Drone Attack: अमरिंदर ने पहले ही किया था पीएम को आगाह मगर नहीं उठाए गए कोई कदम

Drone Attack: कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इस बाबत पीएम मोदी को चिट्ठी भी लिखी थी। इस चिट्ठी में ड्रोन के जरिए पाकिस्तान की ओर से की जा रही साजिश के प्रति आगाह किया गया था।

Written By :  Anshuman Tiwari
Published By :  Dharmendra Singh
Update:2021-06-29 15:41 IST

एक कार्यक्रम के दौराम सीएम अमरिंदर सिंह (फाइल फोटो: सोशल मीडिया)

Drone Attack: जम्मू के एयरफोर्स स्टेशन पर हमले के 24 घंटे के भीतर ही ड्रोन से हमला करने की एक और कोशिश की गई मगर सेना के सतर्क जवानों ने इस हमले को नाकाम कर दिया। जम्मू हमले के बाद ड्रोन से हमले को भले ही आतंकी संगठनों की नई रणनीति माना जा रहा हो मगर पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इस बाबत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पिछले साल ही आगाह कर दिया था।

कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इस बाबत पीएम मोदी को चिट्ठी भी लिखी थी। इस चिट्ठी में ड्रोन के जरिए पाकिस्तान की ओर से की जा रही साजिश के प्रति आगाह किया गया था। कैप्टन ने अपनी चिट्ठी में कम ऊंचाई पर उड़ने वाले ड्रोन के जरिए हथियारों की सप्लाई और तस्करी की ओर इशारा किया था। उनका कहना था कि इसके गंभीर नतीजे हो सकते हैं मगर इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाए गए। अब जम्मू में किए गए हमले के बाद सरकार की नींद टूटी है और सैन्य प्रतिष्ठानों की सुरक्षा के लिए बड़े कदम उठाए जा रहे हैं।

नवंबर में लिखी थी पीएम को चिट्ठी

पंजाब के वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारियों का कहना है कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की ओर से प्रधानमंत्री को यह चिट्ठी पिछले साल नवंबर में भेजी गई थी। इस चिट्ठी में ड्रोन के खतरे से आगाह करने के साथ ही इसे नाकाम करने के लिए कदम उठाने का भी अनुरोध किया गया था। बाद में मुख्यमंत्री ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के दौरान भी यह मुद्दा उठाया था और केंद्र सरकार की ओर से इस मामले में पहल करने का अनुरोध किया था।
पुलिस अफसरों का कहना है कि पंजाब में ड्रोन से जुड़ी घटनाओं का विश्लेषण करने के बाद ही मुख्यमंत्री की ओर से प्रधानमंत्री को यह महत्वपूर्ण चिट्ठी भेजी गई थी। पंजाब में पिछले दो वर्षों के दौरान कम ऊंचाई पर उड़ने वाले ड्रोन को देखे जाने की 70-80 घटनाएं हो चुकी हैं और कुछ मामलों में ड्रोन को मार भी गिराया गया। अफसरों के मुताबिक प्रधानमंत्री को इस बाबत चिट्ठी लिखे जाने के अलावा पंजाब में इस मुद्दे को लेकर उच्चस्तरीय बैठक भी हुई थी जिसमें राज्य के खुफिया विभाग के अधिकारियों के अलावा पुलिस और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के अफसरों ने हिस्सा लिया था।


पंजाब की घटना का किया था जिक्र
पंजाब में ड्रोन से पैदा हुए खतरों के संबंध में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने प्रधानमंत्री को पिछले साल 21 नवंबर को चिट्ठी लिखी थी। इस चिट्ठी में कैप्टन ने अमृतसर के होशियारनगर इलाके में अगस्त 2019 में हुई एक घटना का जिक्र भी किया था। इस घटना में चीन निर्मित ड्रोन के जरिए होशियारनगर में राइफल और पिस्टल गिराए गए थे। उन्होंने फीरोजपुर और तरनतारन सेक्टर में संदिग्ध ड्रोन देखे जाने की बात भी अपने पत्र में बताई थी।
उन्होंने सीमा पार से ड्रोन के जरिए हथियारों की आपूर्ति को लेकर भी सरकार को आगाह किया था। उनका कहना था कि ड्रोन राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकता है। खासतौर पर ऐसे इलाकों की सुरक्षा के लिए जिन्हें ज्यादा खतरा है।

बैठक में रणनीति बनाने का अनुरोध

मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से यह अनुरोध भी किया था कि इस संबंध में सभी संबंधित पक्षों की उच्चस्तरीय बैठक बुलाई जानी चाहिए। उन्होंने इस बैठक में ड्रोन से पैदा होने वाले खतरों पर चर्चा करने और नए सिरे से रणनीति बनाने का अनुरोध किया था।
उनका कहना था कि इसके लिए राडार जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करना होगा ताकि कम ऊंचाई पर उड़ने वाले ड्रोन को इंटरसेप्ट किया जा सके। उनका कहना था कि इसके साथ ही ड्रोन के दुरुपयोग को रोकने के लिए अन्य कदम उठाने पर भी विचार किया जा सकता है। मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में यह भी लिखा था कि अब यह स्पष्ट हो चुका है कि पाकिस्तान तस्करी के मामलों में भी इस तरह की रणनीति का उपयोग कर रहा है।


सुरक्षा एजेंसियों के लिए नई चुनौती
इस बाबत पंजाब के पुलिस महानिदेशक दिनकर गुप्ता का कहना है कि ड्रोन के जरिए हमला और हथियारों का गिराया जाना सुरक्षा एजेंसियों के लिए बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा कि इस तरह की हरकतों को नाकाम करने के लिए कई बैठकें की जा चुकी हैं और अब इस बाबत इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने और जवाबी रणनीति बनाए जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि पंजाब से जुड़ी पाकिस्तान की सीमा पर प्रायः ड्रोन दिखते रहते हैं। इसी कारण इस खतरे से निपटने के लिए उच्चस्तरीय बैठक में चर्चा की गई थी।

अब की जा रही सुरक्षा की कवायद

जम्मू में वायुसेना एयरबेस स्टेशन पर ड्रोन से हुए बम हमले को भविष्य के लिए बड़ा खतरा माना जा रहा है। जानकारों का कहना है कि इस हमले के बाद अब वायुसेना समेत तमाम सैन्य प्रतिष्ठानों की सुरक्षा का नए सिरे से ऑडिट कराने की योजना है।
देश में वायुसेना स्टेशन पर पहली बार ड्रोन हमले को सुरक्षा एजेंसियां बड़ी चुनौती मान रही हैं और यही कारण है कि सैन्य प्रतिष्ठानों की फुलप्रूफ सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने की तैयारी की जा रही है। जानकार सूत्रों का कहना है कि भविष्य में ड्रोन हमलों को रोकने के लिए तकनीकी पर मंत्रणा भी शुरू की जा चुकी है।
केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करने वाले हैं। माना जा रहा है कि इस बैठक के दौरान पूर्वी लद्दाख के साथ ही जम्मू हमले पर भी चर्चा की जाएगी।


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