आखिर क्यों छोड़ रहे हैं लोग भारत की नागरिकता

पिछले सात सालों में 8.81 लाख से अधिक भारतीयों ने अपनी नगारिकता छोड़ दी है। इसी हिसाब से रोजाना औसतन 300 भारतीय अपनी नागरिकता छोड़ रहे हैं।

Written By :  Neel Mani Lal
Published By :  Vidushi Mishra
Update:2021-12-15 15:07 IST

भारत की नागरिकता (फोटो- सोशल मीडिया)

Bharat Ki Nagrikta : एक तरफ सरकार नागरिकता संशोधन अधिनियम (citizenship amendment act) के तहत पड़ोसी देशों में प्रताड़ित लोगों को भारत की नागरिकता (Indian citizenship) देने का प्रयास कर रही है, वहीं दूसरी ओर देश के नागरिक (Indian citizenship) ही अपनी नागरिकता छोड़ रहे हैं। पिछले सात सालों में 8.81 लाख से अधिक भारतीयों ने अपनी नगारिकता (citizenship) छोड़ दी है।

इसी हिसाब से रोजाना औसतन 300 भारतीय अपनी नागरिकता छोड़ रहे हैं। भारतीय नागरिकता त्यागने के सर्वाधिक आवेदन अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा से आये हैं। कुल आवेदनों में से तीस फीसदी इन तीन देशों से हैं।

नागरिकता सम्बन्धी कंसल्टेंसी एक्सपर्ट्स के अनुसार, अनुसार कोरोना महामारी (corona pandemic) के बाद से विदेश जा कर बसने के प्रमुख कारणों में राजनीतिक और आर्थिक स्थायित्व, सुरक्षा, शिक्षा और हेल्थकेयर शामिल हैं।

इसके पहले भी हेल्थकेयर, रोजगार, शिक्षा और सुरक्षा लोगों के प्राथमिकता में ऊपर रहते थे। यही वजह है माइग्रेशन(immigration in india) या एक देश से दूसरे देश में जाकर बसने का रुख आमतौर एक निश्चित पैटर्न पर चलता है। ऐसा इक्का-दुक्का केस ही होता है कि यूरोप या अमेरिका से कोई नागरिक अपनी नागरिकता (Indian citizenship)छोड़ कर किसी अन्य की नागरिकता ले ले।

भारत की स्थिति

विदेश मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, पिछले पांच साल में सर्वाधिक 144017 लोगों ने 2019 में अपनी भारतीय नागरिकता(Indian citizenship) छोड़ दी जबकि सबसे कम आंकड़ा 2020 में 85248 का था। और इसकी वजह कोरोना महामारी से उपजी स्थिति रही। बहरहाल, लोग नागरिकता क्यों छोड़ रहे हैं इसकी एक नहीं बल्कि कई वजहें हैं।

दोहरी नागरिकता

भारत में दोहरी नागरिकता (dual citizenship in India) का कोई प्रावधान नहीं है सो यदि कोई भारतीय किसी अन्य देश की नागरिकता ले लेता है तो उसे अपना पासपोर्ट सरेंडर करना होगा। लेकिन ऐसे लोग भारत में रहने, बिजनेस करने या काम करने के उद्देश्य से ओवरसीज सिटीजन ऑफ़ इंडिया (overseas citizen of india) कार्ड के लिए आवेदन कर सकते हैं।

निवेश के बदले नागरिकता

ग्लोबल वेल्थ माइग्रेशन (immigration in india) रिव्यु के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2020 में भारत के करोड़पतियों में से दो फीसदी विदेश में बस चुके हैं। ऐसे लोगों के मामले में 16 हजार की संख्या के साथ चीन टॉप पर है जबकि 7 हजार की संख्या के साथ भारत दूसरे नंबर पर और 5500 के साथ रूस तीसरे स्थान पर है।

लन्दन स्थित ग्लोबल सिटीजनशिप कंसल्टेंसी कंपनी हेनले एंड पार्टनर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक दूसरे देशों में निवेश के बदले नागरिकता चाहने वालों में भारतीय टॉप पर हैं। इस मामले में भारतीय रईसों के लिए पुर्तगाल, माल्टा और सायप्रस सबसे लोकप्रिय गंतव्य हैं।

निवेश के बदले नागरिकता को 'गोल्डन वीजा' ('Golden Visa') प्रोग्राम भी कहा जाता है। निवेश के बदले नागरिकता चाहने वालों द्वारा इस बाबत की गयी पूछताछ 2019 की तुलना में 63 फीसदी बढ़ी है और इसमें भी लोगों की रूचि पुर्तगाल, कनाडा और ऑस्ट्रिया के गोल्डन वीजा प्रोग्रामों के बारे में सबसे ज्यादा है।

दरअसल, गोल्डन वीजा('Golden Visa') प्रोग्राम चलने वाले पुर्तगाल जैसे एक निश्चित निवेश या प्रॉपर्टी की खरीद के बदले अपने देश की नागरिकता ऑफर करते हैं। फिलवक्त करीब 30 देश निवेश के जरिये डायरेक्ट नागरिकता प्रदान करते हैं और पिछले कुछ बरसों में माल्टा, पुर्तगाल, ग्रीस और अन्य यूरोपियन देशों के गोल्डन वीजा('Golden Visa') प्रोग्रामों ने अच्छी खासी लोकप्रियता हासिल की है।

हेनले एंड पार्टनर्स के अनुसार, अब लोग जागरूक हो रहे हैं कि 25 लाख यूरो खर्च करके आप यूरोप के इन देशों में एक मकान खरीद कर इसके जरिये शेनजेन रेसीडेंसी हासिल कर सकते हैं जिससे यूरोप के शेनजेन जोन के 26 देशों में वीजा मुक्त पहुँच बन जायेगी।

