कोरोना वायरस से बचाएगा यह 'गुप्त हथियार', सूंघने वाली नैनोबॉडीज की हुई खोज
कोरोना की पहली लहर से लेकर अब तक इस महामारी पर रिसर्च जारी है। कोरोना वायरस से बचने के लिए वैक्सीन भी आ गई है।
नई दिल्ली। कोरोना की पहली लहर से लेकर अब तक इस महामारी पर रिसर्च जारी है। कोरोना वायरस से बचने के लिए वैक्सीन भी आ गई है। डीआरडीओ की तरफ से दवा भी बना ली गई है। नेजल स्प्रे भी आ गया है। लेकिन कोरोना न हो ऐसी दवा व वैक्सीन का इजाद नहीं हो पाया है। ऐसे में अब नए तरीके से कोराना के उपचार की बात सामने आ रही है। यह उपचार पद्धति एकदम आधुनिक बताई जा रही है। इस पद्धति में कोरोना संक्रमित व्यक्ति के शरीर में एंटी-कोविड नैनोबॉडीज (Anti-Covid Nanobodies) का प्रवेश कराया जाएगा।
इसकी खास बात यह है कि इसकी न तो सूई लगवानी है और न ही दवा लेनी है। संक्रमित व्यक्ति को इसे जोर से सूंघना होगा। यानी इसे मरीज को सांस के जरिए लेना होगा। बताया जा रहा है जुकाम के दौरान जैसे इन्हेलर लेते ठीक उसी तरह इसे भी लेना है। वैज्ञानिक इसका इनहेल करने वाली नैनोबॉडीज को कोरोना के खिलाफ गुप्त हथियार का नाम दे रहे हैं। कहा जा रहा है कि इसके प्रयोग से संक्रमित व्यक्ति के अंदर कोरोना का स्पाइक प्रोटीन नष्ट हो जाएगा, जिससे वायरस के फैलने की प्रक्रिया निष्क्रिय हो जाएगी।
बता दें कि इस उपचार पद्धति की खोज यूनिवर्सिटी ऑफ पिट्सबर्ग स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं की तरफ से किया गया है। इन शोधकर्ताओं ने इनहेल करने वाले नैनोबॉडीज को तेयार भी लिया है। हैमस्टर (Hamster) नामक जीव पर इसका सफल परीक्षण भी कर लिया है। ज्ञात हो कि हैमस्टर चूहे की प्रजाति का एक जीव है, इसके जबड़े में जालीदार थैलियां पाई जाती हैं।
स्टडी में कहा गया है कि ये नैनोबॉडीज किसी मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज की तरह काम करती है। अभी तक इनका उपयोग कैंसर के इलाज में किया जाता रहा है। इसका आकार काफी सूक्ष्म होता है और उनका प्रोडक्शन कॉस्ट भी बेहद कम है। इसका वैश्विक स्तर पर उपयोग किया जा सकता है। इसके अलावा इससे भविष्य में आने वाली बीमारियों से लड़ाई लड़ने में मदद मिल सकती है।
जानकारी के मुताबिक शोधकर्ताओं ने पहले 8000 नैनोबॉडीज की खोज की। इसके बाद इन्हें नीचे की तरफ से काटकर मिलाया गया। ऐसा करने से एक उच्च क्षमता वाली नैनोबॉडी Nb21 का निर्माण हुआ। इसके बाद बायोइंजीनियरिंग के माध्यम से इसे कोरोना वायरस की कंटीली प्रोटीन परत से संपर्क कराया गया। इस प्रक्रिया के पूरा होने के बाद इस एयरोसोल के आकार के नैनोबॉडी को कोरोना संक्रमित हैमस्टर के शरीर में नाक के जरिए प्रवेश कराया गया। इसके अंदर जाते ही हैमस्टर के नाक, गले और फेफड़ों में से कोरोनावायरस का संक्रमण खत्म हो गया, वह भी बहुत कम समय में।
फिलहाल यह शोध अभी अपने शुरुआती दिनों में है। इसका इनसान पर कितना फर्क पड़ेगा इस बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता। क्योंकि अभी इनसानों पर इसका ट्रायल बाकी है। हां यह जरूर कहा जा रहा है कि अगर यह इनसानों पर कारगर ठहरा तो कोरोना वायरस की इस लड़ाई में हमें एक और कारगर हथियार मिल जाएगा।