Guru Tegh Bahadur Jayanti: गुरु तेग बहादुर का 400वां प्रकाश पर्व आज, ये है उनके अनमोल विचार

Guru Tegh Bahadur Jayanti: गुरु तेग बहादुर जी का 400वां प्रकाश पर्व गुरुवार 21 अप्रैल 2022 को मनाया जा रहा है। गुरु तेग बहादुर सिंह सिख धर्म के नौवें गुरु हैं।

Written By :  Prashant Dixit
Update:2022-04-21 09:49 IST

Guru Tegh Bahadur Prakash Parv (photo-social media)

Guru Tegh Bahadur Prakash Parv: गुरु तेग बहादुर जी का 400वां प्रकाश पर्व गुरुवार 21 अप्रैल 2022 को मनाया जा रहा है। गुरु तेग बहादुर सिंह सिख धर्म के नौवें गुरु हैं। 21 अप्रैल 1621 में जन्मे श्री तेग बहादुर हरगोबिंद साहिब के छोटे पुत्र थे। जिनका जन्म पंजाब क अमृतसर में हुआ था। गुरु तेग बहादुर को गुरु नानक के सिद्धांतों का प्रचार करने और उनको धर्म योद्धा के रूप में याद किया जाता है। जिन्होंने धार्मिक स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया। उनकी मानवता, बहादुरी, मृत्यु, गरिमा विचारों और शिक्षाओं को प्रकाश पर्व के रुप में याद करने के लिए मनाया जाता है। गुरु तेग बहादुर का सिख धर्म की पवित्र पुस्तक श्री गुरु ग्रंथ साहिब में बहुत योगदान दिया था।

गुरुद्वारा शीशगंज साहिब 

मुगल सम्राट औरंगजेब के शासनकाल में दूसरे धर्म के लोगों को इस्लाम में परिवर्तित होने के लिए मजबूर किया जाता था। उस समय गुरु तेग बहादुर ने गैर-मुसलमानों के इस्लाम में जबरन धर्मांतरण का विरोध किया था। जिसके कारण 1675 दिल्ली में गुरु तेग बहादुर को इस्लाम धर्म अपनाने से इनकार करने के बाद मुगल सम्राट औरंगजेब के आदेश पर सिर काटकर उनकी हत्या कर दी गई थी। जहां गुरु तेग बहादुर जी ने अपने प्राणों की आहुति दी थी, उस जगह शीशगंज साहिब गुरुद्वारा बनाया गया है।

गुरु तेग बहादुर जी की अनमोल विचार

बकाला में रहते हुए, गुरु तेग बहादुर जी ने उस स्थान पर लगभग 26 वर्ष 9 महीने 13 दिन तक तपस्या की ओर अपना अधिकांश समय ध्यान में बिताया था।

उन्होंने गुरु ग्रंथ साहिब में कई भजनों का योगदान दिया, जिसमें श्लोक और दोहे भी शामिल हैं. उनकी रचनाओं में 116 शब्द और 15 राग शामिल हैं।

1675 में औरंगजेब के आदेश के पर गुरु तेग बहादुर जी को दिल्ली में मार दिया गया था। यह सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह के पिता हैं।

गुरु तेग बहादुर सिंह लोगों को जबरन मुस्लिम बनाए जाने के विरुद्ध थें, और खुद भी इस्लाम कबूलने से मना किया जिसकी सजा उनको अपनी जीवन से चुकानी पड़ी थी।

उनके निष्पादन और दाह संस्कार के स्थलों को बाद में दिल्ली में गुरुद्वारा शीशगंज साहिब और गुरुद्वारा रकाब गंज साहिब नाम के पवित्र स्थानों में बदल दिया गया। 

गुरु तेग बहादुर सिंह जी की फांसी के दिन 24 नवंबर को गुरु तेग बहादुर शहादत दिवस के रूप में सभी मनाते है।

गुरु तेग बहादुर सिंह ने साल 1665 में शहर आनंदपुर साहिब को भी अपनी देख रेख में बसाया था। 

गुरु तेग बहादुर सिंह को गुरुबाणी, धर्म ग्रंथों के साथ-साथ शस्त्रों और घुड़सवारी आदि के लिए भी जाना जाता है।।

गुरु तेग बहादुर सिंह जी ने 115 शब्द भी लिखे हैं जो अब पवित्र गुरु ग्रंथ साहिब का हिस्सा हैं। 

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