भारत बना संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अध्यक्ष, मौजूदा हालातों में बड़ी जिम्मेदारी
India Assumes UNSC Presidency: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की अगस्त महीने की अध्यक्षता भारत को मिली है।
India Assumes UNSC Presidency: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (United Nations Security Council) की अगस्त महीने की अध्यक्षता भारत को मिली है। इसी साल अस्थायी सदस्य के रुप में दो साल के लिए भारत को सुरक्षा परिषद में जगह मिली थी। सुरक्षा परिषद् का अध्यक्ष परिषद् की गतिविधियों के समन्यव का काम करता है, नीतिगत मतभेदों पर फैसला करता है और कभी कभार राजनयिक मध्यस्थता का काम भी करता है। कुल मिला कर सुरक्षा परिषद् के सभी कामकाज अध्यक्ष देश संभालता है और अध्यक्ष ही सुरक्षा परिषद् का चेहरा होता है।
मौजूदा समय में जो हालात हैं, खास कर अफगानिस्तान, दक्षिण चीन समुद्र टकराव, ताइवान-चीन मतभेद आदि उनमें सुरक्षा परिषद् की भूमिका काफी अहम है। रक्षा परिषद् की अध्यक्षता एक बड़ी जिम्मेदारी का काम है क्योंकि उसे ग्लोबल सुरक्षा के मसले को संभालना पड़ता है। इस जिम्मेदारी के साथ साथ अध्यक्ष देश को अपने निजी दायित्व भी देखने होते हैं सो ये दोहरी जिम्मेदारी हो जाती है और दोनों जिम्मेदारियों के हितों का टकराव नहीं होना चाहिए।
सन 46 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् की स्थापना के बाद से मासिक अध्यक्षता देने की व्यवस्था बनी हुई है। अब भारतीय विदेश सेवा के टी.एस. तिरुमूर्ति अध्यक्ष बनाये गए हैं। वे यूएन में भारत के स्थाई प्रतिनिधि हैं।
पहले भी भारत बन चुका है अध्यक्ष
भारत कोई पहली मर्तबा सुरक्षा परिषद का अध्यक्ष नहीं बना है। इसके पहले भी कई बार भारत को ये सम्मान मिल चुका है।
- जून 1950 में भारत के बेनेगल नरसिंह राव अध्यक्ष बने।
- मार्च 1951 में भारत और फ्रांस संयुक्त रूप से अध्यक्ष बने थे। भारत की ओर से अध्यक्ष थे बेनेगल नरसिंह राव।
- सितम्बर 1967 में जी. पार्थसारथी अध्यक्ष बने।
- दिसंबर 1972 में समर सेन अध्यक्ष बनाये गए।
- अक्टूबर 1977 में रिखी जयपाल अध्यक्ष बने।
- फरवरी 1985 में नटराजन कृष्णन अध्यक्ष बने।
- अक्टूबर 1991 में सी.आर. घरेखन अध्यक्ष बने।
- दिसंबर 1992 में फिर सी.आर. घरेखन अध्यक्ष बनाये गए।
- अगस्त 2011 में हरदीप सिंह पूरी को अध्यक्ष बनाया गया।
- नवम्बर 2012 में फिर हरदीप सिंह पूरी अध्यक्ष बने।
दो साल के लिए भारत को मिली थी जगह
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत को दो साल के अस्थायी सदस्य के रूप में इसी साल जगह मिली थी। भारत अस्थायी सदस्य के रूप में इस 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद में बैठेगा। वह आठवीं बार इस परिषद का अस्थायी सदस्य बना है। भारत के अलावा नार्वे, केन्या, आयरलैंड, और मैक्सिको को इसी साल एस्टोनिया, नाईजर, सैंट विसेंट, ग्रेनाडाइन्स, ट्यूनीशिया और वियतनाम जैसे अस्थायी सदस्यों के साथ जोड़ा गया था।
सुरक्षा परिषद के चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका स्थायी सदस्य हैं। भारत को अगले साल भी एक महीने के लिए अध्यक्षता का मौका मिलेगा। परिषद की अध्यक्षता अंग्रेजी वर्णमाला के अक्षरों के हिसाब से हर सदस्य के पास एक एक महीने के लिए रहती है।
भारत जिम्मेदारियां उठाने से घबराता नहीं
नए अध्यक्ष टी.एस. तिरुमूर्ति ने कहा है कि भारत जिम्मेदारियां उठाने से नहीं घबराता है। सुरक्षा परिषद के वीटो पावर वाले पांच स्थायी देशों (चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका) के बीच आपसी तनावों और दरारों को कम करना होगा। उन्होंने कहा है कि हम बहुत ही नाजुक दौर में सुरक्षा परिषद में शामिल हो रहे हैं। जब हम ना सिर्फ वैश्विक महामारी की विसंगतियों से जूझ रहे हैं, बल्कि सुरक्षा परिषद के अंदर और बाहर भी कई दरारों और रुकावटों का सामना कर रहे हैं। एकजुट होकर बड़े कदम उठाने होंगे ताकि इन दूरियों को कम किया जा सके। भारत इन खाइयों को पाटने के लिए पुल का काम करेगा।
तिरुमूर्ति ने कहा कि म्यांमार और अफगानिस्तान में जारी गृह युद्ध को देखते हुए सुरक्षा परिषद गहन वार्ता के जरिये संवेदनशील मसलों को हल करेगी। तालिबान प्रतिबंध समिति की अध्यक्षता करते हुए भारत अपनी अहम भूमिका जारी रखेगा और लीबिया प्रतिबंध समिति के जरिये भी वहां की कलह को सुलझाने का प्रयास करेगा। अफ्रीका के मामले में भी भारत उसकी वरीयताओं को लेकर संवेदनशील रहेगा। स्थायी सदस्यों की ओर से उसे अवास्तविक लक्ष्य देने के बजाय उसकी उम्मीदों पर खरा उतरने की कोशिश होगी।
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