैं कि क्या होता है आर्थिक सर्वेक्षण? हालांकि इस बार सरकार आर्थिक सर्वेक्षण पेश नहीं सकती है, उसकी एक वजह है।
बजट से पहले पेश किया जाता आर्थिक सर्वेक्षण
आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट हमेशा की तरह संसद बजट सत्र के पहले दिन राष्ट्रपति के दोनों सदनों के अभिभाषण के बाद वित्त मंत्री द्वारा निचली सदन लोकसभाम में पेश किया जाता है। आर्थिक सर्वेक्षण 31 जनवरी को पेश होता है। इस बार 2024 का आर्थिक सर्वेक्षण भी निर्धारित तारीख को ही पेश किया जाएगा। आर्थिक सर्वेक्षण 2023 ने वित्त वर्ष 24 के लिए जीडीपी वृद्धि 6-6.8% की सीमा में रहने का अनुमान लगाया था, जो 31 मार्च को समाप्त हो रही है।
क्या होता है आर्थिक सर्वेक्षण?
आर्थिक सर्वेक्षण समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष में राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की स्थिति की एक विस्तृत वार्षिक रिपोर्ट है। दस्तावेज़ न केवल सरकार के प्रमुख विकासात्मक कार्यक्रमों के प्रदर्शन का सारांश प्रस्तुत करता है बल्कि केंद्र सरकार की नीतिगत पहलों पर भी प्रकाश डालता है। यह पिछले वर्ष के लिए एक दृष्टिकोण भी प्रदान करता है। आर्थिक सर्वेक्षण में दो भाग होता है। इसमें एक भाग देश के सामने आने वाली आर्थिक चुनौतियां शामिल होती हैं और दूसरे में बीते वर्ष का विश्लेषण होता है। हालांकिआर्थिक सर्वेक्षण का आकलन और सिफारिशें केंद्रीय बजट पर बाध्यकारी नहीं हैं।
इस साल पेश होगा पहला आर्थिक सर्वेक्षण
भारत में पहली बार आर्थिक सर्वेक्षण साल 1964 में पेश किया किया था, जो कि बजट से अगल था। पहला आर्थिक सर्वेक्षण 1950-51 में केंद्रीय बजट के एक भाग के रूप में प्रस्तुत किया गया था। साल 1964 में आर्थिक सर्वेक्षण को केंद्रीय बजट से अलग कर दिया गया था। तब से केंद्रीय बजट पेश होने से ठीक एक दिन पहले आर्थिक सर्वेक्षण जारी करने की प्रथा बन गई है।
सबसे लंबे समय तक आर्थिक सर्वेक्षण केवल एक खंड में प्रस्तुत किया गया था, जिसमें अर्थव्यवस्था के प्रमुख क्षेत्र - जैसे सेवा, कृषि और विनिर्माण, और महत्वपूर्ण नीति क्षेत्र- जैसे राजकोषीय विकास, रोजगार की स्थिति और मुद्रास्फीति शामिल थे। साल 2010-11 और 2020-21 के बीच सर्वेक्षण दो खंडों में प्रस्तुत किया गया था, लेकिन फिर से यह एकल-खंड प्रारूप में वापस आ गया।
कौन तैयार करता है आर्थिक सर्वेक्षण?
आर्थिक सर्वेक्षण मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) के मार्गदर्शन में वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग के अर्थशास्त्र प्रभाग द्वारा तैयार किया जाता है। वर्तमान में, वी. अनंत नागेश्वरन भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार के रूप में कार्यरत हैं। सर्वेक्षण पिछले वित्तीय वर्ष में सभी क्षेत्रों, उद्योगों, कृषि, रोजगार, कीमतों और निर्यात के विस्तृत सांख्यिकीय डेटा का विश्लेषण और प्रदान करके भारत में आर्थिक विकास की समीक्षा करता है।
इस बार नहीं पेशा होगा सर्वेक्षण
केंद्र की मोदी सरकार इस बार आर्थिक सर्वेक्षण पेश नहीं करने जा रही है। संसदीय परंपरा के अनुसार मौजूदा सरकार को चुनावी वर्ष में पेश किये जाने वाले अंतरिम बजट के साथ आर्थिक सर्वेक्षण पेश नहीं करना होता है। आर्थिक सर्वेक्षण तैयार करने का काम उस सरकार को दिया जाता है जो चुनाव के बाद सत्ता संभालेगी।