BUDGET 2022: इस बार का बजट खास क्यों हैं? क्या हैं इस बार उम्मीदें?
भारत समेत पूरे विश्व भर में कोरोना महामारी के कारण देश की आर्थिक स्थिति पर गहरा प्रभाव पड़ा है। ऐसे में आगामी वित्त वर्ष के लिए आने वाले वित्तीय बजट 2022 को लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं।
BUDGET 2022: बजट अगर सिर्फ दस्तावेज होता तो कागज समझ के पढ़ लिया जाता। लेकिन यह देश के भविष्य का निर्धारक होता है। यह तय करता है कि आने वाले वर्ष में कोई मुल्क कितनी उड़ान भरेगा। इस बार का बजट भी 1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) संसद में पेश करेंगी। यह बजट उस दौर में आ रहा है जब देश कोविड-19 (Covid-19) की मंदी से अभी उबरा नहीं है। अर्थव्यवस्था का हर तबका सरकार को बड़ी उम्मीदों से देख रहा है। तो वहीं पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव (Assembly elections) को देखते हुए यह भी उम्मीद लगाई जा रही है कि सरकार कोई बड़ी वित्तीय योजना का ऐलान कर सकती है। तो आइए अर्थव्यवस्था के महत्वपूर्ण हिस्सों की उम्मीदों पर एक नजर डालते हैं।
1. किसानों की क्या उम्मीदें?
इस बार का बजट चुनाव पूर्व का बजट है। यह बजट ऐसे समय में आ रहा है जब किसानों की नाराजगी केंद्र सरकार से बताई जा रही है। कृषि कानूनों के दौरान हुए असंवैधानिक बर्ताव की वजह से किसान इस बार बेहद नाराज बताए जा रहे हैं। यह संभावना जताई जा रही है कि आगामी उत्तर प्रदेश और पंजाब विधानसभा चुनाव (Punjab Assembly Elections) में किसान भाजपा सरकार (BJP government( को वोट की चोट पहुंचा सकते हैं। साथ ही यह वर्ष 2022 है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के वक्तव्य के अनुसार यह वर्ष किसानों की आय दोगुना करने का है। ऐसे में इस बार के बजट से कृषि क्षेत्र को बहुत उम्मीदें दिखाई पड़ रही हैं । किसान अपनी फसल का वाजिब दाम और सभी फसलों पर एमएससी (MSP) की रजामंदी चाहते हैं। इसके साथ ही प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि को बढ़ाए जाने की मांग भी किसान कर रहे हैं। इसलिए इस बार के बजट में किसानों की फसलों के वाजिब दाम के लिए एक विशेष पैकेज की घोषणा होनी चाहिए और साथ में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की राशि को ₹6000 से बढ़ाकर ₹9000 करने की मांग है। पिछले 2 वर्ष से केंद्र सरकार बजट में जीरो बजट और ऑर्गेनिक फार्मिंग (Organic Farming) की बात कर रही है लेकिन किसी भी बजट में स्पष्ट खाका पेश नहीं किया गया है। इस बार किसानों की मांग है कि ऑर्गेनिक फार्मिंग के प्रोत्साहन के लिए सरकार बजट में स्पष्ट प्रावधान करें और ऑर्गेनिक उत्पादों के लिए बाजार बनाने हेतु अलग से फंड जारी करे।
2. वेतन भोगियों की क्या उम्मीदें हैं?
