पश्चिम बंगाल में ममता ने फिर किया 'खेला', मुकुल को बनाया PAC अध्यक्ष, फैसले पर बिफरी भाजपा

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की मुखिया ममता बनर्जी ने फिर एक बड़ा खेला करते हुए भाजपा को करारा झटका दिया है।

Written By :  Anshuman Tiwari
Published By :  Priya Panwar
Update: 2021-07-10 09:56 GMT
पश्चिम बंगाल सीएम ममता बनर्जी, फोटो : सोशल मीडिया

नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की मुखिया ममता बनर्जी ने फिर एक बड़ा खेला करते हुए भाजपा को करारा झटका दिया है। भाजपा के टिकट पर चुनाव जीतकर टीएमसी का दामन थामने वाले मुकुल रॉय को लोक लेखा समिति (पीएसी) का नया अध्यक्ष बनाया गया है। भाजपा के तीखे विरोध के बावजूद ममता बनर्जी मुकुल रॉय को अध्यक्ष बनाने पर अड़ी हुई थीं। पश्चिम बंगाल के विधानसभा अध्यक्ष ने शुक्रवार को मुकुल रॉय की नियुक्ति पर मुहर लगा दी।

दूसरी और ममता सरकार के इस फैसले पर भाजपा ने तीखा विरोध जताया है। भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी ने इस कदम का विरोध करते हुए कहा कि अभी तक विपक्षी सदस्य को ही इस पद पर नियुक्त किया जाता रहा है। ऐसे में सरकार ने नियमों और परंपराओं को तोड़कर कदम उठाया है।

निर्विरोध सदस्य चुने गए थे मुकुल

इससे पहले मुकुल रॉय को निर्विरोध लोक लेखा समिति का सदस्य चुना गया था। तृणमूल कांग्रेस की ओर से मुकुल रॉय समेत 14 सदस्यों ने पीएसी सदस्य बनने के लिए नामांकन दाखिल किया था जबकि भाजपा के 6 विधायकों ने सदस्य बनने का नामांकन भरा था। पीएसी में अधिकतम 20 सदस्य हो सकते हैं और इस तरह सभी विधायकों का नामांकन वैध पाए जाने के बाद उन्हें निर्विरोध चुन लिया गया था। मुकुल के सदस्य चुने जाने के बाद ही ममता ने उन्हें पीएसी का अध्यक्ष बनाने के लिए सियासी चालें चलने शुरू कर दी थीं।

ममता का बड़ा सियासी दांव

मुकुल रॉय को पीएसी का अध्यक्ष बनाया जाना ममता का बड़ा सियासी दांव माना जा रहा है। मुकुल रॉय इस बार भाजपा के टिकट पर चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं। ऐसे में उन्होंने विपक्षी सदस्य को अध्यक्ष बनाने के नियम का पालन भी कर दिया है तो दूसरी ओर अपनी पार्टी को ही यह अहम पद सौंपने में भी कामयाबी हासिल की है।

भाजपा ने किया वॉकआउट

मुकुल रॉय ने भाजपा छोड़कर तृणमूल कांग्रेस की सदस्यता लेने के बावजूद अभी तक विधानसभा से इस्तीफा नहीं दिया है। ऐसे में भाजपा की ओर से उन्हें पीएसी का अध्यक्ष बनाने का तीखा विरोध किया जा रहा है।विधानसभा में इस मुद्दे को लेकर भाजपा विधायकों ने तीखा विरोध जताया। सरकार के अपने फैसले पर अड़े रहने के बाद प्रतिपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी की अगुवाई में भाजपा सदस्यों ने वॉकआउट कर दिया। मुकुल रॉय ने कृष्णा नगर उत्तर सीट से चुनाव जीतने के बाद पिछले महीने टीएमसी की सदस्यता ग्रहण कर ली थी।

शुभेंदु का ममता सरकार पर बड़ा हमला

इस बाबत मीडिया से बातचीत में प्रतिपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने ममता सरकार पर बड़ा हमला बोला। उन्होंने कहा कि नियमों के मुताबिक अभी तक विपक्षी विधायक को ही पीएसी का अध्यक्ष बनाया जाता रहा है। टीएमसी ने नियमों और परंपराओं को तोड़कर मुकुल रॉय को अध्यक्ष बनाया है। उन्होंने कहा कि यह पहला मौका है जब किसी विपक्षी नेता को पीएसी का अध्यक्ष बनने का मौका नहीं मिला है। अधिकारी ने कहा कि मुकुल रॉय ने विधायकी से इस्तीफा नहीं दिया तो भी दलबदल रोधी कानून में उनकी सदस्यता चली जाएगी। ऐसे में उन्हें लोक लेखा समिति का अध्यक्ष बनाने का कोई मतलब नहीं है।

मुकुल ने नहीं दिया विधानसभा से इस्तीफा

पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान मुकुल रॉय ने भाजपा के टिकट पर कृष्णानगर उत्तर सीट से चुनाव जीता था। बाद में उन्होंने तृणमूल कांग्रेस का दामन थाम लिया था। टीएमसी में शामिल होने के बावजूद उन्होंने अभी तक न तो विधानसभा से इस्तीफा दिया है और न ही दलबदल रोधी कानून के तहत उन्हें अयोग्य घोषित किया गया है।मुकुल रॉय ने टीएमसी छोड़कर 2017 में भाजपा की सदस्यता ग्रहण की थी और उन्हें पार्टी की ओर से राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी बनाया गया था मगर पिछले विधानसभा चुनाव के बाद उन्होंने भाजपा से इस्तीफा देकर ममता की मौजूदगी में टीएमसी की सदस्यता ले ली थी। इस बाबत का कहना है कि विधानसभा से जुड़ी किसी भी कमेटी के अध्यक्ष की नियुक्ति विधानसभा अध्यक्ष की ओर से की जाती है। वे अपनी इच्छा के अनुसार किसी को भी इस पद पर नियुक्त करने के लिए स्वतंत्र हैं। टीएमसी के मुताबिक विधानसभा अध्यक्ष के विशेषाधिकार को चुनौती नहीं दी जा सकती है।

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