जातीय जनगणना की मांग हुई तेज, जदयू के बाद अपना दल ने भी बढ़ाया सरकार पर दबाव
Jatiya Janganana : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पहले ही जाति आधारित जनगणना के लिए मोदी सरकार पर दबाव बना रखा है। अब भाजपा के सहयोगी दल अपना दल ने भी यह मांग उठाकर सरकार की मुसीबतें बढ़ा दी हैं।
Jatiya Janganana : जनता दल यू (JDU) के बाद एनडीए में शामिल एक और पार्टी अपना दल (एस) ने भी जाति आधारित जनगणना के लिए सरकार पर दबाव बढ़ा दिया है। पार्टी ने मांग की है कि ओबीसी (OBC) के लिए एक अलग केंद्रीय मंत्रालय बनाया जाना चाहिए और इसके साथ ही जाति आधारित जनगणना भी कराई जानी चाहिए ताकि विभिन्न जातियों की आबादी के बारे में सटीक जानकारी मिल सके।
उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले अपना दल (एस) की ओर से की गई इस मांग को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पहले ही जाति आधारित जनगणना के लिए मोदी सरकार पर दबाव बना रखा है। अब उत्तर प्रदेश में भाजपा के सहयोगी दल अपना दल ने भी यह मांग उठाकर सरकार की मुसीबतें बढ़ा दी हैं।
ओबीसी की सही आबादी का पता लगाना जरूरी
उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले अपना दल की यह मांग सियासी नजरिए से काफी महत्वपूर्ण है। उत्तर प्रदेश में मतदाताओं का बड़ा वर्ग ओबीसी से ही जुड़ा हुआ है और माना जा रहा है कि इस वर्ग की सियासी ताकत को देखते हुए ही अपना दल की ओर से यह मांग उठाई गई है।
इस बाबत अपना दल (एस) के कार्यकारी अध्यक्ष आशीष पटेल का कहना है कि यह समय की मांग है कि प्रत्येक वर्ग और विशेष रूप से अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की सही आबादी का पता लगाया जाए। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद समय-समय पर की गई जनगणना में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की आबादी का तो पता लगाया गया मगर ओबीसी की वास्तविक संख्या की जानकारी आज तक किसी के पास नहीं है।
उन्होंने कहा कि ओबीसी की जनगणना न कराए जाने से आज तक इस वर्ग से जुड़ा हुआ कोई भी आंकड़ा उपलब्ध नहीं है। उन्होंने कहा कि मेरी पार्टी का मानना है कि अगली जनगणना के दौरान जाति आधारित आंकड़े जरूर जुटाए जाने चाहिए। यह कदम उठाना इसलिए भी जरूरी हो गया है ताकि लोगों को ओबीसी की आबादी की सही जानकारी मिल सके।
ओबीसी के लिए बने अलग मंत्रालय
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल में किए गए कैबिनेट फेरबदल में अपना दल की नेता अनुप्रिया पटेल को राज्यमंत्री बनाया है। अनुप्रिया के पति आशीष पटेल ने कहा कि हमारी यह भी मांग है कि ओबीसी के कल्याण के लिए एक अलग केंद्रीय मंत्रालय बनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश में ओबीसी वर्ग से जुड़ी हुई काफी बड़ी आबादी है और इनके कल्याण की योजनाओं की मॉनिटरिंग एक अलग केंद्रीय मंत्रालय के जरिए ही की जा सकती है।
अपना दल 2014 से ही एनडीए का घटक है। पार्टी की नेता और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल कुर्मी जाति से ताल्लुक रखती हैं और पूर्वी उत्तर प्रदेश की करीब 50 सीटों पर इस जाति का काफी असर माना जाता है। ऐसे में अपना दल (एस) की ओर से जाति आधारित जनगणना की मांग को सियासी नजरिए से भी देखा जा रहा है।
नीतीश ने भी लिखा है पीएम मोदी को पत्र
उधर बिहार में विपक्षी दलों के साथ ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी जाति आधारित जनगणना कराने की मांग की है। पिछले दिनों राजद नेता तेजस्वी यादव की अगुवाई में विपक्षी दलों के प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से इस बाबत मुलाकात भी की थी। इस मुलाकात के दौरान प्रधानमंत्री को इस बाबत पत्र लिखने का फैसला किया गया था। नीतीश कुमार ने हाल में बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा करने के बाद मीडिया से बातचीत में कहा है कि उन्होंने प्रधानमंत्री को जाति आधारित जनगणना के लिए पत्र लिखा है। हालांकि भाजपा की ओर से कहा जा रहा है कि जाति आधारित जनगणना की कोई जरूरत नहीं है मगर अब विपक्ष के साथ ही एनडीए के घटक दलों की ओर से भी यह मांग उठाए जाने से मोदी सरकार पर दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है।
वैसे सरकार जाति आधारित जनगणना की मांग को हमेशा खारिज करती रही है। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने मार्च में राज्यसभा में जाति आधारित गनगणना की मांग को ठुकरा दिया था। हाल के दिनों में भी सरकार की ओर से स्पष्ट किया गया है कि सरकार की जाति आधारित जनगणना कराने की कोई योजना नहीं है। वैसे अब यह देखने वाली बात होगी कि एनडीए के घटक दलों की ओर से दबाव बढ़ाए जाने के बाद सरकार इस बाबत क्या कदम उठाती है।