सरकार निर्धारित सीमा से अधिक आय अर्जित करने वाले वेतन भोगियों पर टैक्स लगाती है। लेकिन आयकर अधिनियम (Income Tax Act) के प्रावधान के अंतर्गत ₹50,000 का स्टैंडर्ड डिडक्शन (Standard Deduction) भी दिया जाता है। अर्थव्यवस्था की वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए वेतन भोगियों की यह मांग है कि इस बार के बजट में स्टैंडर्ड डिडक्शन को ₹1,00,000 किया जाए। ऐसा करने से उनको तो लाभ मिलेगा ही साथ ही यह तबका अत्यधिक पैसा बचने की स्थिति में खर्च भी करेगा। ऐसा होने से अर्थव्यवस्था में सकारात्मक परिणाम दिखाई पड़ सकते हैं।
3. वर्क फ्रॉम होम के अंतर्गत काम करने वाले कर्मचारियों को रियायत
कोविड-19 के दौरान 'वर्क फ्रॉम होम' बहुत तेजी से प्रचलन में आया है। लेकिन वर्क फ्रॉम होम (work from home) होने की वजह से कर्मचारियों के ऊपर इलेक्ट्रिक, इंटरनेट चार्ज, फर्नीचर और अन्य खर्च बढ़े हैं। ऐसी परिस्थिति में बहुत सी कंपनियों ने अपनी जेब से इनको कोई मदद नहीं दी है। इसलिए इंस्टीट्यूट आफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (Institute of Chartered Accountants of India) का कहना है कि सरकार को इस बजट में वर्क-फ्रॉम-होम करने वाले कर्मचारियों के लिए कोई रियायत देनी चाहिए।
4. विशेष आर्थिक पैकेज की घोषणा
वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था सुस्ती के दौर से गुजर रही है। कोविड-19 की वजह से बड़ी बेकारी ने जगह ले ली है। लोगों की नौकरियां गई है और आय में भारी गिरावट आई है। ऐसी स्थिति में सरकार ही अर्थव्यवस्था में पैसा डाल लोगों की उम्मीद बचा सकती है। इस बार के बजट में ऐसी उम्मीद की जा रही है कि सरकार किसी विशेष आर्थिक पैकेज की घोषणा करेगी। एक ऐसा आर्थिक पैकेज जो मनरेगा की तरह लोगों के हाथों में पैसा उपलब्ध कराता हो। जब लोगों के हाथों में पैसा आएगा तो लोगों की आय होगी। जब आय होगी तो लोग बाजार जाएंगे। बड़ी संख्या में जब लोग बाजार पहुंचेंगे तो मांग लौटेगी। ऐसी स्थिति में खपत बढ़ेगी और खपत की पूर्ति के लिए कंपनियां उत्पादन बढ़ाएंगी। उत्पादन बढ़ाने के लिए श्रम की जरूरत पड़ेगी। यानी रोजगार के नए अवसर उपलब्ध होंगे। रोजगार के नए अवसर उत्पन्न होने से लोगों की आय बढ़ेगी। इस वजह से लोग मांग और खपत करेंगे। परिणामस्वरुप अर्थव्यवस्था का थमा पहिया वापस दौड़ पड़ेगा।
5. कोविड-19 के मृतकों को मुआवजा
कोविड-19 ने मुल्क के बहुत से लोगों की जिंदगियों को हमेशा के लिए समाप्त कर दिया है। इनमें से अधिकांश वे लोग थे जो अपने घरों के आर्थिक स्रोत हुआ करते थे। सुप्रीम कोर्ट ने भी इन मृतक परिवारों को मुआवजा देने की बात केंद्र सरकार से कही है। इसलिए इस बार के बजट में उम्मीद की जा रही है कि सरकार कोविड-19 से मरे लोगों के लिए किसी विशेष पैकेज का ऐलान करेगी। कोविड-19 के दौरान बहुत से परिवारों की पूरी जमा पूंजी इलाज में ही खत्म हो गई थी। इस बार के बजट से उन तमाम परिवारों को उम्मीद है कि सरकार उनके लिए भी कुछ रियायत का प्रावधान करेगी।
6. छोटे और मझोले उद्योग धंधों की उम्मीदें
