WPI Inflation in April: अप्रैल माह में थोक महंगाई दर 15 फीसदी के पार, बीते 9 साल के सर्वाधिक स्तर पर काबिज
WPI Inflation in April: वाणिज्य मंत्रालय द्वारा हालिया जारी आंकड़ों के मुताबिक बीते अप्रैल 2022 महीने की थोक मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर (WPI based Inflation) बढ़कर 15.08 फीसदी आंकड़े पर पहुंच गई है।
WPI Inflation in April: थोक महंगाई दर महीने-दर-महीने बढ़ती जा रही है। ऐसे में आम आदमी को महंगाई से बिल्कुल भी राहत मिलती नज़र नहीं आ रही है। वाणिज्य मंत्रालय द्वारा हालिया जारी आंकड़ों के मुताबिक बीते अप्रैल 2022 महीने की थोक मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर (WPI based Inflation) बढ़कर 15.08 फीसदी आंकड़े पर पहुंच गई है, जो कि बीते 9 साल में अबतक का सर्वोच्च स्तर है।
इसी के साथ यदि आंकड़ों की बात करें तो बीते साल 2021 के अप्रैल माह में थोक महंगाई दर 10.74 फीसदी थी, जिसके तहत बीते एक साल में थोक महंगाई दर ने व्यापक वृद्धि करते हुए 4 फीसदी से अधिक की बढ़त हासिल की है। लगातार बढ़ रही थोक महंगाई दर का कारण खान-पान से लेकर पेट्रोल-डीजल, एलपीजी सिलेंडर, आदि की बढ़ रही कीमतें हैं।
थोक महंगाई दर में ऊछाल
हालिया जारी आंकड़ों से पूर्व मार्च 2022 महीने की थोक महँगाई दर 14.55 फीसदी और फरवरी 2022 महीने की तोल महंगाई दर 13.11 फीसदी दर्ज हुई रही। यानी बीते दो महीनों में थोक महंगाई दर में लगभग 2 फीसदी का ऊंछाल दर्ज हुआ है।
थोक मूल्य सूचकांक (WPI) आधारित महंगाई दर में दर्ज हुए इजाफे के चलते खुदरा महंगाई दर भी बीते 7 साल के सर्वोत्तम स्तर 7.79 पर पहुंच गई है। इस संकट की असल मार हमेशा से मध्यमवर्गीय और निम्नवर्गीय परिवारों पर पड़ती आ रही है, जिसके अभी लंबे समय तक जारी रहने के आसार हैं।
थोक मूल्य सूचकांक आधारित महँगाई दर में इजाफे का मुख्य कारण रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते कच्चे तेल और पेट्रोल की कीमतों में व्यापक वृद्धि, खान-पान की कीमतों में इजाफा, प्राकृतिक गैस की कीमतों में बढ़ोत्तरी है।
दरअसल विशेषकर रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते भारत का आयात-निर्यात बुरी तरह प्रभावित हुआ है। जिसका सीधा असर भारत में लगातार बढ़ रही महंगाई दर के रूप में देखने को मिल रहा है, जिसमें बीते 4-5 महीनों में सर्वाधिक ऊंछाल दर्ज हुआ है।