Army का अनोखा मामला: रिटायरमेंट के बाद प्रमोशन, ब्रिगेडियर बने मेजर जनरल

Army : सेना के दोनों पूर्व वरिष्ठ अफसरों का प्रमोशन 6 साल पहले ही हो जाना था मगर दो पूर्व सेना प्रमुखों जनरल वीके सिंह और जनरल दलबीर सिंह सुहाग की आपसी कलह की वजह से प्रमोशन नहीं मिल सका।

Written By :  Anshuman Tiwari
Published By :  Shivani
Update:2021-06-06 10:56 IST

Army : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के आदेश पर सेना से चार साल पहले रिटायर हो चुके दो ब्रिगेडियर मेजर जनरल के पद पर पदोन्नत (Retire Brigadiers Promoted To Major General) किए गए हैं। सेना के इन दोनों पूर्व वरिष्ठ अफसरों का प्रमोशन 6 साल पहले ही हो जाना था मगर दो पूर्व सेना प्रमुखों (Army Chief ) जनरल वीके सिंह (General VK Singh)और जनरल दलबीर सिंह सुहाग (General Dalbeer Singh Suhag) की आपसी कलह की वजह से इन दोनों को प्रमोशन नहीं मिल सका था।

आर्म्ड फोर्स ट्रिब्यूनल में याचिका खारिज होने के बाद इन दोनों पूर्व सैन्य अफसरों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। शीर्ष अदालत ने रिटायरमेंट के चार साल बाद इन दोनों अफसरों को मेजर जनरल की रैंक देने का आदेश दिया है।

2015 में हुई थी प्रमोशन की अनुशंसा

अपनी तरह का यह अनोखा मामला सेना के वरिष्ठ अफसरों ब्रिगेडियर नलिन भाटिया और ब्रिगेडियर वी एन चतुर्वेदी से जुड़ा हुआ है। ब्रिगेडियर नलिन भाटिया खुफिया कोर और ब्रिगेडियर चतुर्वेदी शिक्षा कोर से जुड़े हुए थे। 2015 में मेजर जनरल के रैंक पर प्रमोशन के लिए इन दोनों का नाम भेजा गया था।

दोनों अफसर अपने बैच के अकेले ऐसे अफसर थे जिनके नाम की संस्तुति प्रमोशन के लिए की गई थी मगर फिर भी इन दोनों को प्रमोशन नहीं मिला। सेना से रिटायर होने के बाद भी दोनों अफसरों ने संघर्ष का रास्ता नहीं छोड़ा और अब उन्हें सुप्रीम कोर्ट से न्याय मिला है।

शानदार प्रोफाइल के बावजूद प्रमोशन नहीं

इन दोनों अफसरों की ओर से वकील कर्नल इंद्रसेन सिंह (रिटायर्ड) ने पैरवी की। उनका कहना था कि शानदार प्रोफाइल और अपने-अपने बैच के इकलौते अधिकारी होने के बावजूद इन दोनों अफसरों को पदोन्नति नहीं दी गई।
इन दोनों अफसरों के खिलाफ कोई नकारात्मक रिपोर्ट भी नहीं थी। फिर भी इन्हें मेजर जनरल की रैंक नहीं हासिल हो सकी। इस बाबत दायर आरटीआई में दोनों अफसरों को प्रमोशन न दिए जाने का कोई कारण नहीं बताया गया।

जनरल सुहाग मानते थे वीके सिंह का करीबी

अफसरों के वकील ने कहा कि पूरी योग्यता होने और सभी रिपोर्टिंग अफसरों की ओर से प्रमोशन के लिए नाम की अनुशंसा किए जाने के बावजूद प्रमोशन न देने का कारण और भी परेशान करने वाला है। उन्होंने कहा कि इन दोनों अफसरों को सिर्फ इसलिए प्रमोशन नहीं दिया गया क्योंकि तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग इन्हें पूर्व सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह का आदमी मानते थे। जनरल वीके सिंह सेना से रिटायर होने के बाद सियासत के मैदान में उतर गए थे। वह भाजपा की सदस्यता लेने के बाद केंद्रीय मंत्री के पद तक पहुंचे। सेना प्रमुख के रूप में कार्य करने के दौरान उनके और जनरल सुहाग के रिश्ते सहज नहीं थे जिसका खामियाजा इन दोनों अफसरों को भुगतना पड़ा।

अपनी तरह का अनोखा मामला
वैसे यह पहला मामला नहीं है जिसमें जनरल वीके सिंह का करीबी होने के कारण प्रमोशन न मिलने का मामला सामने आया हो। इससे पहले भी खुफिया इकाई के अन्य अफसर यह आरोप लगा चुके हैं कि उन्हें पूर्व सेना प्रमुख वीके सिंह का करीबी होने की वजह से दिक्कतें उठानी पड़ी। रिटायरमेंट के चार साल बाद प्रमोशन मिलने का यह अपनी तरह का अनोखा मामला माना जा रहा है।
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