सूर्य नमस्कार का विरोध: इस्लाम इसकी अनुमति नहीं देता, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का बयान

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने स्वतंत्रता दिवस की 75वीं वर्षगांठ पर 1 जनवरी से 7 जनवरी के बीच स्कूलों में 'सूर्य नमस्कार' कार्यक्रम आयोजित करने के सरकार के निर्देश का विरोध किया।

Published By :  Chitra Singh
Update:2022-01-04 12:37 IST

AIMPB- सूर्य नमस्कार कार्यक्रम (डिजाइन फोटो- सोशल मीडिया)

दिल्ली: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (All India Muslim Personal Law Board) ने स्वतंत्रता दिवस की 75वीं वर्षगांठ पर 1 जनवरी से 7 जनवरी के बीच स्कूलों में 'सूर्य नमस्कार' कार्यक्रम आयोजित करने के सरकार के निर्देश का विरोध किया। AIMPB ने पत्र जारी कर मुश्लिमों से कहा है की 'सूर्य नमस्कार' सूर्य पूजा का एक रूप है और इस्लाम इसकी अनुमति नहीं देता है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव हजरत मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी (Khalid Saifullah Rahmani) ने एक पत्र जारी कर कहा है कि मुस्लिम सूर्य नमस्कार से बचें।

मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने अपने बयान में कहा है कि भारत एक बहुसंख्यक, बहुआयामी और बहु सांस्कृतिक देश है। इसी सिद्धांतों के आधार पर हमारा एक संविधान लिखा गया है। स्कूल की पाठ्यचर्या और अपाठ्यक्रम में भी इसका ध्यान रखने का निर्देश दिया गया है। उन्होंने कहा कि संविधान हमें इसकी इजाजत नहीं देता कि किसी सरकारी शिक्षण संस्थानों में किसी एक धर्म की शिक्षा दी जाए, किसी विशेष समूह की मान्यताओं के आधार पर कार्यक्रम आयोजित किए जाएं। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि वर्तमान सरकार इस सिद्धांत से भटक रही है, और सभी धर्मों पर बहुसंख्यक की सोच और परंपरा को थोपने का प्रयास कर रही है।

उन्होंने कहा है कि जैसा कि तथ्य से स्पष्ट है भारत सरकार के अधीन सचिव शिक्षा मंत्रालय ने 75वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर 30 राज्यों में सूर्य नमस्कार की एक परियोजना चलाने का निर्णय किया है। जिसमें तीस हजार स्कूलों को पहले चरण में शामिल किया जाएगा। 1 जनवरी 2022 से 7 जनवरी 2022 तक के लिए या कार्यक्रम प्रस्तावित है और 26 जनवरी 2022 को सूर्य नमस्कार का एक संगीत कार्यक्रम की भी योजनाएं तैयार की गई है। आंध्र प्रदेश के सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को केंद्र सरकार की ओर से जो निर्देशित दिया गया है। वह निश्चित रूप से यह एक असंवैधानिक कृत्य है और देश प्रेम का झूठा प्रचार है।

उन्होंने पत्र में आगे लिखा है कि सूर्य नमस्कार सूर्य की पूजा का एक रूप है, इस्लाम और देश के अन्य अल्पसंख्यक ना तो सूर्य को देवता मानते हैं और ना ही उनकी उपासना को सही मानते हैं। इसलिए सरकार का यह कर्तव्य है कि वह ऐसे निर्देशों को वापस ले और देश के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों का सम्मान करें। यदि सरकार चाहे तो देश प्रेम की भावना को उभारने के लिए राष्ट्रगान पढ़वा सकती है। सरकार देश से प्रेम का हक अदा करना चाहती है तो उसे चाहिए कि देश की वास्तविक समस्याओं पर ध्यान दें, देश की बढ़ती बेरोजगारी, महंगाई पर ध्यान दें। मुद्रा का अवमूल्यन, आपकी नफरत का औपचारिक प्रचार, देश की सीमाओं की रक्षा करने में विफलता, सरकार की ओर से सामाजिक संपत्ति की निरंतर बिक्री ये वास्तविक मुद्दे हैं। जिन पर सरकार को ध्यान देने की आवश्यकता है। मौलाना रहमानी ने कहा है मुस्लिम बच्चों के लिए सूर्य नमस्कार जैसे कार्यक्रम में सम्मिलित होने की बिल्कुल भी अनुमति नहीं है और इससे बचना आवश्यक है।


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