Ramnavami Violence: ED ने PFI के सदस्य को किया गिरफ्तार, केंद्र सरकार लगा सकती है इस इस्लामिक संगठन पर बैन

PFI पर सुरक्षा एजेंसियों की पैनी नजर है। कहा जा रहा है, कि केंद्रीय एजेंसियों से मिले इनपुट के आधार पर केंद्र सरकार जल्द ही पीएफआई पर बैन लगाने को लेकर फैसला कर सकती है।

Written By :  aman
Update:2022-04-15 13:22 IST

PFI (प्रतीकात्मक चित्र) 

मध्य प्रदेश के खरगोन जिले (Khargone District) में रामनवमी के मौके पर जुलूस निकाले जाने के दौरान हुई हिंसक झड़प के लिंक पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) से जुड़ते मिले। जिसके बाद अब जल्द ही PFI पर बैन लग सकता है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, PFI पर सुरक्षा एजेंसियों की पैनी नजर है। कहा जा रहा है, कि केंद्रीय एजेंसियों (Central Agencies) से मिले इनपुट के आधार पर केंद्र सरकार जल्द ही पीएफआई पर बैन लगाने को लेकर फैसला कर सकती है। इसी क्रम में ED ने PFI के सदस्य एमके अशरफ को विदेशी फंडिंग के आरोप में गिरफ्तार कर लिया है।

गौरतलब है, कि रामनवमी के अवसर पर देश के विभिन्न राज्यों में हिंसक झड़पें हुई थीं थीं। जिन राज्यों में हिंसक वारदात हुई वो हैं, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गोवा, गुजरात, पश्चिम बंगाल और झारखंड। लेकिन, खरगोन में हिंसक वारदातों ने देश का ध्यान अपनी ओर खींचा। जिसके बाद, प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष वीडी शर्मा ने इसके पीछे PFI के हाथ होने का शक जाहिर किया था।

क्या है पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) ?

बता दें, कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया या PFI एक चरमपंथी इस्लामी संगठन (Islamic organization) है। इस संगठन की स्थापना वर्ष 2006 में नेशनल डेवलपमेंट फ्रंट (NDF) के मुख्य संगठन के रूप में हुआ था। PFI का मुख्यालय राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में है। यह संगठन स्वयं को आजादी, न्याय और सुरक्षा सुनिश्चित करने वाले नए समाज के आंदोलन के रूप में बताता रहा है। पीएफआई की कई अलग शाखाएं भी हैं। महिलाओं के लिए यह संगठन 'नेशनल वीमेंस फ्रंट' और स्टूडेंट्स के लिए 'कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया' नाम से शाखाएं चलाता है। इसी तरह की अन्य शाखाएं भी देश भर में काम कर रही है।

कई राज्यों में बना चुका है पैठ

पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया या PFI ने एनडीएफ (NDF) के अलावा कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी, गोवा के सिटिजन्स फोरम, तमिलनाडु के मनिथा नीति पासराई, राजस्थान के कम्युनिटी सोशल एंड एजुकेशनल सोसाइटी तथा आंध्र प्रदेश के एसोसिएशन ऑफ सोशल जस्टिस सहित अन्य संगठनों के साथ मिलकर कई राज्यों में अपनी पैठ बना चुका है। PFI ने इस देश में अपनी जड़ें काफी गहरी जमा ली है। हाल के सालों में या कहें पीएफआई के गठन के बाद से ही इस संगठन पर कई तरह के समाज विरोधी और देश विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप लगते रहे हैं।

मगर, अब खरगोन सहित अन्य राज्यों में हुए हिंसक वारदातों के बाद और केंद्रीय एजेंसियों से मिले इनपुट के आधार पर केंद्र सरकार जल्द ही PFI पर बैन लगाने पर फैसला ले सकती है।

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