1947 के बंटवारे में बिछड़े भाई: 75 साल बाद मिले करतारपुर कॉरिडोर पर, दूर हो गई दो मुल्कों की दूरियां

Kartarpur Corridor: भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के 74 साल बाद पाकिस्तान में स्थित गुरुद्वारा दरबार साहिब जिससे भारत जुड़ता है, करतारपुर कॉरिडोर। इस करतारपुर कॉरिडोल पर बचपन के बिछड़े दो भाईयों का मिलन हो गया।

Written By :  Vidushi Mishra
Update:2022-01-13 09:50 IST

करतारपुर कॉरिडोर (फोटो-सोशल मीडिया)

Kartarpur Corridor: 1947 में हुए भारत-पाकिस्तान बंटवारे को आज भले ही सालों गुजर गए हैं, लेकिन इस बंटवारे की चोट कई परिवारों के दिलों में अभी भी ताजी है। सालों पहले सिर्फ दो मुल्क ही नहीं बंटे थे, बल्कि इसके साथ ही लोग भी एक-दूसरे से अलग हो गए, बिछड़ गए। ऐसे ही एक परिवार भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के समय बिछड़ गया था। उस दौरान मोहम्मद सिद्दीकी एक छोटे बच्चे थे। वे अपने परिवार से बिछड़ गए थे। मोहम्मद सिद्दीकी के भाई हबीब उर्फ शेला 1947 के बाद से भारत में पले-बढ़े और रहने लगे। लेकिन ये बिछड़ापन अब दूर हो गया है।

भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के 74 साल बाद पाकिस्तान में स्थित गुरुद्वारा दरबार साहिब जिससे भारत जुड़ता है, करतारपुर कॉरिडोर। इस करतारपुर कॉरिडोल पर बचपन के बिछड़े दो भाईयों का मिलन हो गया। मोहम्मद सिद्दीकी औऱ हबीब उर्फ शेला जब सालों बाद मिले, तो उनका दर्द फूट पड़ा। इन दोनों बिछड़े भाईयों का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।

जब मिले दो भाई

इस भावुक वीडियो को देखकर लोग भी इमोशनल हो जा रहे हैं और सोशल मीडिया पर कई कमेंट भी कर रहे हैं। सामने आई मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मोहम्मद सिद्दीकी पाकिस्तान के फैसलाबाद में रहते हैं। जबकि उनके भाई हबीब भारत के पंजाब में रहते हैं।

लेकिन सालों बाद करतारपुर में मिलने पर ये दोनों भाई एक दूसरे को देखते ही भावुक हो गए। दोनों भाई की आंखों से बहते आंसू किसी मोती से कम नहीं लग रहे थे। इस वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि दोनों भाई एक दूसरे को रोते हुए गले लगा रहे हैं।

75 साल बाद भारत-पाकिस्तान दो अलग-अलग मुल्कों में बसे भाईयों ने सरकार को करतारपुर कॉरिडोर खोलने पर शुक्रिया अदा किया है। अब कॉरिडोर के जरिए से भारत के लोग बिना किसी वीजा के पाकिस्तान में मौजूद करतारपुर कॉरिडोर जा सकते हैं। देश की सरकार के प्रयासों से यह कॉरिडोर नवंबर 2019 में शुरू हुआ था। जिसके बाद से अब भारत के लोग भी पाकिस्तान की जमीन पर बिना परमिशन के कदम रख सकते हैं।

करतारपुर कॉरिडोर प्रोजेक्ट के सीईओ मोहम्मद लतीफ भी दोनों भाइयों की इस मुलाकात से भाव विह्वल दिखे। उन्होंने बताया कि 74 साल बाद हुई इस मुलाकात के दौरान दोनों भाई एक-दूसरे को देख कर ऊंची-ऊंची आवाज में रोने लगे। उन्होंने कहा कि यह नजारा देखकर हर किसी की आंखों में आंसू आ गया। गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी के अधिकारियों की ओर से इस मुलाकात का वीडियो भी जारी किया गया है।

श्री करतारपुर साहिब में प्रतिदिन पांच हजार भारतीयों के जाने का कोटा तय किया गया है मगर इन दिनों जाने वालों की संख्या काफी कम है। कोरोना के बढ़ते कहर को भी इसका बड़ा कारण माना जा रहा है।

पिछले साल हुई थी दो दोस्तों की मुलाकात

वैसे यह पहला मौका नहीं है जब करतारपुर में दो बिछड़े परिजनों की मुलाकात हुई हो। पिछले साल भी 73 साल बाद दो दोस्तों की मुलाकात हुई थी। पाकिस्तान में रहने वाले 91 वर्षीय मोहम्मद बशीर और भारत में रहने वाले 94 वर्षीय सरदार गोपाल सिंह बंटवारे के वक्त जुदा हो गए थे मगर पिछले साल एक दूसरे से मिलकर दोनों की खुशी का ठिकाना नहीं था। मुलाकात के बाद दोनों दोस्तों का कहना था कि उन्हें मुलाकात की कोई उम्मीद नहीं थी मगर करतारपुर कॉरिडोर के जरिए ही यह मुलाकात संभव हो सकी।

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