कोविड-19 ने अर्थव्यवस्था के उस हिस्से को सबसे अधिक चोट किया जो सबसे बड़ा है। भारत की अर्थव्यवस्था में 94 फ़ीसदी हिस्सा असंगठित क्षेत्र का है। इसमें छोटे व्यापारी और मझोले उद्योग शामिल है। संक्रमण रोकने के लिए लगाए गए लाकडाउन (Lock Down) ने सबसे अधिक इसी तबके को प्रभावित किया था। सरकार ने पूर्व में जो भी राहत पैकेज बनाए वह सब कर्ज आधारित थे, जबकि इस हिस्से को सीधे वित्तीय मदद की जरूरत है। इसलिए इस बार के बजट में इन उद्योगों पर लगने वाले जीएसटी दर को कम किया जाना चाहिए और पर्याप्त विशेष वित्तीय सहायता प्रदान करने हेतु पैकेज लाना चाहिए।
7. क्रिप्टोकरेंसी का अधिकारीक ढांचा
केंद्र सरकार ने किसी भी तरीके के क्रिप्टो लेनदेन को अवैध घोषित किया है, लेकिन यह सच है कि भारत में क्रिप्टोकरेंसी (cryptocurrency) का बाजार बहुत व्यापक हो चुका है। इसलिए इस बार के बजट में भारत सरकार को पूर्व में घोषित अधिकारिक क्रिप्टोकरेंसी पर स्पष्ट जानकारी प्रदान करनी चाहिए। आरबीआई के जरिए लाई जानेवाली पहली डिजिटल करेंसी के संदर्भ में सभी जरूरी सूचनाएं देश के साथ साझा की जानी चाहिए। साथ ही क्रिप्टोकरेंसी को कर के ढांचे में शामिल करने पर भी स्पष्ट जानकारी दी जानी चाहिए।
8. युवाओं की क्या उम्मीदें हैं?
भारत वर्तमान में बेरोजगारी के बारूद पर बैठा है। यह कभी भी विस्फोट हो सकता है। हाल ही में आरआरबी (RRB) और एनटीपीसी (NTPC) भर्तियों के संदर्भ में अनियमितता को लेकर हुए आंदोलन ने इसकी आहट दे दी है। इसलिए वित्त मंत्री की यह जिम्मेदारी बनती है कि इस बार के बजट में युवाओं के लिए रोजगार का स्पष्ट खाका पेश किया जाए। यह बताया जाना चाहिए कि इस बार के बजट से कैसे बेरोजगारी के अभिशाप को कम किया जा सकता है। ऐसे प्रावधान किए जाने चाहिए जिनसे नए रोजगार अवसरों का सृजन किया जा सके। भर्ती परीक्षाओं में तमाम अनियमितताओं को देखते हुए किसी स्वतंत्र एजेंसी की स्थापना के संदर्भ में भी कोई ठोस निर्णय लिया जाना चाहिए।
9. महिलाओं की क्या उम्मीदें हैं?
हमारे मुल्क में महिलाओं की भागीदारी अभी भी संतोषजनक नहीं है। इसलिए हर बार महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाने के लिए प्रावधानों की उम्मीद की जाती है। इस बार महिलाओं की मांग है कि उनके लिए टैक्स स्लैब में छूट दी जाए। वर्ष 2012 से पहले महिलाओं को टैक्स के मामले में पुरुषों से ज्यादा छूट मिलती थी लेकिन तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने इस लिमिट को खत्म कर दिया था। महिलाएं फिर से पुराने छूट को लागू करवाना चाहती हैं। साथ ही गर्भवती महिलाओं को मिलने वाली वित्तीय मदद भी बढ़ाई जानी चाहिए।
10. महंगाई पर लगाम
इस बार के बजट से उम्मीद है कि सरकार बढ़ती महंगाई पर रोक लगाने के लिए जरूरी कदम उठाएगी। घरेलू गैस के साथ-साथ खाद्य पदार्थों में आई महंगाई ने सामान्य जनजीवन को बहुत प्रभावित किया है। ऊपर से पेट्रोल और डीजल के दामों ने लोगों की जेब को चोट पहुंचाई है। इसलिए इस बार के बजट से उम्मीद की जा रही है कि महंगाई पर रोक के लिए वित्त मंत्री कुछ जरूरी कदम उठाने की घोषणा करेंगी।