पासपोर्ट (फोटो- सोशल मीडिया)

कमजोर पासपोर्ट

किसी अन्य देश की नागरिकता लेने की एक वजह उस देश का मजबूत पासपोर्ट भी है। हेनले पासपोर्ट इंडेक्स के अनुसार, भारतीय पासपोर्ट की रैंकिंग दुनिया में 85 वें स्थान पर है और भारतीय पासपोर्ट से सिर्फ 58 देशों में वीजा फ्री या वीजा ऑन अराइवल की सुविधा पाई जा सकती है। इस मामले में पिछले दस साल में भारतीय पासपोर्ट सिर्फ 5 अंक आगे बढ़ पाया है।

वर्ष 2011 में 53 देशों में भारतीय पासपोर्ट पर वीजा फ्री या वीजा ऑन अराइवल की सुविधा थी। वाहें ग्रीस या पुर्तगाल में रेसीडेंसी स्टेटस पाए भारतीयों को 84 शेनजेन देशों में वीजा फ्री आने जाने की सुविधा होती है। पासपोर्ट इंडेक्स जितना ऊंचा होगा उतनी ज्यादा वीजा मुक्त ट्रेवल की सुविधा हो जायेगी।

इसके अलावा इमीग्रेशन (immigration in india) में होने वाले झंझट से भी मुक्ति मिल जाती है। इसीलिए किसी अन्य देश की नागरिकता या रेसीडेंसी का चयन करने वाले लोग उस देश के पासपोर्ट इंडेक्स का भी ख्याल रखते हैं।

ब्राज़ील की नागरिकता
(Brazilian citizenship) 

मिसाल के तौर पर ऐसे भारतीय लोग भी हैं जिन्होंने ब्राज़ील की नागरिकता (Brazilian citizenship) इसलिए ले ली क्योंकि वहां के पासपोर्ट से उनको भारत की तुलना में कहीं ज्यादा देशों में वीजा मुक्त आने-जाने की सुविधा मिलती है। इसके अलावा भारत की अपेक्षा ब्राज़ील के पासपोर्ट से अमेरिका या यूरोप जा कर बसना आसान होता है।

ब्राज़ील की नागरिकता (फोटो- सोशल मीडिया)

हेनले एंड पार्टनर्स के सीईओ डॉ जुएर्ग स्टेफन के अनुसार कोरोना महामारी के बाद से विदेश जा कर बसने के प्रमुख कारणों में राजनीतिक और आर्थिक स्थायित्व, सुरक्षा, शिक्षा और हेल्थकेयर शामिल हैं। लेकिन कोरोना आने के पहले भी हेल्थकेयर, रोजगार, शिक्षा और सुरक्षा लोगों के प्राथमिकता में ऊपर रहते थे।

ट्रैवेल एजेंट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष ज्योति मायल के अनुसार विदेश जा कर बसना चाहने वालों की संख्या में बहुत तेजी आई है। उन्होंने कहा कि देश में कोरोना महामारी से जिस तरह निपटा गया और इस महामारी का बाजार पर जो असर पड़ा है उसकी वजह से अब लोग देश छोड़कर अन्यत्र जाना चाहते हैं। लोग ऐसी जगह जाना चाहते हैं जहां वे काम कर सकें और सुरक्षित रहें। मायल ने बताया कि विदेशों में बसे भारतीय अपने परिवारवालों को अपने पास बुलाने के रास्ते तलाश रहे हैं और इस बारे में बहुत लोग जानकारी ले रहे हैं।

इमीग्रेशन सहायता सम्बंधित सेवाएं देने वाली एजेंसियों का कहना है कि पहले पूछताछ करने वाले ज्यादातर लोग अल्प आय वर्ग के होते थे जो बाहर जा कर पैसा कमाना चाहते थे। लेकिन अब बड़ी संख्या में मिडिल क्लास और अपर मिडिल क्लास के लोग बाहर जाने की जानकारी ले रहे हैं।

फैक्ट फाइल

- 30 सितंबर, 2021 तक पिछले सात सालों में 8,81,254 भारतीय नागरिकों ने अपनी नागरिकता छोड़ दी। इनमें से 6,08,162 भारतीयों ने सितंबर 2017 से 30 सितम्बर 2021 तक तक अपनी नागरिकता छोड़ी है। 2,73,092 भारतीयों ने 2015 से 2017 के बीच अपनी नागरिकता को छोड़ा।

- पिछले पांच सालों में 10,645 लोगों ने भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन किया है। इनमें से 4,177 को नागरिकता मिल चुकी है।

- भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने वालों में पाकिस्तान के 7782, अफगानिस्तान के 795, अमेरिका के 227 और बांग्लादेश के 184 नागरिक शामिल हैं।

- वर्तमान में कुल 1,33,83,718 भारतीय नागरिक दुनिया के विभिन्न देशों में रह रहे हैं।

- भारतीय नागरिकता अधिनियम, 1955 के तहत भारत के नागरिकों को दो देशों की नागरिकता रखने की अनुमति नहीं है। भारतीय पासपोर्ट धारक यदि दूसरे देश की नागरिकता लेता है तो उसे तत्काल भारतीय पासपोर्ट सरेंडर करना होगा। भारत की नागरिकता छोड़ने वाला व्यक्ति यदि दोबारा नागरिकता लेना चाहता है तो उसे पहले दूसरे देश की नागरिकता छोड़नी होगी।

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